Durood E Ibrahim: Hindi, English, Arabic, Tarjuma, Ahmiyat Aur Fazilat

Durood E Ibrahim। दुरूद इब्राहिमी।

दुरुद इब्राहीमी” एक खास दुआ है जो मुसलमान नमाज़ में पढ़ते हैं। यह दुआ हज़रत इब्राहीम (अ.स.) की है और उनके आले के लिए भी अल्लाह से रहमत और बरकत की गुज़ारिश करती है। दुरूद इब्राहीमी को नमाज़ के तशह्हुद में पढ़ना फ़र्ज़ है और यह हज़रत मुहम्मद (स.अ.व.) ने अपनी उम्मतियों को सिखाया है। दुरूद ये इब्राहीम को पढ़ने से इंसान को अल्लाह की रहमत और बरकत मिलती है और रूहानियत मजबूत होती है। हर मुसलमान को इस दुआ को सीखना चाहिए और अपनी जिंदगी में शामिल करना चाहिए।

Durood E Ibrahim Arabic। दुरूद इब्राहिमी अरबी।

اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا صَلَّيْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ، إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ، اللَّهُمَّ بَارِكَ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا بَارَكْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ، إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ

Durood E Ibrahim Arabic

Durood E Ibrahim In Hindi। दरूद इब्राहिम हिंदी में।

दुरूद इब्राहीमी एक बहुत मुक़द्दस दुआ है जो हम अपने प्यारे नबी मुहम्मद (SAW) और उनके आले इब्राहीम (AS) पर भेजते हैं। इस दुआ को पढ़ने से हमारे गुनाह माफ़ होते हैं और हमें अल्लाह तआला की रहमत मिलती है। दुरूद इब्राहीमी पढ़ने का तरीका आसान है और इसको रोजाना अपनी नमाज़ में शामिल करना चाहिए। हिंदी में दुरूद इब्राहीमी सीखने से उन लोगों के लिए आसान होती है जो हिंदी बोलते हैं और कुरान और हदीस को अपनी जुबान में समझना चाहते हैं। दुरूद इब्राहीमी पढ़ कर हम अपनी जिंदगी को बरकत से भर सकते हैं और अपने नबी (स.अ.व.) से मोहब्बत का इजहार कर सकते हैं। आप भी दुरूद इब्राहीमी को हिंदी में सीखें और अपनी इबादत में इसको शामिल करके अल्लाह तआला की रहमत और बरकत पाएं।

अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदीउँ वा अला अली मुहम्मदीन कमा सल्लायता अला इब्राहीम वा अला अली इब्राहीम, इन्नाका हमीदुन मजीद। अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदीउँ  वा अला अली मुहम्मदीन काम बरकता अला इब्राहीम वा अला अली इब्राहीम, इन्नाका हमीदुन मजीद।

Durood E Ibrahim In Hindi

Durood E Ibrahim Ki Tarjuma। दुरूद ए इब्राहीम की तर्जुमा

अल्लाह, मुहम्मद और मुहम्मद के आले बैत पर दुरूद भेजा, जैसे तू ने इब्राहिम और इब्राहिम के आले बैत पर दुरूद भेजा। बे शक तू हम्द ओ सिफ़ा का मालिक है और अज़ीम है। अल्लाह, मुहम्मद और मुहम्मद के आले बैत पर बरकत भेजो, जैसे के तू ने इब्राहिम और इब्राहिम के आले बैत पर बरकत भेजो। बे शक तू हम्द ओ सिफ़ा का मालिक है और अज़ीम है

Durood E Ibrahim Ki Tarjuma

Durood E Ibrahim In English। दुरूद इब्राहिमी अंग्रेजी में।

O Allah, send Your peace and blessings upon Muhammad and his family, just as You sent peace and blessings upon Ibrahim and his family. You are indeed Praiseworthy and Glorious. O Allah, bestow Your blessings upon Muhammad and his family, just as You bestowed blessings upon Ibrahim and his family. You are indeed Praiseworthy and Glorious.

Durood E Ibrahim In English

Durood E Ibrahim In Roman Englishदुरूद ए इब्राहीम रोमन अंग्रेजी में

Allahumma salli ‘ala Muhammadin wa ‘ala ali Muhammadin kama sallayta ‘ala Ibrahim wa ‘ala ali Ibrahim, innaka Hamidun Majid. Allahumma barik ‘ala Muhammadin wa ‘ala ali Muhammadin kama barakta ‘ala Ibrahim wa ‘ala ali Ibrahim, innaka Hamidun Majid.

Durood E Ibrahim In Roman English

Durood E Ibrahim Ki Fazilat In Hadees। हदीस में दरूद शरीफ की फजीलत।

  • अल-तिरमीजी हादिश नंबर 284 से रिवाएत है की रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया : क़ियामत के दिन मुझसे लोगों  में सबसे ज़्यादा क़रीब वो होगा जो मुझ पर सबसे ज़्यादा दुरूद भेजेगा।इमाम तिरमिज़ी कहते हैं : 1- ये हदीस हसन ग़रीब है।  2- नबी अकरम (सल्ल०) से ये भी रिवायत हुई है कि आप ने फ़रमाया, जो मुझ पर एक बार दुरूद भेजता है।  अल्लाह  उस पर  उस के बदले दस बार दुरूद भेजता है। और  इस के लिये दस नेकियाँ लिखी जाती हैं। ( यही हदीस आगे आ रही है। )

  • अल-तिरमीजी हादिश नंबर 285 से रिवाएत है की रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया : जो मुझ पर एक बार दुरूद भेजेगा  अल्लाह इस के बदले  उस पर दस बार दुरूद भेजेगा।इमाम तिरमिज़ी कहते हैं : 1- अबू-हुरैरा (रज़ि०) की हदीस हसन सही है।  2- इस  सिलसिले  में अब्दुर-रहमान-बिन-औफ़  आमिर-बिन- रबीआ  अम्मार  अबू तलहा  अनस और  उबई-बिन-कअब (रज़ि०) से भी  हदीसें आई हैं।  3- सुफ़ियान सौरी और  दूसरे कई आलिमों से रिवायत हुई है कि रब के दुरूद से मुराद  उस की रहमत है और  फ़रिश्तों की दुरूद से मुराद इस्तग़फ़ार है।

  • अबू दाऊद हादिश नंबर 2042 से रिवाएत है की हज़रत अबू-हुरैरा (रज़ि०) से रिवायत हुई है  रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया :  अपने घरों को क़ब्रिस्तान मत बनाओ। और न मेरी क़ब्र को ईद (मेला गाह) बनाओ और मुझ पर दुरूद पढ़ो। तुम जहाँ कहीं भी होगे तुम्हारा दुरूद मुझ को पहुँच जाएगा।

Durood E Ibrahim Pdf। दरूद इब्राहीम पीडीएफ।

अब आसानी से दुरूद इब्राहीम की पीडीएफ में डाउनलोड कर सकते हैं। इस से आप उसकी फजीलत और बरकत को समझ सकते हैं और इस दुआ का असर महसूस कर सकते हैं, अपने मोबाइल, कंप्यूटर या टैबलेट पर कभी भी। अगर आप दुरूद-ए-इब्राहिम डाउनलोड करना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

 

दुरूद इब्राहीम की तिलावत से हमारी दुआएं कुबूल होती हैं और अल्लाह की रहमत और बरकत मिलती है। क्या दुआ को नमाज़ में शामिल करना फ़र्ज़ है और इसकी तिलावत से हमारे गुनाह माफ़ होते हैं। ये दुरूद, नबी मुहम्मद (SAW) और हज़रत इब्राहिम (AS) पर भेजा, हमारी इबादत को बेहतर बनता है और रुहानियत को मज़बूती देता है। रोज़ाना दुरूद को पहचानना है, हमारी जिंदगी को बरकत से भर देना है।

Durood E Ibrahim Ke Baare Mein Ahem Sawalat। दुरूद इब्राहीम के बारे में अहम सवालात:

1. दरूदे इब्राहिम कैसे पढ़ा जाता है?

कभी भी पढ़ सकते है, अपने दुआओं में शामिल कर सकते है। नमाज़ में पढ़ना चाहिए क्यूंकी ये फर्ज है। 

2. दरूदे इब्राहिम की फजीलत क्या है?

आप सल्लेलाहु आलेही वसल्लाम पर एक बार दरूद पढ़ने से अल्लाह ताल हम पर 10 बार दरूद भेजता है। 

3. दुरूद इब्राहिम क्या है?

इब्राहीम अ.स और उनके आले के लिए दुआ करना। 

4. क्या मैं पीरियड्स के दौरान दरूद इब्राहिमी पढ़ सकती हूं?

बिल्कुल पढ़ सकते है लेकिन सर्त ये है की आपको याद होनी चाहिए किताब देखकर नहीँ पढ़ सकते। 

5. क्या मैं पीरियड्स के दौरान कुरान को छू सकती हूं?

पिरिएड्स के दौरान कुरान नहीँ छुआ जा सकता न ही उसका तीलावत किया जा सकता है। 

6. क्या मैं अपने पीरियड पर बिस्मिल्लाह कह सकती हूं?

बिल्कुल कह सकते है और लाजमी से अल्लाह ताल का जीकर करना चाहिए हम है के छोर देते है अल्लाह का जिक्र करना लेकिन अल्लाह का जिक्र करने से मना नहीँ है तो जरूर किया करे। 

7. क्या इस्लाम में पीरियड्स के दौरान मैं अपने पति के साथ सो सकती हूं?

दौराने पिरिएड्स में बीवी और खामीन्द की हमबिस्तरी करना हराम है लेकिन एक ही बिस्तर पे सो सकते है 

8. क्या हम वुज़ू के बिना दुरूद पढ़ सकते हैं?

वूजू के बिना भी दुरूद पढ़ सकते है, जब भी नबी पाक सल्लेलाहु आलेही वसल्लम की जिक्र हो तब दरूद पढ़ना चाहिए। 

9. क्या सलाह में दुरूद अनिवार्य है?

सलाह में दरूद बहुत जरूरी है क्यूंकी ये नमाज़ में दरूद पढ़ना फर्ज है। 

10 दुरूद कब पढ़ना है?

नमाज़ के तशाहूद में  पढ़ना होता है।  

11. दुरूद इब्राहिम के बाद क्या पढ़ना चाहिए?

नमाज़ में दुरूद ये इब्राहीम के बाद दुआ मसूरा पढ़ना चाहिए 

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