Kalma In Hindi Ki Ahmiyat Aur Uske Fayde: Chhah Kalmo Ki Ibtida। कलमा हिंदी की अहमियत और उसके फायदे: छः कल्मो की इब्तिदा
“कलमा” का मतलब है “घोषणा” या “बयान” और यह उर्दू या अरबी में इस्तेमाल होता है। यह मुसलमानों के लिए अहम होता है क्योंकि यह उनका ईमान और आकीदा का इज़हार है। “कलमा” का सबसे मशहूर और ज़रूरी हिस्सा है “ला इलाहा इल्लाह, मुहम्मदुर रसूलुल्लाह” जो कहता है कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं है, और मुहम्मद (ﷺ) उनके रसूल हैं।
छह कलमात को हमारी रोज़ाना ज़िंदगी में अमल में लाना और उनके असली फायदे हासिल करने का खतरनाक है। हमें आदत बनानी चाहिए कि हम इन कलमात को बार-बार पढ़ते रहें, और हर नमाज़ के बाद इन्हें पढ़ना चाहिए:
Chheh Qalamon Ki Ibtida। छह कलमों की इब्तिदा।
छह कलमात को किसी भी इस्लामी तहरीर में एक साथ जिक्र नहीं किया गया है; ये कलमात क़ुरआन शरीफ़ और हदीस से इंतिख़ाब किए गए हैं। पहला और दूसरा कलमा ईमान का इज़हार है और इस्लाम के पहले रुक्न (तौहीद) को मज़बूत करते हैं, तीसरा और चौथा अल्लाह (سُبْحَانَهُ وَتَعَالَى) को याद करने के हुस्न तरीक़े हैं, और पांचवा और छठा कलमा उसकी रहमत और माग़फ़िरत को दावत देते हैं।
Kalma Tayyab Ki Ibtida। कलमा तय्यब की इब्तिदा।
एक हदीस से साबित है कि एक बार अल्लाह सबहानहु तआला ने मूसा अलैहिस्सलाम से फरमाया कि अगर एक पलड़े में पूरी कायनात रख दी जाए और दूसरे पलड़े में “ला इलाहा इल्लल्लाह।”” रख दी जाए, तो “ला इलाहा इल्लल्लाह” वाला पलड़ा भारी होगा। जो शख्स इस हाल पर मरे, जिसे “ला इलाहा इल्लल्लाह” का इल्म और यकीन हो, तो वो जन्नत में जाएगा। यानी जिसकी ज़िंदगी “ला इलाहा इल्लल्लाह” पर गुज़री और उसकी मौत भी इसी पर आई, तो वो जन्नत में जाएगा।
सही मुस्लिम हादिश नंबर 136 से रिवाएत है की इस्माइल-बिन-इब्राहीम (इब्न-ए-उलेह) ने खालिद से रिवायत की, उन्होंने कहा: वालिद-बिन-मुस्लिम ने मुझे हमरान से, उन्होंने हज़रत उस्मान (रज़ी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत की, कहा: रसूलअल्लाह ﷺ ने फरमाया: “जो शख्स मर गया और वो (यकीन के साथ) जानता था कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं, वो जन्नत में दाखिल होगा।”
सही बुखारी हादिश नंबर 99 से रिवाएत है की उन्होंने कहा, “या रसूलुल्लाह! क़ियामत के दिन आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की शफ़ा’at से सबसे ज़्यादा सआदत किसे मिलेगी?” तो रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया, “ए अबू हुरैरा (रज़ी अल्लाहु अन्हु), मुझे यकीन था कि तुमसे पहले कोई इस बारे में मुझसे दरयाफ़्त नहीं करेगा। क्योंकि मैंने हदीस के मुताल्लिक तुम्हारी लालच देख ली थी। सुनो! क़ियामत में सबसे ज़्यादा फायदेमंद मेरी शफ़ा’at से वो शख्स होगा जो सच्चे दिल से या सच्चे दिल से ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ कहेगा।”
