Dua E Qunoot
Dua E Qunoot

Dua-e-Qunoot: Fazilat, Tareeqa Aur Tarjuma Hindi Mein

Dua E Qunoot In Hindi: दुआ ए क़ुनूत हिंदी:

दुआ ए कुनऊत सुन्नते मुआकक्दा है तो इसे जरूर नमाज़ में पढ़ना चाहिए बरहाल ये सूरह याद न भी हो तो कोई भी दुआ पढ़के नमाज़ हो सकती है :

दुआ ए क़ुनूत एक अहम दुआ है जो नमाज के वक्त पढ़ी जाती है, खास तौर पर विटर की नमाज में। इस दुआ का मकसद अल्लाह से मदद और रहमत की दरख्वास्त करना होता है। ये दुआ इंसान की जिंदगी में सुकून का ज़रिया बन सकती है। इसका पढ़ना नमाज को मकबूल बनाता है और अल्लाह की नजर में इंसान की अहमियत को बढ़ाता है। इसमें अल्लाह की कुदरत और खुदाई का ज़िक्र होता है, जो हर मुसलमान के लिए रहनुमाई और हिदायत का ज़रिया है। इस दुआ के फायदें और तरीके जानने से आप इसकी अहमियत को समझ सकते हैं।

हज़रत उबाई इब्ने काब रजी अल्लाहु अनहू फरमाते है: रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम 3 बेतेर पढ़ते और दुआ ए कुनऊत रुकु से पहले पढ़ते थे :

  • दुआ ए कुनऊत बितर में हाथ उठाने के बारे में कोई मरफू रिवाएत नही है की हाथ उठाके पढ़ी जाए ! इसलिए हाथ उठाकर या  हाथ उठाए बगैर दोनों तरीकों से दुआ ए कुनऊत बितर परना दुरुस्त है:

Dua E Qunoot Arbic (Hanfi): दुआ ए क़ुनूत अरबीमें (हनीफा):

اَللَّهُمَّ إنا نَسْتَعِينُكَ وَنَسْتَغْفِرُكَ وَنُؤْمِنُ بِكَ وَنَتَوَكَّلُ عَلَيْكَ وَنُثْنِئْ عَلَيْكَ الخَيْرَ وَنَشْكُرُكَ وَلَا نَكْفُرُكَ وَنَخْلَعُ وَنَتْرُكُ مَنْ ئَّفْجُرُكَ اَللَّهُمَّ إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَلَكَ نُصَلِّئ وَنَسْجُدُ وَإِلَيْكَ نَسْعأئ وَنَحْفِدُ وَنَرْجُو رَحْمَتَكَ وَنَخْشآئ عَذَابَكَ إِنَّ عَذَابَكَ بِالكُفَّارِ مُلْحَقٌ

(अत-तिर्मिधि: 464, अबू दाऊद: 1425)

Dua E Qunoot Hanfi

Dua-E Qunoot Hindi (Hanfi): दुआ ए क़ुनूत हिन्दीमें (हनीफा):

अल्लाह हुम्मा इन्ना नास्ता-ईनोका वा नास्ताघफिरुका वा नु’मिनु बिका वा नटवक्कालु अलाइका वा नुस्नी अलैकाल खैर, वा नश्कुरुका वाला नक्फुरुका वा नखला-ऊ वा नटरुकु माई यफजुरूका, अल्लाह हुम्मा इय्याका ना’बुदु वा लाका नुसल्ली वा नस्जुद वा इलाइका नास आ वा नहफिजु वा नरजू रहमा तका वा नख्शा अजाबाका इन्ना अजाबाका बिल कुफ़री मुलहिक:

Dua E Qunoot In Hindi Hanfi

Dua E Qunoot Tarjuma (Hanfi): दुआ ए क़ुनूत तर्जुमा (हनीफा):

ए अल्लाह हम तुझे मदद चाहते हैं: और तुझ से माफी मांगते हैं तुझ पर ईमान रखते हैं और तुझ पर भरोसा करते हैं :और तेरी बहुत अच्छी तारीफ करते हैं और तेरा शुक्र करते हैं और तेरी ना शुक्रि नहीं करते और अलग करते हैं और छोड़ते हैं इस शख्स को जो तेरी नाफरमानी करें:

ये सुरह तिर्मिजी 464, हदीश से रिवायत हैं! और अबू दाऊद: 1425 हदीश से साबित हैं ।

Dua E Qunoot Tarjuma Hanfi

Dua E Qunoot Arbic (Shafi): दुआ ए क़ुनूत अरबीमें (शफ़ीई):

Shafi

اللَّهُمَّ اهْدِنِي فِيمَنْ هَدَيْتَ وَعَافِنِي فِيمَنْ عَافَيْتَ وَتَوَلَّنِي فِيمَ تَوَلَّيْتَ وَبَارِكْ لِي فِيمَا أَعْطَيْتَ وَقِنِي شَرَّ مَا قَضَيْتَ إِنَّكَ تَقْضِي وَلاَ يُقْضَى عَلَيْكَ وَإِنَّهُ لاَ يَذِلُّ مَنْ وَالَيْتَ وَلاَ يَعِزُّ مَنْ عَادَيْتَ تَبَارَكْتَ رَبَّنَا وَتَعَالَيْتَ

Dua E Qunoot in arbic Shafi

Dua E Qunoot Hindi(Shafi): दुआ ए क़ुनूत हिन्दीमें (शफ़ीई):

अल्लाहुम्महदिनी फीमन हदैत, वआफिनी फीमन आफैत व तवल्लनी फीमन तवल्लैत, वबारिक ली फीमा अस्त, वकिनी शर-र मा कज़ैत, फइन्न-क तकज़ी वायुकज़ा अलैक, वइन्नहू ला यजिल्लु मंव वालैत, तबारक – रब्बना व तआलैत:

Dua E Qunoot Tarjuma (Shafi): दुआ ए क़ुनूत तर्जुमा (शफ़ीई):

ए अल्लाह मुझे हिदायत देकर उन में शामिल कर दे जिन्हें तूने हिदायत दी,और मुझे आफियत आता कर के उनमें शामिल कर दे जिन्हें तूने आफ़ीयत अता की, और मुझे अपना दोस्त बना ले, और अपने दोस्तों में मुझे शामिल कर ले, और जो कुछ तूने दिया है उसमें मुझे बरकत दे और मुझे उसे बुराई से बचा जिसके होने का तूने फैसला किया है, बेशक तू ही हुक्म देता है और कोई तुझ पर हुकुम नहीं कर सकता और बेशक वह कभी भी जलील नहीं होता जिससे तूने दोस्ती की हो: तू मुबारक है : ए हमारे रब और तू बुलंद है:

Dua E Qunoot Tarjuma Shafi

Dua E Qunoot Ke Baare Mein Kuch Ahem Sawaa।at: दुआ ए क़ुनूत बारे में कुछ अहम सवालात:

1. वित्र की नमाज़ का वक्त क्या है?
वित्र की नमाज़ का वक्त इशा की नमाज़ के बाद से लेकर फजर से पहले तक होता है। यह नमाज़ रात के आखिरी हिस्से में बेहतर है, क्योंकि इस वक्त Allah की रहमत का ज़्यादा नूर होता है।

2. दुआ क़ुनूत की अहमियत क्या है?
दुआ क़ुनूत वित्र की नमाज़ में एक ख़ास दुआ है, जो अल्लाह से मदद और रहमत मांगने के लिए पढ़ी जाती है। इस दुआ की अहमियत इसलिए है क्योंकि यह हमें खुदा के क़रीब ले जाती है और हमारे गुनाहों की मगफिरत की दुआ होती है।

3. वित्र की नमाज़ का तरीका क्या है?
वित्र की नमाज़ तीन रक आत होती है। पहली दो रक’आत फ़र्ज हैं, और तीसरी रक’आत में दुआ क़ुनूत पढ़ी जाती है। पहली दो रक’at में फातिहा और क़ुरान की किसी सूरह का तिलावत करते हैं, तीसरी रक’आत में दुआ क़ुनूत के बाद अल्लाहु अकबर कहकर रुकू किया जाता है।

4. दुआ क़ुनूत किस तरह से पढ़ी जाए?
दुआ क़ुनूत को तीसरी रक’आत में, रुकू से पहले पढ़ा जाता है। इस वक्त हाथ ऊपर करके अल्लाह से दुआ करते हैं। दुआ क़ुनूत पढ़ते वक्त खुलूश और तवक्कुल के साथ दुआ करें, ताकि अल्लाह पाक की रहमत का दरवाजा आपके लिए खुल जाए और आप उन लोगो में हो जाए जिनसे अल्लाह मोहब्बत करता है

5. अगर दुआ क़ुनूत भूल जाएं तो क्या करें?
अगर दुआ क़ुनूत भूल जाएं, तो कोई बात नहीं। नमाज़ के बाद या रुकने के बाद भी अल्लाह से दुआ कर सकते हैं। नमाज़ के वक्त अल्लाह  माफ़ करने वाले हैं, इसलिए खुदा से अपनी खता की माफी मांगनी चाहिए।

6. वित्र की नमाज़ का क़सर (छोटा करना) कैसे किया जाए?
वित्र की नमाज़ का क़सर नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह एक फ़र्ज़ नमाज़ है। लेकिन अगर आप सफर में हैं, तो आप इशा की नमाज़ को क़सर करके दो रक’आत पढ़ सकते हैं, लेकिन वित्र हमेशा तीन रक’आत ही पढ़नी चाहिए।

7. क्या वित्र की नमाज़ जमात में पढ़ी जा सकती है?
वित्र की नमाज़ जमात में भी पढ़ी जा सकती है। अगर आप मस्जिद या किसी और जगह पर हैं, तो इमाम के साथ मिलकर वित्र की नमाज़ पढ़ सकते हैं। यह मस्जिद की इबादत का हिस्सा होती है और इससे बरकत मिलती है।

1 Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *