Surah Takasur :सूरह तकासूर
सूरह ताकसूर कुरान की 102वीं सूरह है। इस सूरह में 8 आयतें हैं। सूरज तकसूर मक्की सूरज है यानी ये सूरज मक्का में नाजिल हुई थी । यह सूरह आयतों की वजह से जितनी छोटी है, उतनी ही मायने के हिसाब से गहराई से भरी हुई है। इस सूरह में अल्लाह ने माल के ताल्लुक से, और दुनिया पाने के ताल्लुक से इशारा किया है।
Surah Takasur Fazilat: सूरह तकासुर फजीलत
सूरह तकासुर पढ़ने से इंसान को दुनिया के धोखे से दूरी और आख़िरत की तैयारी की अहमियत समझ में आती है। इस सूरह को पढ़ने से इंसान के दिल में आख़िरत का ख़ौफ़ और दुनिया एक महज धोका है इसका एहसास पैदा करता है।
Surah Takasur In Arabic: सूरह तकासुर अरबी में:
بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ
- أَلْهَىٰكُمُ ٱلتَّكَاثُرُ
- حَتَّىٰ زُرْتُمُ ٱلْمَقَابِرَ
- كَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُونَ
- ثُمَّ كَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُونَ
- كَلَّا لَوْ تَعْلَمُونَ عِلْمَ ٱلْيَقِينِ
- لَتَرَوُنَّ ٱلْجَحِيمَ
- ثُمَّ لَتَرَوُنَّهَا عَيْنَ ٱلْيَقِينِ
- ثُمَّ لَتُسْـَٔلُنَّ يَوْمَئِذٍۢ عَنِ ٱلنَّعِيمِ
Surah Takasur In Hindi: सूरज ताकासुर इन हिंदी
- अल्हाकुमुत-तकासुर
- हत्ता-जुर्तुमिल-मकाबिर
- कल्ला-सवफ़ त’अलमून
- सुम्म-कल्ला-सवफ़ त’अलमून
- कल्ला-लौ त’अलमूना इल्मल-यकीन
- लतरवन्नल-जह़ीम
- सुम्म-लतरवन्नहा ‘ऐनल-यकीन
- सुम्म-लतुसअलुन्ना यौमइज़िन ‘अनिन-न’ईम
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Surah Takasur Ka Tarjuma: सुरह तकासुर का तर्जुमा
- तुम लोगों को ज़्यादा-से-ज़्यादा और एक-दूसरे से बढ़कर दुनिया हासिल करने की धुन ने ग़फ़लत में डाल रखा है
- यहाँ तक कि (इसी फ़िक्र में) तुम लबे – गोर तक
- हरगिज़ ऐसा नहीं चाहिये। तुम्हें बहुत जल्दी सब पता चल जाएगा।
- फिर(सुनलो कि) हरगिज़ ऐसा नहीं चाहिये। तुम्हें बहुत जल्द सब पता चल जायेगा।
- हरगिज़ नहीं, अगर तुम यक़ीनी इल्म की हैसियत से (इस रविश के अंजाम को) जानते होते (तो तुम्हारा ये तर्ज़-अमल न होता
- यक़ीन जानो तुम दोज़ख़ को ज़रूर देखो
- फिर यक़ीन जानो कि तुम उसे बिल्कुल यक़ीन के साथ देख लोगे।
- फिर तुमसे उस दिन नेमतों के बारे में पूछा जायेगा ( कि उनका क्या हक़ अदा किया)।
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Surah Takasur In English: सूरज तकासूर इन इंग्लिश
- Competition in [worldly ] increase diverts you
- Until you visit the graveyards .
- no, you are going to know.
- Then no you are going to know!
- No if you only knew with knowledge of certainty
- You will surely see Hell-Fire!
- Then you will surely see it with the eye of certainty
- Then, you will surely be asked that day about pleasure
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Surah Takasur In Roman English: सूरज तालासुर इन रोमन इंग्लिश
- Alhakumut takasur
- Hatta zurtum al maqabir
- Kalla saufa ta’lamun
- Thumma kalla saufa ta’lamun
- Kalla law ta’lim oona ‘ilm al yaqeen
- Latara wunnal jaheem
- Thumma latara wunnaha ‘aina al yaqeen
- Thumma latus alunna yawma-ithin ‘anin-na’eem
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Surah Takasur Ke Baare Mein Ahem Sawalat: सूरह तकासुर के बारे में अहम सवालात:
1. सूरह तकासुर किस चीज़ के बारे में है?
सूरह तकासुर दुनिया के माल ओ दौलत और ज्यादा से ज्यादा जमा करने के शौक के बारे में है। यह लोगों को याद दिलाती है के ज़िन्दगी का असली मकसद माल जमा करना नहीं, बल्कि अल्लाह की इबादत और आख़िरत के लिए तैयारी करना है।
2. सूरह तकासुर में कितनी आयतें हैं?
सूरह तकासुर में 8 आयतें हैं। यह मक्की सूरह है, जिसका मतलब है के यह मक्का में नाज़िल हुई थी। इस सूरह में आख़िरत की याद दिलाकर इंसान को दुनिया के धोखे से दूर रहने की हिदायत दी गई है।
3. सूरह तकासुर पढ़ने से क्या फायदे हैं?
सूरह तकासुर पढ़ने से इंसान को दुनिया के धोखे से दूरी और आख़िरत की तैयारी की अहमियत समझ में आती है। इस सूरह को पढ़ने से इंसान के दिल में आख़िरत का ख़ौफ़ और दुनिया के फानी होने का एहसास पैदा होता है।
4. सूरह तकासुर कब नाज़िल हुई थी?
सूरह तकासुर मक्की सूरह है, जो मक्का में नबुव्वत के शुरुआती दौर में नाज़िल हुई थी। यह उस वक्त के लोगों के लिए नसीहत थी, जो माल ओ दौलत में मफ्लिस थे और आख़िरत को भूल गए थे।
5. सूरह तकासुर को पढ़ने का सही वक्त क्या है?
सूरह तकासुर को किसी भी वक्त पढ़ सकते हैं, लेकिन इसे पढ़ने का ख़ास वक्त नहीं है। इसको आम इबादत में शामिल कर सकते हैं, ताकि हमेशा दुनिया के धोखे से बचने और आख़िरत की तैयारी की याद रहे।
6. सूरह तकासुर पढ़ने से आख़िरत की याद कैसे आती है?
सूरह तकासुर इंसान को याद दिलाती है के दुनिया की ज़िन्दगी फानी है और आख़िरत के दिन हर इंसान से उसके अमल का हिसाब लिया जाएगा। यह सूरह आख़िरत के अज़ाब का ज़िक्र करके इंसान के दिल में ख़ौफ़ पैदा करती है।
7. सूरह तकासुर किस सूरह के बाद आती है?
सूरह तकासुर, सूरह अल-कारी’अह के बाद आती है। सूरह अल-कारी’अह में आख़िरत के दिन की हालत को बयान किया गया है, और सूरह तकासुर उसी दिन के लिए तैयारी करने की तलकीन करती है।
8. सूरह तकासुर में किस चीज़ से सबक़ हासिल होता है?
सूरह तकासुर से यह सबक़ हासिल होता है के दुनिया के माल ओ दौलत के पीछे भागना बेकार है। असली कामयाबी वो है जो आख़िरत के लिए तैयारी में है, क्यूंके आख़िरत का हिसाब किताब ज़रूरी है और उसमें सिर्फ़ अमल काम आएंगे।
I attained the title of Hafiz-e-Quran from Jamia Rahmania Bashir Hat, West Bengal. Building on this, in 2024, I earned the degree of Moulana from Jamia Islamia Arabia, Amruha, U.P. These qualifications signify my expertise in Quranic memorization and Islamic studies, reflecting years of dedication and learning.