Kalma Shahadat Ki Ibtida। कलमा शहादत की इब्तिदा।
दूसरा कलमा (शहादत) अल्लाह की एकता और आखरी की इप्तेदा करता है कि पैगंबर मुहम्मद (ﷺ)। अंतिमता की पुष्टि करते हुए, अबू हुरैरह (رَضِيَ ٱللَّٰهُ عَنْهُ) ने उन्हें यह कहते हुए बताया: “अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फरमाया, ‘मेरा मज़हर मुझ से पहले आए हुए तमाम पैगंबरों के मज़हरों के मुकाबले में यह है कि एक शख्स ने एक घर खूबसूरत और पुरकशिश तरीके से बना दिया, मगर एक कोने में एक पत्थर की जगह खाली छोड़ी। लोग उस घर के इर्द-गिर्द चक्कर लगाते हैं और उसकी खूबियों पर हैरान होते हैं, लेकिन कहते हैं: “काश यह पत्थर अपनी जगह पर लगा दिया जाए!” तो मैं वही पत्थर हूँ, और मैं पैगंबरों का आख़िरी हूँ।” [सहीह अल-बुखारी 3535]।
Kalma Tamjeed Ki Ibtida। कलमा तम्जीद की इब्तिदा।
तीसरा कलमा (तम्जीद) की बुनियाद इस हदीस से जोड़ी जा सकती है: अबू हुरैराह (रदीयअल्लाहु अन्हु) रिवायत करते हैं के अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फरमाया:
“दो क़ौल हैं जो ज़बान के लिए हल्के हैं, मीज़ान में भारी हैं और रहीम पर अज़ीज़ हैं: ‘सुब्हान-अल्लाहि वा बिहम्दिही, सुब्हान-अल्लाहिल-अज़ीम [अल्लाह की पाकिज़गी और उसकी हम्द है, (और) अल्लाह, सब से बड़ा है, हर एब से पाक है]. [रियाद अस-सालिहीन 1408].
Kalma Tauheed Aur Kalma Astaghfar Ki Ibtida। कलमा तौहीद और कलमा अस्तग़फ़ार इब्तिदा।
अल्लाह से उसकी रहमत के लिए दुआ करते हैं और मुसलमानों को अल्लाह (سُبْحَانَهُ وَتَعَالَى) से माफ़ी तलब करने का एक तरीक़ा है। इब्न ‘अब्बास (रदीयअल्लाहु अन्हु) ने रसूलुल्लाह (ﷺ) की रिवायत की है के फरमाया:
“अगर कोई शख़्स हमेशा अल्लाह से माफ़ी तलब करता है, तो अल्लाह उसके लिए हर परेशानी से निकलने का रास्ता और हर फिक्र से निजात आता फरमाएगा, और उसको रिज़्क़ आता फरमाएगा जहाँ से वह उम्मीद नहीं रखता।” [रियाद अस-सालिहीन 1873]
ये मुसलमानों के लिए मासूम अमल है के वह अल्लाह की वह्दत और आत्माएँ तस्लीम करते हैं। छठा कलमा (रद्द-ए-कुफ़्र) मुसलमानों को दिखाता है के वह सिर्फ़ अल्लाह की इबादत करते हैं। अन-नु’मान बिन बाशिर (रदीयअल्लाहु अन्हु) ने रिवायत की के रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“दुआ, इबादत है।” फिर उन्होंने यह आयत तिलावत फरमाई: “और तुम्हारा रब फरमाता है: ‘मुझे पुकारो, मैं तुम्हें जवाब दूंगा। बेशक, जो लोग मेरी इबादत को हल्का समझते हैं, वो ज़रूर ज़िल्लत के साथ जहन्नुम में दाखिल होंगे।” [जामि` अत-तिर्मिज़ी 3372
Pehla Kalma Tayyab। पहला कलमा तय्यब।
हर नमाज़ के बाद इस कलमा को पढ़ना ईमान को मज़बूत करता है। यह मुसलमान के लिए ज़रूरी है जो हक़ीक़ी मुमिन बनना चाहता है, यानी अल्लाह की वाह्दत का ईमान।
Pehla Kalma In Arbic। पहला कलमा अरबी में
لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ مُحَمَّدٌ رَّسُوْلُ اللّٰهِ
Pehla Kalma In Hindi। पहला कलमा हिंदी में।
ला इलाहा इलल्लाह मुहम्मदुर रसूलुल्लाह
Pehla Kalma Ka Tarjuma। पहला कलमा का तर्जुमा
अल्लाह के सिवा कोई माबुद नहीं और हजरत मोहम्मद सल्लेल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के रसूल है।
Read Also, Taraweeh Namaz
Dusra Kalma Shahadat। दूसरा कलमा शहादत।
हर रोज़ इस कलमा को पढ़ना ईमान को बढ़ाता है और यक़ीन दिलाता है के पढ़ने वाला ईमान पर मरता है। ये इस्लाम क़बूल करने के लिए भी पढ़ा जाता है। यह गवाही देता है कि मुसलमान अल्लाह की वाह्दत में ईमान रखता है और हज़रत मुहम्मद (ﷺ) उनके आख़िरी रसूल हैं। अल्लाह (سُبْحَانَهُ وَتَعَالَى) की ताज़ीम का बयान करता है।
Dusra Kalma Hindi। दूसरा कलमा हिंदी
ؕاَشْهَدُ اَنْ لَّآ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ وَحْدَهٗ لَا شَرِيْكَ لَهٗ وَاَشْهَدُ اَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهٗ وَرَسُوْلُهٗ
Kalima Shahadat Arabic। कलिमा शहादत अरबी।
अशहदू अल्लाह इलाहा इल्ललल्लाह वह दहु ला शारिका लाहू वा अशहदू अन्ना मुहम्मदन अब्दुहु वा रसूलूह।
Read Also, Shab E Barat Ki Namaz
Dusra Kalma Tarjuma। दुसरा कलमा तर्जुमा
मैं गवाही देता हूं के अल्लाह के सिवा कोई माबुद नहीं वह अकेला है उसका कोई शरीक नहीं और मैं गवाही देता हूं के हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के नेक बंदे और आखिरी रसूल है।
Teesra kalma Tamjeed। तीसरा कलमा तमज़ीद।
ये कलमा तस्बीह नमाज़ के दौरान अक्सर पढ़ा जाता है, दुआओं की क़ुबूलियत, दौलत में इज़ाफ़ा, दुश्मनों का तबाह होना और आखिरत में जन्नत की दरख्वास्त के लिए। अल्लाह (سُبْحَانَهُ وَتَعَالَى) की ताज़ीम का बयान करता है।
Teesra Kalma In Arabic। तीसरा कलमा अरबी में
ؕسُبْحَانَ اللّٰهِ وَالْحَمْدُ لِلّٰهِ وَلَآ اِلٰهَ اِلَّااللّٰهُ وَاللّٰهُ اَكْبَرُ ؕ وَلَآ حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ اِلَّا بِاللّٰهِ الْعَلِىِّ الْعَظِيْم
Tisra Kalma Hindi। तीसरा कलमा हिंदी
सुभानल्लाही वॉलहम्दुलिल्लाही वाला इलाहा इल्लल्लाहु वाल्लाहू अकबर,वाला हाउला वाला कुव्वाता इल्ला बिल्लाहिल अलीईय्य्ल अज़ीम ।
Teesra Kalma Tamjeed Meaning In Urdu। तीसरा कलमा तमजीद का उर्दू में मतलब
अल्लाह पाक है और सब तारीफ अल्लाह ही के लिए है । और अल्लाह पाक है उसके सिवाह कोई माबूद नहीं इबादत के लायक तो सिर्फ अल्लाह है। और अल्लाह सबसे बड़ा है । और किसी में ना तो ताकत है! लेकिन अगर कोई ताकत और कुव्वत वाला है तो वो अल्लाह ही है ।जो बहुत शान वाला और सबसे आला है ।
Read Also, Namaz-E-Janaja
Choutha Kalma Tauheed। चौथा कलमा तौहीद।
हर रोज़ नमाज़ों के बाद इस कलमा को पढ़ना शिर्क और ईमान पर हर क़िसम के हमले से हिफ़ाज़त करता है। अल्लाह (سُبْحَانَهُ وَتَعَالَى) की वाह्दत में ईमान को मज़बूत करता है।
Read Also, namaz kaise padhe
Kalma Tauheed In Arabic। कलमा तौहीद अरबी में।
لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ وَحْدَهٗ لَا شَرِيْكَ لَهٗ لَهُ الْمُيُحْىٖ وَيُمِيْتُ وَهُوَ حَئٌّ لَّا يَمُوْتُ اَبَدًا اَبَدًاؕ ذُوال وَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَىْءٍ قَدِیْرٌؕؕ
Chautha Kalma in Hindi। चौथा कलमा हिंदी में
ला इलाहा इल्लल्लाहु वहदहु ला शारिका लहू लाहुल मुल्क वॉलाहुल हम्द यूहयी वा यूमीतू वाहुवा हय्यूल ला यमुतु अबदन अबदा जुल जलाली वॉल ईकराम बियदिही-हील खैर वहुवा अला कुल्ली शैयिन कदीर।
Chautha Kalma Meaning in Hindi। चौथा कलमा का हिंदी मतलब।
तर्जुमा: अल्लाह के सिवा कोई माबुद नहीं इबादत के लायक नहीं! वो एक है उसका कोई शरीक नहीं सब कुछ उसी का है । और सारी तारीफें अल्लाह ही के लिए है वही जिंदा करता है और वही मारता है! और उसे कभी मौत नहीं आने वाली वह बड़े जलाल और बुजुर्गी की रखने वाला है ।अल्लाह के हाथों में हर तरह की भलाई है और वो हर चीज पर कादिर हैं ।
Panchwa Kalma Astaghfar। पांचवा कलमा अस्तग़फ़ार।
: ये कलमा बड़े और छोटे गुनाहों के लिए मग़फ़िरत तलाब करने के लिए फ़ायदा मंद है। ये तस्बीह के तौर पर या फ़र्ज़ नमाज़ों के बाद पढ़ा जाता है। अल्लाह (سُبْحَانَهُ وَتَعَالَى) से माफ़ी और तौबा की दुआ करता है।
Panchwa Kalma Astaghfar Arbic। पंचवा कलमा इस्तगफार अरबी।
اَسْتَغْفِرُ اللّٰهَ رَبِّىْ مِنْ كُلِّ ذَنْۢبٍ اَذْنَبْتُهٗ عَمَدًا اَوْ خَطَاءً سِرًّا اَوْعَلَانِيَةً وَّاَتُوْبُ اِلَيْهِ مِنَ الذَّنْۢبِ الَّذِیْٓ اَعْلَمُ وَمِنَ الذَّنْۢبِ الَّذِىْ لَآ اَعْلَمُ اِنَّكَ اَنْتَ عَلَّامُ الْغُيُوْبِ وَسَتَّارُ الْعُيُوْبِ وَغَفَّارُ الذُّنُوْبِ وَلَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ اِلَّا بِاللّٰهِ الْعَلِىِّ الْعَظِيْمؕ
Panchwa Kalma Astaghfar Hindi। पंचवा कलमा अस्तग़फ़ार हिंदी।
अस्तगफिरुल्लाह रब्बी मिन कुल्ले जम्बीन अज – नब – तहु – आ म-द-न अव ख-त-अन सिर्रान औ अलनीयतंव वा अतुवू इलाइही मिनज- जंबिल- लाजी ला अ – अलमू इन -न -क-अंता अल्लामूल गैबू वा सतराल ऊवूबी वा गफ्फा रुज्जुनुबि वाला- हुल वाला कुव्वाता इल्ला बिल्लाहहिल अल्लेइल अज़ीम।
Read Also, Ramjan Kya Hota Hai
Panchwa Kalma Astaghfar Meaning Hindi। पंचवा कलमा अस्तग़फ़ार अर्थ हिंदी।
तर्जुमा: मैं अपने पर्वरदीगार से अपने तमाम गुनाहों की मगफिरत मांगता हूं जो मैंने जानबूझकर किए या भूलकर किए,यह छुप कर किए या खुल्लम खुल्ला किए !और तौबा करता हूं मैं उस गुनाहों से जो मैं जानता हूं और उस गुनाहों से जो मैं नहीं जानता । ये अल्लाह बेशक तू गैब की बातें जानने वाला है और एबो को छुपाने वाला है! और गुनाहों को बक्सने वाला है। और हमें गुनाहों से बचने और नेकी करने की ताकत नहीं अल्लाह के बगैर, जो की बहुत बुलंद वाला है।
Chhata Kalma Astaghfar। छठा कलमा अस्तग़फ़ार।
हर रोज़ इस कलमा को पढ़ना गहरी भटकी, ज़िना, शिर्क और ईमान पर हर क़िसम के हमले से बचाता है। ये गुनाहों के लिए भी पढ़ा जाता है। कुफ़्र को इनकार करता है और पूरी तरह अल्लाह (سُبْحَانَهُ وَتَعَالَى) की तरफ़ मुतवज्जिह होता है।
Chhata Kalma Astaghfar Arbic। चता कलमा इस्तग़फ़ार अरबी
اَللّٰهُمَّ اِنّىِ اَعُوْذُبِكَ مِنْ اَنْ اُشْرِكَ بِكَ شَيْئًا وَّاَنَآ اَعْلَمُ بِهٖ وَاَسْتَغْفِرُكَ لِمَا لَآ اَعْلَمُ بِهٖ تُبْتُ عَنْهُ وَتَبَرَّأْتُ مِنَ الْكُفْرِ وَالشِّرْكِ وَالْكِذْبِ وَالْغِيْبَةِ وَالْبِدْعَةِ وَالنَّمِيْمَةِ وَالْفَوَاحِشِ وَالْبُهْتَانِ وَالْمَعَاصِىْ كُلِّهَا وَاَسْلَمْتُ وَاَقُوْلُ لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ مُحَمَّدٌ رَّسُوْلُ اللّٰهِؕ
Chhata Kalma Astaghfar Hindi। छटा कलमा अस्तग़फ़ार हिंदी।
अल्लाहुम्मा इन्नी आऊजुबिका मिनआना उशरीका विका शय-अन वा आना अलमू बिहि वा अस्तगफिरुका लीमा ला अलमु बिहि तूब्तू अनहु वा तबर्रअतु मिनल कुफरी वशशिरकी वल किज्बी वल गिबती वल बिदअती वन नमीमती वल फवाहिशी वल बुहतानी वल मआशी कुल्लिहा वा अस्लमतु वा अकुलु ला इलाहा इल्ललाहु मोहम्मदुर रसुलूल्लह ।
Read Also, muharram kya hai
Chhata Kalma Astaghfar Meaning in Hindi। छटा कलमा अस्तग़फ़ार का हिंदी मतलब।
तर्जुमा: अल्लाह मैं तेरी पनाह मांगता हूं इस बात से के मैं किसी को जानबूझकर तेरी शरीक बनाउं और बक्शीश मांगता हूं तुझसे उस सिर्क की जिसको मैं नहीं जानता और मैं हर तरह के कुफ्र और सिर्क से तौबा की अलग हुए झूठ से और गिबत से और बिदअत से और चुगली से और बेहईयो से और बोहतान से और तमाम गुनाहों से । और मैं इस्लाम लाया और मैं कहता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं और हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम अल्लाह के रसूल है।
Chheh Kalmaat Parhne Ke Faide। छह कलमात पढ़ने के फायदे।
- कलमा ईमान में और अल्लाह (سُبْحَانَهُ وَتَعَالَى) में येकिन की मजबूती देती हैं और इसे मज़ीद तकवा बरती हैं।
- कलमा जाहिरी और छुपी हुई रूहानियत मैं कमियाबी अता फरमाती है।
- तौहीद का समझ और अल्लाह की वहदानियत और अज़मत में और अल्लाह पर ईमान लाने मैं मज़ीद मज़बूत पैदा करती है।
- बहुत ज़्यादा जिस्मानी सुकून और दिमागी सुकून पैदा करती है।
- इंसान के अखलाक को बेहतर बनाती है और तवाज़ो और शुक्र गुज़ारी का नशुनुमा करती है।
- दुनिया मैं भी कमियाबी मिलती हैं और अखिरत मैं भी कामयाबी हासिल होती है।
Read Also, | ||
Attahiyat | Bakrid Eid | Durood E Ibrahim |
Ayatul Kursi | Chand Dekhne Ki Dua | Islamic Shayari |
Kalma Ke Bare Mein Aham Sawaalat। कलमा के बारे में अहम सवालात।
1. कुल कितने कलमा हैं?
कलमा बहूत सारे होते है! लेकिन हदीश से साबित अफजल कलमा 6 हैं।
2. 6 कलमों के नाम क्या हैं?
- पहला कलमा तैय्यब
- दूसरा कलमा सहादत
- तीसरा कलमा तमजीद
- चौथा कलमा तौहीद
- पांचवा कलमा अस्तगफआर
- छठा कलमा अस्तगफार
3. सुन्नीयों के कितने कलिमे होते है
अल्लाह ताला ने किसी को सुन्नी शिया वहाबी नही बनाया कुरान में अल्लाह ताला ने सबको मुसलमान कहकर पुकारा है।
4. क़ुरान में कलिमा क्या है?
कुरान में कलमा अल्लाह ताला की तारीफ और तौहीद बताने के लिए पढ़ा जाता है।
5. क़ुरान में कलमा तय्यब क्या है?
कुरान में तैयब का मतलब पाक है और नही कोई इला , माबूद मगर अल्लाह और रसूल सल्ललाहु अलैहि वसल्लम उसके रशूल है।
6. इस्लाम की पहली कलिमा क्या है?
ला इलाहाइल्लाल्लाह मोहम्मदूर रसूलल्लाह।
7. शहादा के 9 शरूत क्या हैं?
- अल्लाह की राह में मारा जाने वाला
- पानी में डूबकर मरने वाला
- आग में जलकर मरने वाला
- किसी चीज में दबकर मरने वाला
- पेट की बीमारी में मरने वाला
- तफून (वाबा)में मरने वाला
- अपने हलाल मआल और इज्जत के खातिर मरने वाला
- इल्म हासिल या सिखाने की आरएच में मरने वाला
8. तीन कलिमे के बारे में क्या हदीस है?
आप सल्ललाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया सूरज इनसे प्यारे कलिमे से तुलु ही नही होता और ये कलमा इतना इंपोर्टेंट है की इस कलीम की सुबह और शामकशरत से पढ़ना चाहिए।
9. चौथा कलिमा को 100 मर्तबा पढ़ने के क्या फ़वाइद हैं?
नबी सल्लेलाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो सक्स सुभो और साम चौथा कलमा 100 मर्तबा पढ़े उससे ज्यादा नैकी कोई कर ही नही कर सकता सिवाए उस सक्स के जो इससे भी ज्यादा मर्तबा पढ़े।
हदीश से साबित है की बनी इसराइल के एक गुलाम को आजाद करने का सवाब मिलता ह।
I attained the title of Hafiz-e-Quran from Jamia Rahmania Bashir Hat, West Bengal. Building on this, in 2024, I earned the degree of Moulana from Jamia Islamia Arabia, Amruha, U.P. These qualifications signify my expertise in Quranic memorization and Islamic studies, reflecting years of dedication and learning.