Taraweeh Ki Namaz: तरावीह की नमाज
तरावीह की नमाज़ रमज़ान के महीने में रात को पढ़ी जाती है। यह नमाज़ ईशा की नमाज़ के बाद अदा की जाती है और इसमें क़ुरान की तिलावत होती है। मुसलमान इस नमाज़ को बड़े शौक़ से अदा करते हैं क्योंकि यह अल्लाह की तरफ से एक बड़ी रहमत है। तरावीह की नमाज़ 8 या 20 रकअत होती है, और इसके ज़रिये ईमान और तक़वा में इज़ाफ़ा होता है। यह नमाज़ रमज़ान के महीने को और भी ज़्यादा मक़बूल और बरकत वाला बनाती है। मुसलमान इस नमाज़ को अदा करके अपने रब का क़ुर्ब हासिल करते हैं।
Taraweeh Ki Namaz Kya Hai: तरावीह की नमाज़ क्या है?
रमजान में सबसे बेहतर और अफज़ल अमल है तरावीह की नमाज़ जो कि सुन्नत इबादत है, लेकिन इसकी फ़ज़ीलत बहुत बड़ी है। तरावीह की नमाज़ पढ़ना फर्ज नहीं है। अगर कोई शख़्स किसी परेशानी से नहीं पढ़ पा रहा हो तो तरावीह की नमाज़ छोड़ने से कोई गुनाह नहीं होता है। लेकिन इसे पढ़ने से बहुत नेकी होती है और पिछले सारे गुनाह माफ हो जाते हैं। कोशिश करें कि तरावीह की नमाज़ रमजान में न छूटे।
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Taraweeh Ki Namaz Sunnat Hai Ya Nafil: तरावीह की नमाज़ सुन्नत है या नफिल?
तरावीह नमाज़ सुन्नत-ए-मुअक्कदा है। आप ﷺ ने 3 दिनों तक लगातार तरावीह की नमाज़ पढ़वाई थी। क्योंकि आपको लगा कि कहीं यह फर्ज न हो जाए, तो आपने चौथे दिन दुबारा नहीं पढ़वाई। तरावीह की नमाज़ सुन्नत-ए-मुअक्कदा है और इसे पढ़ना अफज़ल है।
Taraweeh Ki Niyat: तरावीह की नियत
हर नमाज़ से पहले नियत करना जरूरी होता है, इसके बिना नमाज़ नहीं होती। पर इसका मतलब यह नहीं कि हम मुँह से बोलकर नियत करें कि फलाँ की तरफ मुँह करके फलाँ नमाज़ पढ़ रहे हैं। बस दिल में नियत होनी चाहिए कि आप कौन सी नमाज़ पढ़ने जा रहे हैं और अल्लाह के लिए पढ़ने जा रहे हैं।
तरावीह की नमाज़ पढ़ने से पहले एक बार नियत कर लें और नमाज़ पढ़ें। जरूरी नहीं कि हर 2 रकात तरावीह में नियत करें। बस एक बार नमाज़ से पहले नियत कर लें और पूरी तरावीह की नमाज़ पढ़ सकते हैं।
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Taraweeh Ki Namaz Kaise Padhe: तरावीह की नमाज कैसे पढ़ें
तरावीह की नमाज़ दो-दो रकात करके पढ़ी जाएगी। जैसे आप आम 2 सुन्नत 2 नफील नमाज़ें पढ़ते हैं, उसी तरह पढ़ी जाएगी, लेकिन थोड़ा फर्क होगा। वह यह कि आम नमाज़ों की तिलावत (यानि सूरह पढ़ना या क़ुरान पढ़ना) छोटी पढ़ सकते हैं, लेकिन तरावीह की तिलावत लंबी पढ़ी जाएगी। अगर कोई क़ुरान मुकम्मल करना चाहते हैं तो तरावीह की नमाज़ पढ़ सकते हैं। अगर किसी को लंबी सूरतें याद नहीं हैं तो वह छोटी छोटी सूरतों को मिलाकर पढ़ लें। बस शर्त यह है कि तिलावत लंबी होनी चाहिए।
Taraweeh Namaz Rakat: तरावीह नमाज रकअत
तरावीह की नमाज़ सुन्नत से साबित 8 रकात है। आपने 8 रकात नमाज़ पढ़वाई थी। लेकिन इख़्तिलाफ़ी मसला बहुत होते हैं कि 8 पढ़ें या 20 पढ़ें। अगर आप किसी ऐसी मस्जिद में जा रहे हैं जहाँ 20 रकात तरावीह पढ़वाई जा रही है, तो इसमें कोई हर्ज नहीं कि आप 20 रकात पढ़ें। आप चाहे तो 8 रकात पढ़ें या 20 रकात पढ़ें, लेकिन 8 रकात से कम नहीं होनी चाहिए।
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Taraweeh Ki Namaz Ka Time: तरावीह की नमाज़ का टाइम
तरावीह की नमाज़ ईशा के बाद शुरू होती है। चुनके ईशा की नमाज़ पढ़ने के बाद तरावीह की नमाज़ पढ़ें, लेकिन वित्र की नमाज़ तरावीह की नमाज़ के बाद पढ़नी होती है।
Taraweeh Ki Tasbeeh: तरावीह की तस्बीह
तरावीह की तस्बीह जो 4 रकात के बाद पढ़ी जाती है, यह सुन्नत से नहीं मिलती। चुनके बहुत लोग इसे सुन्नत समझते हैं, तो यह सुन्नत नहीं है। आप चाहे तो कोई भी तस्बीह पढ़ सकते हैं या कोई भी दुआ मांग सकते हैं।
Taraweeh Ki Namaz Aurat Kaise Padhe: तरावीह की नमाज़ औरत कैसे पढ़े
तरावीह की नमाज़ औरतें मस्जिद में जाकर अदा कर सकती हैं, अगर मस्जिद में औरतों के लिए अलग जगह रखी जा रही हो। लेकिन अफज़ल यह है कि खवातीन घर पर ही नमाज़ अदा करें। उसी तरह अदा करें जैसा हुक्म है, दो-दो करके अदा करने का। अगर लंबी सूरतें याद नहीं हैं तो छोटी सूरतों को मिलाकर पढ़ें। अगर क़ुरान से पढ़ना चाहें तो पढ़ सकते हैं, लेकिन हरकत कसीर नहीं होनी चाहिए। हरकत कसीर नमाज़ में खलल डालती है। हरकत कसीर का मतलब यह नहीं कि आप उसे खोलकर खड़े हो जाएं और एक वर्क आगे पलटें, एक वर्क पीछे पलटें, फिर इधर उधर देखें, फिर बंद करके रखें। ये चीजें दुरुस्त नहीं हैं। नमाज़ का अपना ख़ुशू और ख़ुज़ू, उसका अपना एहतिराम बाकी रहेगा। अफज़ल तरीके से तरावीह की नमाज़ अदा करें।
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Taraweeh Ki Namaz Ke Baare Mein Kuch Aham Sawalat Aur Unke Jawab: तरावीह की नमाज़ के बारे में कुछ अहम सवालात और उनके जवाब
1. तरावीह की नमाज़ के लिए नियत क्या है?
दिल से नियत करनी होगी, जबान से नहीं भी करेंगे तो कोई बात नहीं। बस दिल से नियत होनी चाहिए कि आप तरावीह की नमाज़ पढ़ने जा रहे हैं।
2. तरावीह के लिए न्यूनतम रकात क्या हैं?
8 रकात हैं, लेकिन चाहें तो 20 रकात भी पढ़ सकते हैं।
3. क्या सभी 20 रकात तरावीह पढ़ना अनिवार्य है?
सुन्नत से साबित 8 रकात हैं। आप चाहें तो 20 रकात भी पढ़ सकते हैं।
4. क्या मैं 12 बजे के बाद तरावीह की नमाज़ अदा कर सकता हूं?
जी बिलकुल अदा कर सकते हैं, लेकिन पहले ईशा की नमाज़ पढ़नी है, फिर तरावीह की।
5. क्या मैं बिना वित्र के तरावीह की नमाज़ अदा कर सकता हूं?
जी हाँ, कर सकते हैं, लेकिन वित्र की नमाज़ पढ़ना वाजिब है तो कोशिश करें कि पढ़ लें, या फिर तरावीह नमाज़ पढ़ लें और फजर से पहले उठकर वित्र पढ़ लें।
6. तरावीह में कौन सा सूरह पढ़ना है?
तरावीह की नमाज़ में लंबा क़याम करना होता है, तो 2-4 सूरतें मिलाकर लंबा क़याम करके नमाज़ पढ़ सकते हैं।
7. क्या तरावीह महिलाओं के लिए अनिवार्य है?
जी बिलकुल, औरतों को भी हुक्म दिया गया है तरावीह की नमाज़ पढ़ने का, तो जरूर पढ़ें अपने घर की खवातीन को।
8. क्या तरावीह के बिना रोजा हो सकता है?
जी बिलकुल हो सकता है, लेकिन तरावीह की नमाज़ बहुत फ़ज़ीलत वाली है, तो कोशिश करें कि पढ़ें।
9. क्या मैं घर पर अकेले तरावीह कर सकता हूं?
बिलकुल अदा कर सकते हैं, लेकिन अफज़ल यही है कि मर्द मस्जिद में जाकर नमाज़ पढ़ें।
10. क्या मैं तरावीह के बाद ईशा की नमाज़ अदा कर सकता हूं?
ईशा की नमाज़ पहले पढ़नी होती है, तो पहले ईशा की नमाज़ अदा करें, फिर तरावीह की नमाज़ पढ़ें।
11. क्या तरावीह में क़ुरान पूरा करना जरूरी है?
क़ुरान पूरा करना जरूरी नहीं, लेकिन बहुत अफज़ल है। आप चाहें तो सूरतें तरावीह में भी कर सकते हैं।
12. क्या घर में तरावीह की नमाज़ अदा करना बेहतर है?
खवातिन के लिए अफज़ल है कि वे घर पर तरावीह की नमाज़ अदा करें।
I attained the title of Hafiz-e-Quran from Jamia Rahmania Bashir Hat, West Bengal. Building on this, in 2024, I earned the degree of Moulana from Jamia Islamia Arabia, Amruha, U.P. These qualifications signify my expertise in Quranic memorization and Islamic studies, reflecting years of dedication and learning.
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