Surah Al-Fatiha: Hindi Mein Padhen, Aur Samjhen Tarjuma Ke Saath

 

Surah Fatiha In Hindi। सूरह अल-फातिहा हिंदी।

सूरह फातेहा  को अरबी में खोलने को कहते है फातिहा का मतलब है खोलने वाली कुराने पाक की इब्तेदा इसी से होती है इससे कुरान ए पाक खुलता है ।

  • हजरत अबू हुरैरा राजियल्लाह अन्हा फरमाते है कि आप सल्लल्लाहू अलैः वसल्लम फरमाते है सुराह अलहुमदुलीलाह ही उम्मुल किताब उममुल कुरान और दोहराई हुई सात आयते है इस सूरत का नाम अशशिफा भी है सुराह अल फातिहा कुरान ए हकीम की वाहिद सुराह है जिसकी फजीलत कुरान में आई है कुरान की कोई भी ऐसी  सूरत नही है जो सुरा एखलाक भी की और जिसकी फजीलत कुरान में आई हो सिवाय सूरत अल्फातीहा के।
  • सूरह फातिहा यह नमाज का रुकुन है इसलिए जिस शख्स ने सूरह फातिहा ना पड़ी हो नमाज में उसकी नमाज नहीं होती। अगर आप नमाज़ पढ़ने का सही तरीक़ा जानना चाहते हैं, तो आप हमारे नमाज़ से मुताल्लिक़ व्लॉग देख सकते हैं।

Surah Al-Fatiha Ki Fazilat। सूरह अल-फातिहा की फजीलत।

  • सूरह फातिहा और दूसरी सुरह अल बकरा  की आखरी 2 आयात आप सल्लेल्लाहु अलैह  वसल्लम इन दोनों में से जब भी कोई  कालिमा तिलावत करेंगे तो आप सल्लल्लाहु अलैह  वसल्लम को मांगी हुई तलब गर्दा चीज़ जरूर अता की जाएगी इसे सही मुस्लिम ने रिवायत की है । इसलिए फजीलत के एतबार से कुरान पाक की सबसे अफजल सूरत  “सुराह अल्फातिहा है।
  • सूरह फातिहा बेहतरीन दम है हर बीमारी से शिफा का जरिया है इसलिए इसे पढ़ कर अपने ऊपर दम किया करें।
  • सूरह फातिहा अफजल सूरा है इसे पढ़कर कोई भी दुआ मांगी जाए तो वह कबूल होती है बरहाल इसे अपने दुआओं में जरूर शामिल करे।

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 Surah Fatiha In Arabic। सूरह फातिहा अरबी में।

Surah Fatiha In Arabic

أَعُوْذُ بِاللّٰهِ مِنَ الشَّيْطٰانِ الرَّجِيْمِ

بِسۡمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحۡمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ

ٱلۡحَمۡدُ لِلَّهِ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ

ٱلرَّحۡمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ

مَٰلِكِ يَوۡمِ ٱلدِّينِ

إِيَّاكَ نَعۡبُدُ وَإِيَّاكَ نَسۡتَعِينُ

ٱهۡدِنَا ٱلصِّرَٰطَ ٱلۡمُسۡتَقِيمَ

صِرَٰطَ ٱلَّذِينَ أَنۡعَمۡتَ

عَلَيۡهِمۡ غَيۡرِ ٱلۡمَغۡضُوبِ

عَلَيۡهِمۡ وَلَا ٱلضَّآلِّينَ

Surah Al-Fatiha Hindi Me Tarjuma Ke Saath। सूरह अल-फातिहा हिंदी में तर्जुमा के साथ।

सूरह अल-फातिहा हिंदी में तर्जुमा के साथ

आउजुबिल्ला हिमीनशशैता निर्र्जीम।
में पनाह चाहती हु अल्लाह की सयतान मरदूद से।

बिस्मिल्लाह हिररहमा निररहीम।
सुरु करती हु अल्लाह का नाम लेकर जो बहुत मेहरबान और बार बार रहम फरमाने वाला है।

अल्हम्दुलिल्ला हिरब्बिल आलामीन।
सब तारीफ अल्लाह के लिए है जो रब है तमाम जहान का।

अररहमा  निरहीम।
जो बड़ा मेहरबान और बार बार रहम फरमाने वाला है

मालिकी यौमिद्दीन।
जो मालिक है बदले (कयामत) के दिन का।

इय्याकना अब्दुवा इय्याकनस्ता ईन।
सिर्फ तेरी इबादत हम करते है और सिर्फ तुझसे हम मदद चाहते।

इह्दिनास्सिरात्तल मुस्ताकीम।
सीधा रास्ता दिखा हमको।

सिरात्तल्लाजीना अनाम्ता अलैहिम।
उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने इनाम किया।

