Mitti Dene Ki Dua
Mitti Dene Ki Dua

Kabr Mein Mitti Daalne Ki Dua

मिट्टी देने की दुआ एक इस्लामी दुआ है जो किसी की दफ़न करते वक्त पढ़ी जाती है। ये एक ग़मगीन लम्हा है जहाँ मरहूम के लिए माफ़ी, रहम और सुकून की दुआएँ की जाती हैं। ये रस्म आख़िरी अलविदा को दरुस्त करती है और मरहूम के सफ़र का आग़ाज़ है जो आनायत के बाद में होता है। यह मौक़ा सोचने और रूहानी तल्लुक़ात का लम्हा है जो दफ़न में मौजूद लोगों के लिए होता है, ज़िंदगी का मामूली होने की अहमियत को तस्लीम करते हुए और अख़िरत के लिए तय्यारी का इहतिमाम करते हुए।

मिट्टी देने की दुआ अरबी मे। Mitti Dene Ki Dua Arabi Me

Mitti Dene Ki Dua Arabi Me

क़ब्र पर मिट्टी देने का तरीक़ा। Qabar Par Mitti Dene Ka Tarika

content required

मिट्टी देने की दुआ पड़ने की फ़ज़ीलत। Mitti Dene Ki Dua Padhne Ki Fazilat

मिट्टी देने की दुआ” को पढ़ने की फ़ज़ीलत के बारे में कुछ इस्लामिक हदीस हैं। यह दुआ छोटी है और लोग इसे अपनी रोज़ मर्रा की ज़िंदगी में इस्तेमाल करते हैं।

मिट्टी देने की दुआ पढ़ने की फ़ज़ीलत की एक हदीस है:

मिट्टी देने की दुआ पढ़ने की फ़ज़ीलत की एक हदीस है:

हज़रत अबु हुरैरह (रदियअल्लाहु अन्हु) से रिवायत है के, रसूल अल्लाह (सल्ललाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया:

“जब कोई शख़्स एक मुफ़्लिस को मिट्टी देने के लिए दावत करे, तो वह मिट्टी देने के लिए ज़रूर दुआ करेगा, और अगर वह कोई फ़र्ज़ (अनिवार्य) दुआ न मांगे, तो फिर उसकी दुआ क़बूल होने का कोई डर नहीं।” (तिरमिज़ी)

इस हदीस से मालूम होता है के मिट्टी देने की दुआ पढ़ने की फ़ज़ीलत है और अल्लाह ता’ला इसकी क़बूलियत को पसंद करते हैं। इससे समझा जा सकता है के छोटे छोटे अमल भी अल्लाह के नज़दीक बड़े मायने रखते हैं, अगर हम उन्हें ईमान से और ख़ुलूस के साथ करते हैं।

मय्यत को कबर मैं दाखिला करते वक्त की दुआ: 

बिस्मिल्लाही आला मिल्लती रसुलिल्लाह l

तर्जुमा: अल्लाह के नाम से और रसूल अल्लाह सल्लेलाहू अलेही वसल्लम के मिल्लत पर हम इसे दफन कर रहे हैं l

Read Also, Dua E Qunoot

मिट्टी डालेने की पड़ने ने की दुआ

मिट्टी डालेने की पड़ने ने की दुआ

जब आप पहली बार मिट्टी डाले तो पड़े 

मिन्हा खलकना कुम

مِنْهَا خَلَقْنَاكُمْ

तर्जुमा: अल्लाह ता’अला फरमाते है की तुमको इसी मिट्टी से बनाया है l

व फिहा नुईदुकुम

जब आप दूसरी बार मिट्टी डाले तो पड़े:

व फिहा नुईदुकुम

وَفِيهَا نُعِيدُكُمْ

तर्जुमा: और उसी में हम तुम्हे वापस लोटाते है l

Read Also, Khane Ki Dua

जब अप तीसरी बार मिट्टी डाले तो पड़े:

