Taraweeh Ki Dua: Hindi, English, Arabic, Tarjuma, Ahmiyat Aur Fazilat

Namaz Taraweeh Ki Dua: नमाज़ तरावीह की दुआ:

रमजान, जो है बहुत बरकतों वाला महिना है। इसमें हर अमल का अज्र दुगना मिलता है। रमजान का रोजा एक खास इबादत है जिसे अल्लाह तआला ने अपनी तरफ से निस्बत दी है और फ़रमाया कि रोज मेरे लिए है और मैं ही इसकी सजा देने वाला हूँ।

रमजान में बहुत से अमल किए जाते हैं जैसे रोजा रखना, कुरआन पढ़ना और नफिल नमाज़ों की कसरत करना। इनमें से एक बेहतरीन अमल है तरावीह की नमाज़ पढ़ना, जिसकी फज़ीलत यह है कि हमारे सारे पिछले गुनाह माफ हो जाते हैं।

Taraweeh Ki Dua: तरावीह की दुआ:

तरावीह की नमाज़, जो 8 रकात होती है और सुन्नत से साबित है, लेकिन बहुत से लोग इस मसले में उलझे होते हैं कि तरावीह की नमाज़ 8 रकात होती है या 20 रकात। हमें चाहिए कि हम इन फकीर मसलों में न पड़ें। अगर आपकी नजदीकी मस्जिद में 8 रकात तरावीह पढ़ाई जा रही है तो 8 रकात पढ़ें, और अगर 20 रकात पढ़ाई जा रही है तो 20 रकात पढ़ लें।

तरावीह के हर 4 रकात में बैठकर जो दुआ की जाती है, वह किसी भी हदीस से साबित नहीं है। बहुत से लोग उसे सुन्नत समझते हैं, लेकिन बेहतर यह है कि उसे सुन्नत न समझें। इसके बदले, आप कोई भी दुआ कर सकते हैं, या अल्लाह का ज़िक्र कर सकते हैं, या ऐसे ही बैठे रह सकते हैं, लेकिन इसे सुन्नत न समझें।

Taraweeh Ki Dua Hindi Aur Tarjuma: तरावीह की दुआ हिंदी और तरजुमा:

तरावीह की नमाज़ में जो दुआ की जाती है, वह हदीस से साबित नहीं है। आप इसके बदले निम्नलिखित दुआएं पढ़ सकते हैं:

  1. रब्बाना आतिन फीदुनिया हसानताऊ वाफ़िल अखिरती हसानताऊ वाकिन अज़ाबन नार
    तर्जुमा: ये हमारे रब, हमें दुनिया में भी भलाई अता फरमा और आखिरत में भी भलाई नसीब फरमा।
  2. रब्बना अफरिघ अलेना सबरन वा-टवाफ़फना मुसलमीन
    तर्जुमा: ऐ हमारे रब, हमें सब्र अता फरमा और हमें मुसलमान करके मौत दे।
  3. रब्बि इंनि लीमा अंजलता इलैया मिन ख़ैरिन फक़ीर
    तर्जुमा: ऐ मेरे रब, बेशक मैं उस भलाई के लिए, जो भी तू मुझ पर नाज़िल करे, जरूरतमंद हूँ।
  4. रब्बना फग़फिर लना जुन्नुबना वकफ़्फिर अन्ना सय्यियातिना व तवफ़्फना म’अल अब्रार
    तर्जुमा: ऐ मेरे रब, हमारे गुनाह माफ़ फरमा और हमारे बुरे आमाल दूर कर दे, और हमें नेक लोगों के साथ मौत दे।

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Taraweeh Ki Dua Hindi Aur Tarjuma

Taraweeh Ki Dua In Arabic: तरावीह की दुआ इन अरबी:

तरावीह की दुआ किसी भी हदीस से साबित नहीं है। इसके बदले, आप निम्नलिखित दुआएं पढ़ सकते हैं:

1. رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الْآخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ
2. رَبَّنَا أَفْرِغْ عَلَيْنَا صَبْرًا وَتَوَفَّنَا مُسْلِمِينَ
3. رَبِّ إِنِّي لِمَا أَنْزَلْتَ إِلَيَّ مِنْ خَيْرٍ فَقِيرٌ
4. رَبَّنَا اغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا وَكَفِّرْ عَنَّا سَيِّئَاتِنَا وَتَوَفَّنَا مَعَ الْأَبْرَارِ

Taraweeh Ki Dua In Arabic

Taraweeh Ki Dua In English: तरावीह की दुआ इन इंग्लिश:

सुननत और कुरआन से, निम्नलिखित दुआएं साबित हैं। तरावीह की जो दुआ है, वह हदीस से साबित नहीं है, तो आप इन दुआओं को पढ़ सकते हैं:

  1. Rabbanā ātinā fid-dunyā ḥasanah, wa fil-ākhirati ḥasanah, wa qinā ‘adhāban-nār.
  2. Rabbana afrigh ‘alayna sabran wa tawaffana muslimin.
  3. Rabbi inni lima anzalta ilayya min khairin faqeer.
  4. Rabbana faghfir lana zunubana wa kaffir ‘anna sayyiatina wa tawaffana ma’al abrar.

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Taraweeh Ki Dua In English

Taraweeh Ki Dua Sunnat: तरावीह की दुआ सुन्नत:

तरावीह की नमाज़ सुन्नत है। बहुत से लोग इसे फर्ज समझते हैं और उन्हें लगता है कि अगर तरावीह की नमाज़ न पढ़ी तो रोजा नहीं होता। ऐसा कुछ नहीं है। अगर किसी भी वजह से आप तरावीह नमाज़ नहीं पढ़ पा रहे हैं तो कोई गुनाह नहीं है और रोजा भी हो जाएगा। लेकिन इसे पढ़ने से हमारे सारे पिछले गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं, तो कोशिश कीजिए कि इसे पढ़ें।

तरावीह की जो दुआ है जो हर 4 रकात के बाद पढ़ी जाती है, वह हदीस से साबित नहीं है। इसके बदले, आप कोई भी दुआ पढ़ सकते हैं। ऊपर हमने कुछ दुआएं दी हैं, आप उन्हें पढ़ सकते हैं, अल्लाह तआला का ज़िक्र कर सकते हैं, तस्बीह पढ़ सकते हैं जैसे “अल्लाहु अकबर” 100 दफा, “ला इलाहा इल्लल्लाह” 100 दफा, “सुब्हानअल्लाह” 100 दफा, आदि।

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Taraweeh Ki Dua Baare Mein Ahem Sawalat। तरावीह की दुआ के बारे में अहम सवालात:

1. तरावीह में हर 4 रकात के बाद क्या दुआ है?

हर 4 रकात के बाद कोई भी दुआ पढ़ सकते हैं जो आपको आती हो।

2. क्या मैं अकेले तरावीह की नमाज़ अदा कर सकता हूँ?

अकेले तरावीह की नमाज़ अदा की जा सकती है, लेकिन मर्दों के लिए बेहतर है कि वे मस्जिद में जाकर जमात के साथ नमाज़ पढ़ें।

3. क्या तरावीह की दुआ अनिवार्य है?

तरावीह की दुआ जरूरी नहीं है। आप चाहें तो छोड़ सकते हैं।

4. क्या मैं 12 के बाद तरावीह की नमाज़ अदा कर सकता हूँ?

हां, आप 12 के बाद तरावीह की नमाज़ अदा कर सकते हैं।

5. क्या तरावीह के बिना रोजा हो सकता है?

बिना तरावीह के रोजा हो जाता है। तरावीह की वजह से रोजा न छोड़ें।

6. क्या तरावीह लड़कियों के लिए अनिवार्य है?

सिर्फ लड़कियों ही नहीं, हर मुसलमान के लिए तरावीह नमाज़ पढ़ना जरूरी है।

7. तरावीह में कौन सा सूरह पढ़ना है?

तरावीह में कोई भी सूरह पढ़ सकते हैं, जो भी आप जानते हों।

8. क्या मैं तरावीह छोड़ सकता हूँ?

हां, छोड़ सकते हैं, लेकिन बिना वजह के न छोड़ें क्योंकि इसकी फज़ीलत है कि हमारे सारे पिछले गुनाह माफ होते हैं।

9. क्या जमात के साथ महिलाएं तरावीह पढ़ सकती हैं?

बिल्कुल पढ़ सकती हैं, लेकिन महिलाओं के लिए बेहतर है कि वे घर पर पढ़ें।

10. क्या हम 4 रकात में तरावीह की नमाज़ अदा कर सकते हैं?

तरावीह की नमाज़ कम से कम 8 रकात अदा की जानी चाहिए।

11. तरावीह के लिए नियत क्या है?

बस दिल में नियत कर लें कि आप तरावीह की नमाज़ पढ़ने जा रहे हैं, इससे नमाज़ हो जाएगी।

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