गैरिल मगदूबि अलैहिम वलाद्दाल्लीन।
जो नही गदब हुए और न हि वो भटके  है।

आमीन ..
ये अल्लाह ये दुआ मेरी कबुल फरमा।

 

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(2) अगर आप किसी इमारत की तारीफ करें तो डर हकीकत वो हमारे बनने वाले की तारीफ होती है, लहजा इस कायनात में है जिस किसी चीज की तारीफ की जाए वो बिल आखिर अल्लाह ताला ही की तारीफ है; क्योंकि वो चीज उसकी बनाई हुई है, तमाम जहानों का परवरदिगार कह कर उसकी तरफ इशारा किया गया है, इंसानों का जहां हो या जानवरों का, सब की तखलीक और परवरिश अल्लाह ताला ही का काम है और जहानों में जो कोई चीज काबिल-ए-तारीफ़ है वो अल्लाह तआला की तख़लीक और शान-ए-रूबुबियत की वजह से है।

(3) रोज़-ए-जज़ा का मतलब है वो दिन जब तमाम बंदों को दुनिया में कई हुए अमाल का बदला दिया जाएगा, यूं तो रोज़-ए-जज़ा से भी कायनात की हर चीज़ का असली मालिक अल्लाह ताला है ; लेकिन यहां खास तोर पर रोज-ए-जजा के मालिक होने का जिक्र इस तरह किया गया कि दुनिया में अल्लाह तआला ने ही इंसानों को बहुत सी चीजों का मालिक बनाया है, ये मिल्कियत अगरचे नकीस और अर्जी है ताहम जाहिर सूरत के लहज से मिलकियत ही है, लेकिन कयामत के दिन जब अल्लाह तआला जज़ा ओ सज़ा का मरहला आएगा तो ये नक़ीस और अर्जी मिलकियत भी ख़त्म हो जाएगी, हमें वक़्त ज़ाहिर मिलकियत भी अल्लाह तआला के सिवा किसी की न होगी।

(4) यहां से अल्लाह ताला के लिए दुआ करने का तरीका सिखाया जा रहा है और इसके साथ ये वाजेह कर दिया गया है कि अल्लाह ताला के सिवा कोई क़िस्म की इबादत नहीं, नाईज़ हर काम में हकीकत अल्लाह तआला ही से मांगनी चाहिए; क्योंकि सही मानी में कार साज़ उसके सिवा कोई नहीं, दुनिया के बहुत से कामों में बाज़ औकात किसी इंसान से जो मदद माँगती है, वो उसे कर समझ कर नहीं; बलके एक जाहिर सब समझ कर मांगी जाती है।

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Surah Fatiha Ke Baare Mein Kuch Ahem Sawaalat। सूरह फातिहाके बारे में कुछ अहम सवालात।

1. सूरह फातिहा पढ़ने के बाद “आमीन” पढ़ने का मक़सद क्या है?

आमीन पढ़ने का मकसद है की ये अल्लाह हमारी ये दुआ कबूल फरमा ।

2. सूरह फातिहा का क्या मतलब है?

सूरह फातिहा का मतलब है खोलना ! इसकी इब्तेदा कुरनेपाक को खोलने से है ।

3. सूरह फातिहा पढ़ने से क्या फायदा होता है? 

सूरह फातिहा पढ़ कर  दुआ मांगी   जाए तो वह दुआ कबूल होती है ।और यह बेहतरीन दम है जिससे हर बीमारी की सिफा होती है ।

4. सूरह फातिहा कब पढ़ना चाहिए?

सूरह फातिहा पड़ने के लिये कोई सही वक्त नही होती है आपकी जब दिल चाहे आप सूरह फातिहा पड़ सकते है। क्यूँकी सूरह फातिहा पड़ने की बहुत  सारे फायदे है। बरहाल इसे अपने नमाज़ में जरूर पढ़े क्योंकि सूरह फातिहा बिना पढ़ कर नमाज नहीं होती।

5. सूरह फातिहा कितनी बार पढ़ना है?

सूरह अल-फातिहा आपको जितनी बार पड़ने की दिल करे आप उतनी बार पड़ सकते है। अगर आप नमाज मे पड़ते है तो हर नमाज की हर रकात के सुरू मे एकबार सूरह फातिहा पड़ना फर्ज  है ।

6. नमाज में सूरह फातिहा पढ़ना क्या है?

नमाज में सूरह फातिहा पढ़ना एक एहम फर्ज है जिसके बिना नमाज नही होगी । इसलिए आप कोई भी  नमाज अदा करे तो आप सूरह फातिहा पड़ना ना भूले ।

7. सूरह फातिहा का दूसरा नाम क्या है?

सूरह फातिहा का दूसरा नाम उम्मुल कुरान भी है और आम भासा मे हम इसे अलहुमदुलीलाह सूरह के नाम से भी जानते है ।

8. सूरह फातिहा में कितनी आयतें हैं?

सूरह फातिहा मे कुल सात आयतें हैं।

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