व मिन्हा नुखरिजुकुम तारतन ऊखरा

وَمِنْهَا نُخْرِجُكُمْ تَارَةً أُخْرَىٰ 

तर्जुमा: आखिरत मे इसी मिट्टी से हम तुमको उठांएगे

Conclusion

मिट्टी देने की दुआ एक अहम इस्लामी amal है जो किसी की तद्फीन के वक्त की जाती है। यह दुआ न सिर्फ मरहूम के लिए रहमत और मगफिरत की दरख्वास्त है बल्कि यह दुनियावी ज़िंदगी की आरज़ियत को भी याद दिलाती है। यह लम्हा उनके लिए गौर-ओ-फिक्र का मौक़ा फ़राहम करता है जो इस वक्त मौजूद हैं, और उन्हें आख़िरत की तैयारी की याद दिलाता है। हदीस में भी इस दुआ की फ़ज़ीलत बयान की गई है, जिससे यह ज़ाहिर होता है कि यह छोटे आमाल भी अल्लाह की नज़र में बड़े मकाम रखते हैं। इस दुआ का सही तरीका और पढ़ने की कैफ़ियत मरहूम की रूह को सुकून फ़राहम करती है।

Watch Now

Read Also,
Taraweeh Ki Dua Azaan Ke Baad Ki Dua Dua E Masura
Sone Ki Dua Roza Rakhne Ki Dua Kurbani Ki Dua

मिट्टी देने की दुआ” के बारे में कुछ अहम सवालात। Mitti Dene Ki Dua Ke Baare Mein Kuch Ahem Sawaalat

जब मुर्दे को कब्र में उतरे तो ये दुआ पढ़नी चाहिए l

बिस्मिल्लाही आला मिल्लाती रसूलिल्लाह l

मरहूम के लिए ये दुआ पड़े!

अल्लाहूम्मा इन्ना फुलानाबना फुलानीन फिजिम्मादिका वाहाबली जिवारिका फकीदी मीन फितनातीलकबरी वाअजाबिन्नार वाअन्ता अहलूल वफ़ाई वाल हक्की अल्लाहुम्मा फागफीरलाहू वारहमहु इन्नाका अन्ताल गफूरूररहीम l ( सननअबीदाऊद से रिवाते है)

तर्जुमा: ये अल्लाह बेसक फ्लाह बिन फ्लाह तेरे जिम्मे तेरी पनाह मैं हैं पस इसे कबर की आजमाइस और आग के अजाब से बचा और तू वादा पूरा करनेवाला और बरहक हैं! ये अल्लाह पस इसे बक्स दे और इसपर रहम कर, येकिनन तू ही बक्सने वाला बेहद मेहरबान हैं l

कब्रिस्तान मैं जाए तो ये दुआ पढ़े!

अस्सलामु अलैकुम या अहलल कुबरी यगफिरुल्लाहू लाना वा लाकुम वा अंतुम सलाफूना वा नहनू बिल असारी l

तर्जुमा: ये कब्र वालो तुम पर सलाम हो ! हमे और तुम्हें अल्लाह बक्से तुम हमसे पहले चले गये और हम बादमे आने वाले हैं l

कोई भी सुरह हदीश से साबित नहीं हैं! इसके बरक्स मय्यत के गुसल के बाद उसके सामने कुरान की तिलावत कर सकते है! बहुत ऊलेमा का कहना हैं क्युकी उस वक्त फिजूल बाते करने से बेहतर हैं की अल्लाह का जिक्र करे l बरहाल ये सुन्नत से साबित नहीं है!

किसीके मरने की खबर सुनकर ये दुआ परना हदीश से साबित हैं l

इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलाही राजिउन l

तर्जुमा: हम सब अल्लाह के लिए हैं और हमे लौटकर अल्लाह के तरफ ही जाना हैंl

जब कोई शख्स की मौत हो जाती है, तो सबसे पहले नमाज़-ए-जनाज़ा अदा करनी चाहिए। उसके बाद मिट्टी डालने की दुआ पढ़ी जानी चाहिए और फिर उसको दफ़नाया जाना चाहिए। अंत में, मय्यत की माग़्फ़िरत और बख़्शिश के लिए दुआ की जानी चाहिए।

1 Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *