Namaz-e-Janaja Kya Hota Hai: नमाज ए जनाजा क्या होता है:
नमाज़-ए-जनाज़ा एक ख़ास दुआ है जो हम मुसलमान लोग मरहूम के लिए पढ़ते हैं। जैसे हम जब किसी दोस्त को याद करते हैं और उनके लिए दुआ करते हैं, वैसे ही नमाज़-ए-जनाज़ा में हम उनकी रूह के लिए दुआ करते हैं। इस नमाज़ में हम सब मुसलमान जमात में मिलकर मरहूम के लिए दुआ करते हैं। ये दुआ हमें अल्लाह से माग़फ़िरत (माफ़ी) और रहमत (रेहम) की इल्तिज़ा (दरख्वास्त) करते हुए होती है। और जब हम दुआ ख़त्म करते हैं, तो मरहूम को क़बर में दफ़न किया जाता है। इस तरह से हम उनके लिए अच्छी दुआ करते हैं और उनकी रूह को सुकून मिलता है।
Namaz-e-Janaja Padhne Ki Tarika: नमाज ए जनाजा पड़ने की तरीका:
- सभी नमाज की जैसे हम सबसे पहले नियत करेंगे।
- इमाम के अल्लाह हुआकबर बोलने के बाद मुक्तादि अलहहुआकबर बोलके दोनों हाथों को बाधेगें।
- उसके बाद सना पड़ेंगे।
- आउजुबिल्ला हीमिनस शैतान नीर रजीम बीस मिल्लाह हीर रहमान नीर रहीम पड़ेंगे।
- फिर हम सूरह फातिहा पड़ेंगे।
- सूरह फातिहा के बाद दूसरा सुरह पड़ेंगे। दूसरी सुरह पढ़ना सुन्नत है।
- दूसरी बार जब इमाम अल्लाह हु अकबर बोले तो चाहे अप हाथ उठा सकते है नही त अप हाथ बंधे रहेंगे।
- हाथ उठाना अब्दुल्लाह इन उमर (रा:) से साबित है।
- दूसरी बार अल्लाह हु अकबर बोलने के बाद उम दरूद सरीफ़ परेंगे। दरूद ए इब्राहीम पड़ना सबसे अफजल है।
- दूसरी तकबीर जैसा इमाम जब तीसरी तकबीर पड़े तो चाहे अप हाथ उठा सकते है नही त अप हाथ बंधे रहेंगे।
- तीसरी तकबीर के बाद अप दुआ पड़ेंगे। बहुत सारे दुआ है जिसमे से आप कोई भी एक दुआ पर सकते है।
- फिर इमाम की चौथी तकबीर बोलने क बाद चाहे अप हाथ उठा सकते है नही त अप हाथ बंधे रहेंगे।
- आखिर मे “अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह” बोलें, फिर दाएं तरफ मुंह फेरें, फिर “अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह” बोलें और बाएं तरफ मुंह फेरें।
एस तरीके से हम नमाज ए जनाजा मुकम्मल करेंगे। अब हम जानेंगे नमाज ए जनाजा के बाद कबर मे मिट्टी दल ने की दुआ।
Namaz-e-Janaja Padhne Ki Fazilat: नमाज ए जनाजा पड़ने की फ़ज़ीलत:
- नबी सल्लल्लाहु ताला अलैहि वसल्लम से फरमान है कि जिस शख्स ने जनाजा पढ़ा किसी मुसलमान की उसको एक किरात अज़र मिलेगा, यानी वहुद पहाड़ के बराबर।
- और जिस मुसलमान ने किसी मुसलमान की जनाजे नमाज पढ़ी और उसको दफनाया भी, उसको दो किरात की अज़र मिलेगा।
Namaz-e-Janaza Ki Dua: नमाज ए जनाजा की दुआ।
बालिग़ मर्द की नमाज ए जनाजा की दुआ हिन्दी:
अल्लाहुम्मगफिरली हैयाना वा मय्यतीना वा शाहिदीना वा गाइबीना वा शागिरीना वा कबीरीना वा जकरीना वा उन्साना। अल्लाहुम्मा मन अहयय तहु मिन्ना फअहयिही अलल इस्लाम वमन तवफ फय्यतहु मिन्ना फतवफ्फहु अलल ईमान।
बालिग़ मर्द की नमाज ए जनाजा की दुआ तरजुमा:
ये अल्लाह! बक्सदे हमारे हर जिन्दा को और हमारे हर फोत सुदा को और हमारे हर हाज़िर को और हमारे हर गैब को और हमारे हर छोटे को और हमारे हर बड़े को और हमारे हर मर्द को और हमारी हर औरत को। ईलाही ! तु हम में से जिसको जिन्दा रखे तो उसको इस्लाम पर जिन्दा रख और हम मैं जिसको मौत दे तो उसको ईमान पर मौत दे।
बालिग़ औरत की नमाज ए जनाजा की दुआ ओर तर्जुमा
जो दुआ बालिक मर्द के लिए नमाजे जनाजा में पढ़ी जाती है वो ही दुआ बालिक औरत के लिए भी पढ़ी जाएगी।
नाबालिक लड़के का जनाजे की दुआ हिन्दी ओर तर्जुमा:
नमाज ए जनाजा मे सबसे जादा ओर कॉमन पड़ी जाने बाली दुआ है:
अल्लाहुम्मज्ज अलहू लना फ्लताऊं वजअलहु लना अजराऊं वा जुखराऊं वज अलहु लना शाफीऔं वा मुसफ्फाअऩ।
तरजुमा : इलाही! इस (लड़के) को हमारे लिये आगे पहुंच कर सामान करने वाला बना दे और इस को हमारे लिये अज्र (का मूजिब) और वक़्त पर काम आने वाला बना दे और इस को हमारी सिफ़ारिश करने वाला बना दे और वो जिस की सिफ़ारिश मन्नूर हो जाए
नाबालिक लड़की की जनाजे की दुआ हिन्दी ओर तर्जुमा:
अल्लाहुम्म अज’ल्हा लाना फरतन व अज’ल्हा लाना अज्रा व धुखरा, व अज’ल्हा लाना शाफ़ि’अतन व मुशफ़ि’अता।
तरजुमा: इलाही इस (लड़की) को हमारे लिए आगे बढ़कर सामान लाने वाली बना दे और इस को हमारे लिए अज्र (का मज़दूर) और वक्त पर काम आने वाली बना दे और इस को हमारी सिफारिश करने वाली बना दे और वो जिसकी सिफारिश मंजूर हो जाए।
Namaz-e-Janaja Ke Baare Mein Kuch Aham Sawaalat: नमाज ए जनाजा बारे में कुछ अहम सवालात:
1. जनाजा के लिए कौन सा सूरह पढ़ना है?
जनाजा नमाज़ के लिए कोई खास दुआ मुकर्रर नहीं हैं! इसके बरक्स जो हम आम नमाजो में पड़ते हैं वोही हम नमाजे जनाजा में भी पढ़ेंगे।
2. जनाजा की नमाज में कितने तकबीर होते हैं?
नमाजे जनाजा मैं कुल 4 तकबीर होती है।
3. जनाजा में कौन जा सकता है?
नमाजे जनाजा मैं हर मुसलमान मर्द जा सकते हैं ! इसके बरक्स मुसलमान खवातीन का जाना माना है।
4. जनाजा के बाद क्या करना चाहिए?
जनाजे के बाद ज्यादा से ज्यादा मय्यत के लिए दुआ करे! उनकी मगफिरत की दुआ करे! उनके लिए ज्यादा से ज्यादा अल्लाह से बक्शीस मांगे।
5. क्या मुसलमान कब्रिस्तान में नमाज पढ़ सकते हैं?
कब्रिस्तान मैं नमाज़ पढ़ना मना हैं न ही सुन्नत से साबित हैं इसके अलावा मैय्यत के लिए ज्यादा से ज्यादा दुआ कर सकते है।
6. क्या आप दफनाने के बाद जनाजा की नमाज अदा कर सकते हैं?
मय्यत को दफनाने के बाद नमाजे जनाजा नहीं अदा कर सकते बल्कि इस्तेमाइ दुआ कर सकते हैं।
I attained the title of Hafiz-e-Quran from Jamia Rahmania Bashir Hat, West Bengal. Building on this, in 2024, I earned the degree of Moulana from Jamia Islamia Arabia, Amruha, U.P. These qualifications signify my expertise in Quranic memorization and Islamic studies, reflecting years of dedication and learning.
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