Surah Qadr ki Fazilat। सूरह अल-क़द्र की फ़ज़ीलत।
- लैलत-उल-क़द्र का मक़ाम और अहमियत क़ुरान में सूरह अल-क़द्र में बयान की गई है। अल्लाह तआला फरमाता है: “हमने इसे (क़ुरान को) शब-ए-क़द्र में नाज़िल किया। और क्या तुझे मालूम है कि शब-ए-क़द्र क्या है? शब-ए-क़द्र हज़ार महीनों से भी बेहतर है। फ़रिश्ते और रूह उस रात में अपने रब की तरफ से हर काम के लिए उतरते हैं। सलाम, यह रात सुबह तक सलामती है।” (सूरह अल-क़द्र: 1-5)
- इस सूरह से यह बात साफ़ हो जाती है कि लैलत-उल-क़द्र का मक़ाम और अहमियत किसी भी रात से कहीं ज़्यादा है। यह रात क़ुरान की उतरने की शुरुआत की यादगार है और इसमें हर नेकी का सवाब करने का बेपनाह अज्र है।
- लैलत-उल-क़द्र को ढूंढने का हुक्म क़ुरान में आया है: “इन्ना अंज़लनाहु फ़ी लैलतिल क़द्र” (सूरह अल-क़द्र: 1) मतलब कि अल्लाह ने क़ुरान को लैलत-उल-क़द्र में उतारा है। इसलिए इस रात में क़ुरान को तलाशना और उसे समझना बहुत ज़रूरी है।
- इस रात में मुसलमानों को खास तौर पर इबादत, दुआ, और क़ुरान की तिलावत में विशेष रूप से लगे रहने की ताकीद की गई है, ताकि वे इस रात की फ़ज़ीलत से भरपूर फायदा उठा सकें।
- इस रात की इबादत में रात भर तहज्जुद, क़ुरान की तिलावत, दुआ और इस्तिग़फ़ार का अमल शामिल होता है। इस रात में जो भी दुआ की जाती है, उसे अल्लाह क़ुबूल फरमाता है। यह रात आख़िरी अशरे के १० दिनों में आती है, इसलिए हर मुसलमान को अपनी इबादत और दुआओं को इस रात पर ज़्यादा अहमियत देनी चाहिए।
- सूरह क़द्र का पढ़ना एक अज़ीम इबादत है। यह सूरह इंसानी ज़िंदगी में सुकून और बरकत का स्रोत है। इस सूरह को पढ़कर इंसान अल्लाह की क़ुर्बत में आता है और उसे ईमान में इज़ाफा होता है। लैलत-उल-क़द्र के अमल का सवाब फरिश्तों के अमल से भी ज़्यादा है। इसलिए हर मुसलमान को इस रात को इबादत और तौबा करने का बेहतरीन मौका समझना चाहिए।
- लैलत-उल-क़द्र के फायदे और अहमियत को समझकर हर मुसलमान को इस रात को इबादत और तौबा करने का बेहतरीन मौका समझना चाहिए। सूरह क़द्र की तिलावत और लैलत-उल-क़द्र की इबादत करके हर मुसलमान अपने ईमान को मज़बूत कर सकता है और अल्लाह की रहमत और मगफिरत का अहसास कर सकता है।
Hadees: Surah Al-Qadr Ki Ahmiyat। हदीस: सूरह अल-कद्र की अहमियत।
- हज़रत इब्न अब्बास (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) से रिवायत है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया: “लैलत-उल-क़द्र रमज़ान के आख़िरी अशरे में होती है, जब 23, 25 और 27 रातों में रहती है। (सहीह बुखारी, हदीस नंबर 2021)
- हज़रत अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया: “जो शख्स लैलत-उल-क़द्र को ईमान और उम्मीद के साथ गुज़ारे, उसके पिछले गुनाह माफ़ कर दिए जाएंगे। (सहीह बुखारी, हदीस नंबर 1901)
- सही मुस्लिम से रिवायत हैं,की इब्ने उमर कहते हैं , रसूल अल्लाह सल्लेहलाहु वसल्लम ने फरमाया रमादान के आखरी अश्रे मैं सबे कदर तलाश करो फिर अगर तुम मैं से कोई कमजोरी दिखाए या आजीज हो जाए तो आखरी सात रातों मैं सुस्ती ना करे ।
इन हदीसों से साबित होता है कि लैलत-उल-क़द्र का मक़ाम और अहमियत क़ुरान और सुन्नत में बहुत बुलंद है। इस रात को इबादत और दुआओं का बेहतरीन मौका समझा गया है, और इस रात को ढूंढ कर गुज़ारना हर मुसलमान का फर्ज़ है।
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लैलतुल कद्र मैं मांगने वाली अहम दुआ:
اللَّهُمَّ إِنَّكَ عَفُوٌّ تُحِبُّ الْعَفْوَ فَاعْفُ عَنِّي
“अल्लाहुम्मा इन्नका अफुव्वुन तुहिब्बुल अफवा फाअफूअनी।”
तर्जूमा: ये अल्लाह तू बक्सनें वाला है, और तू बक्शने को पसंद करता है, तो मुझे भी माफ करदे ।
Surah Qadr in Arabic। सूरह क़द्र अरबी में।
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
(1) إِنَّآ أَنزَلۡنَٰهُ فِي لَيۡلَةِ ٱلۡقَدۡرِ
(2) وَمَآ أَدۡرَىٰكَ مَا لَيۡلَةُ ٱلۡقَدۡرِ
(3) لَيۡلَةُ ٱلۡقَدۡرِ خَيۡرٞ مِّنۡ أَلۡفِ شَهۡرٖ
(4) تَنَزَّلُ ٱلۡمَلَـٰٓئِكَةُ وَٱلرُّوحُ فِيهَا بِإِذۡنِ رَبِّهِم مِّن كُلِّ أَمۡرٖ
(5) سَلَٰمٌ هِيَ حَتَّىٰ مَطۡلَعِ ٱلۡفَجۡرِ
Surah Qadr In Hindi। सूरह क़द्र हिंदी में।
- बिसमिल्लाह हिररहमान निररहिम।
(1) इन्ना अंजलनाहु फि लेइलातिलकद्र।
(2) वामा अदराका मा लेइलातिलकद्र।
(3) लेइलातिलकद्रे खैरुन मिन – अल्फेह शहर।
(4) तानाजालूल मलैकातु वररुहु फिहा, बेइजनी रब्बी हिम मिन कुल्ले अम्र।
(5) सलामुन हेया हत्ता मतलाअहिल फज्र।
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Surah Qadr Tarjuma In Hindi। सूरह क़द्र तर्जुमा हिंदी में।
शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से जो सब पर रहम करने वाला है, बहुत मेहरबान है।
(1) बेसक हमने इस (क़ुरआन) को शब-ए-क़द्र में नाज़िल किया है।
(2) और आपको क्या मालूम कि शब-ए-क़द्र क्या है?
(3) शब-ए-क़द्र एक हज़ार महीनों से भी बेहतर है।
(4) उस रात में फ़रिश्ते और रूह अपने परवरदिगार की इजाज़त से हर काम के लिए उतरते हैं,
(5) यह रात पूरी तरह सलामती वाली है, जो सुबह के फज्र होने तक रहती है।
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Surah Qadr in English। सूरह क़द्र अंग्रेजी में।
In the name of Allah , the Entirely Merciful, the Especially Merciful.
(1) Indeed, We sent the Qur’an down during the Night of Decree.
(2) And what can make you know what is the Night of Decree?
(3) The Night of Decree is better than a thousand months.
(4) The angels and the Spirit descend therein by permission of their Lord for every matter.
(5) Peace it is until the emergence of dawn.
अंत में, सूरह कद्र की फजीलत और अहमियत को समझना हर मुसलमान के लिए जरूरी है। यह सूरह, जो शब-ए-क़द्र की फजीलत को बयान करती है, हमें इबादत, दुआ और कुरान की तिलावत में मशगूल रहने की बातें करती है। इस रात की इबादत हज़ार महीनों से बेहतर है, और यह अल्लाह की रहमत और मगफिरत का दरवाजा खुलता है। हर मुसलमान को इस रात को खोजना चाहिए और इसकी बरकत से फैदा उठाने की कोशिश करनी चाहिए।
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Surah Qarar Ke Bare Mein Aham Sawaalat। सूरह क़द्र के बारे में अहम सवालात।
1. सूरह कद्र से आप क्या समझते हैं?
सुरा कदर जो बोहोत एहम सुराह हैं जो लेलातुल कद्र मैं पढ़ने की हुकुम हैं जिसमे अल्लाह की रहमतों का जिक्र हैं । जो उन्होंने हमें अहम रात अता फरमाया जो की लेलातुल कद्र हैं ।
2. शब-ए-कद्र के पाक रात में कौन सी अफजल दुआ पढ़ी जाती है?
ये दुआ पढ़ी जाती है:
अल्लाहुम्मा इन्नका अफुव्वुन तुहिब्बुल अफवा फाअफूअनी।”
3. शब-ए-कद्र की नमाज में आमतौर पर कितनी रकातें अदा की जाती हैं?
ये नफली इबादत होती हैं तो जितना चाहिए पढ़ सकते है ।
4. लैलातुल कद्र के अवसर पर कौन सी नमाज बहुत ही अहम मानी जाती है?
रात मैं पढ़ी जाने वाली नाफली नमाजे।
5. लैलातुल कद्र की रात को किन इबादतों को लाज़मी दी जानी चाहिए?
कुरान की तिलावत या कुरान को सुनना, रातों के नफली नमाज़ , खुसूशी दुआ करनी चाहिए।
I attained the title of Hafiz-e-Quran from Jamia Rahmania Bashir Hat, West Bengal. Building on this, in 2024, I earned the degree of Moulana from Jamia Islamia Arabia, Amruha, U.P. These qualifications signify my expertise in Quranic memorization and Islamic studies, reflecting years of dedication and learning.
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