Doodh Pine Ke Dua: दूध पीने के दुआ:
दूध पीने की दुआ जो एक छोटी सी मगर बहुत अहम दुआ है, जो हमरे नबी पाक सल्लेलाहू आलेही वासल्लम ने हमे सिखाया और अपने फरमाया दूध के सिवा कोई एसी चीज नहीँ है जो खाने और पीने दोनों की जगह जरूरत पूरी कर सके। ये दुआ पढ़कर हम अल्लाह से और ज्यादा बरकत तलब करते है, दूध अल्लाह का एक बरी नेमत है तो जिसे भी दूध मिले पीने के लिए तो जरूर दूध पीने की दुआ पढ़कर अल्लाह से बरकत तलब करे।
Doodh Pine Ke Pehle Ki Dua In Arabic: दूध पाइन के पहले की दुआ अरबी में:
दूध पीने से पहले अल्लाह का नाम लेकर पिए इससे बरकत होती है सिर्फ दूध ही नहीँ पनि हो या खाना हमें हमेशा चाहिए की हम अल्लाह का नाम लेकर पिए या खाए या कोई भी काम करे हमें अल्लाह का नाम लेकर सुरू करना चाहिए इससे अल्लाह ताला हमारी मदद फरमाता है हमें शैतान मरदूद से निजाद देता है।
Doodh Pine Ke Pehle Padhe: दूध पीने से पहले पढ़े:
بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ
बिस्मिल्लाह हिररहमा निररहिम।
सुरू करता हु अल्लाह के नाम के साथ जो बहुत महरबान और बार बार रहम फरमाने वाला है।
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Doodh Pine Ke Baad Ki Dua In Arabic: दूध पीने के बाद की दुआ अरबी में:
जब दूध पी चुके हो उसके बाद अल्लाह से दुआ करे:
اللَّهُمَّ بَارِكْ لَنَا فِيهِ وَزِدْنَا مِنْهُ
Doodh Pine Ki Dua In Hindi: दूध पीने की दुआ हिंदी में:
अगर किसिको अरबी पढ़ना नहीँ आता तो वो हिन्दी में भी ये दुआ पढ़ सकते है, और अल्लाह सुभानु ताला स दुआ कर सकता है बस हमें चाहिए के हम खुसुसि दिलसे अल्लाह से दुआ करे।
अल्लाहुम्मा बारिक लना फीहि व ज़िदना मिन्हु
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Doodh Pine Ki Dua Ka Tarjuma: दूध पीने की दुआ का तरजुमा:
इसी तरह हमें चाहिए के अल्लाह ताला से जो भी दुआ करे उसका माइने हमें पता हो ताकि दुआ में खुसुसि पैदा हो और हमें पता हो की हम अल्लाह ताला से क्या दुआ कर रहे है।
ए अल्लाह ! हमारे लिए इसमें बरकत अता कर और हमें इससे भी ज्यादा दे।
Doodh Pine Ki Dua In English: दूध पीने की दुआ अंग्रेज़ी में:
**Allahumma barik lana fihi wa zidna minhu**
“O Allah, bless it for us and increase it for us
Doodh Pine Ki Dua Ke Bare Mein Hadith: दूध पीने की दुआ के बारे में हदीस:
तिरमीजी हादिश नंबर 3455 से रिवायत है की:
अब्दुल्लाह-बिन-अब्बास (रज़ि०) कहते हैं कि मैं और ख़ालिद-बिन-वलीद (रज़ि०) (दोनों) रसूलुल्लाह (सल्ल०) के साथ मैमूना (रज़ि०) के घर में दाख़िल हुए, वो एक बर्तन लेकर हम लोगों के पास आईं, उस बर्तन में दूध था। मैं आपके दाईं जानिब बैठा हुआ था और ख़ालिद आपके बाईं तरफ़ थे, आपने दूध पिया फिर मुझसे फ़रमाया: पीने की बारी तो तुम्हारी है लेकिन तुम चाहो तो अपना हक़ (अपनी बारी) ख़ालिद-बिन-वलीद को दे दो, मैंने कहा: आपका जूठा पीने में अपने आपपर मैं किसी को तरजीह नहीं दे सकता, फिर रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया: जिसे अल्लाह खाना खिलाए उसे खाकर ये दुआ पढ़नी चाहिये: (اللهم بارك لنا فيه وأطعمنا خيرا منه) ‘ऐ अल्लाह! हमें इसमें बरकत और मज़ीद इससे अच्छा खिला’ और जिसको अल्लाह दूध पिलाए उसे कहना चाहिये: (اللهم بارك لنا فيه وزدنا منه) ‘ऐ अल्लाह! हमें इसमें बरकत और मज़ीद इससे अच्छा खिला,’ रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया: दूध के सिवा कोई ऐसी चीज़ नहीं है जो खाने और पीने (दोनों) की जगह खाने और पीने की ज़रूरत पूरी कर सके।इमाम तिरमिज़ी कहते हैं: 1-ये हदीस हसन है, 2-कुछ मुहद्दिसों ने ये हदीस अली-बिन-ज़ैद से रिवायत की है, और उन्होंने उमर-बिन-हर्मला कहा है, जबकि कुछ ने अम्र-बिन-हर्मला कहा है और अम्र-बिन-हर्मला कहना सही नहीं है।
Conclusion:
दूध पीने की दुआ, जो नबी पाक (सल्ललाहु अलैहि वसल्लम) से सिखाई गई है, इस्लाम में बहुत अहमियत रखती है। दूध अल्लाह की एक बड़ी नेमत है जो खाने और पीने दोनों की जरूरत को पूरा करती है। दूध पीने से पहले **”बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निररहीम”** कहना चाहिए, और बाद में **”अल्लाहुम्मा बारिक लना फीहि व ज़िदना मिन्हु”** कहते हुए दुआ करनी चाहिए। इससे न सिर्फ बरकत मिलती है, बल्कि शैतान से भी हिफाजत होती है। हदीस के मुताबिक, दूध एक खास चीज है जो खाने और पीने दोनों का काम करती है।
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Doodh Pine Ki Dua Ke Baare Mein Ahem Sawalat: दूध पीने की दुआ के बारे में अहम सवालात:
1. दूध पीने की दुआ क्या है?
दूध पीने से पहले एक दुआ पढ़ना मुस्तहब है। ये दुआ है: “अल्लाहुम्मा बारिक लना फीहि वा ज़िदना मिन्हु।” इस दुआ का मतलब है, “या अल्लाह, हमें इसमें बरकत अता फरमा और हमें इससे ज़्यादा नसीब फरमा।” इस दुआ से दूध और खाने में बरकत होती है।
2. दूध पीने से पहले दुआ पढ़ना क्यों ज़रूरी है?
दूध पीने से पहले दुआ पढ़ना इस्लामी तालीमात में बरकत हासिल करने का ज़रिया है। दुआ से हम अल्लाह की रहमत और शिफा तलब करते हैं ताकि जो चीज़ हम ले रहे हैं, वो हमें नफ़ा दे और हमारी सेहत में इज़ाफ़ा करे।
3. दूध पीने के बाद कोई दुआ पढ़ी जाती है?
जी हां, दूध पीने के बाद यह दुआ पढ़नी चाहिए: “अल्लाहुम्मा अतिम्ना वा साक़िना।” इसका मतलब है, “या अल्लाह, हमें खाना और पीना अता कर।” यह दुआ शुक्र अदा करने के लिए है, जो अल्लाह की नेमत का इज़हार करती है।
4. क्या दूध पीने की दुआ से बरकत होती है?
जी हां, दूध पीने से पहले और बाद में दुआ पढ़ना बरकत का सबब बनता है। दुआ से अल्लाह का शुक्र अदा होता है और हमेशा अपनी नेमतों के लिए शुक्रगुज़ार रहना चाहिए, जो हमारे रोज़ मर्रा के खाने में बरकत लाता है।
5. दूध पीने की दुआ पढ़ने का सही तरीका क्या है?
दूध पीने की दुआ पढ़ने का सही तरीका यह है कि दूध पीने से पहले दोनों हाथों से ग्लास पकड़ें, अल्लाह का नाम लें, फिर “अल्लाहुम्मा बारिक लना फीहि वा ज़िदना मिन्हु” दुआ पढ़ें। फिर शुक्रगुज़ार दिल से दूध पिएं।
6. क्या बच्चों को दूध पीने की दुआ सिखाना ज़रूरी है?
जी हां, बच्चों को दूध पीने से पहले दुआ सिखाना ज़रूरी है। इससे न सिर्फ उनकी इस्लामी तालीमात का इल्म बढ़ता है बल्कि उनको अपनी सेहत और अल्लाह की नेमतों के लिए शुक्रगुज़ार रहना भी आता है।
7. दूध पीने की सुन्नत क्या है?
दूध पीने की सुन्नत यह है कि पीने से पहले अल्लाह का शुक्र अदा किया जाए और दुआ पढ़ी जाए। सुन्नत के मुताबिक, दोनों हाथों से दूध का ग्लास पकड़ना और पीने के बाद दुआ पढ़ना हमेशा इस्लामी अदब में शामिल है।
8. क्या दूध के इलावा दूसरे मशरूबात के लिए भी यही दुआ है?
जी हां, दूध के इलावा दूसरे मशरूबात या खाने के लिए भी यही दुआ पढ़ी जा सकती है। “अल्लाहुम्मा बारिक लना फीहि वा ज़िदना मिन्हु” दुआ से हर चीज़ में बरकत और शिफा तलब की जा सकती है।
9. दूध पीने के लिए कितनी बार दुआ पढ़नी चाहिए?
दूध पीने से पहले एक बार दुआ पढ़ना काफी होता है। आप पीने से पहले “अल्लाहुम्मा बारिक लना फीहि वा ज़िदना मिन्हु” पढ़ें, और पीने के बाद अल्लाह का शुक्र अदा करें। यह दुआ बरकत का सबब बनती है।
10. क्या दूध पीने के लिए कोई مخصوص वक्त होता है?
दूध किसी भी वक्त पिया जा सकता है, लेकिन पीने से पहले और बाद में दुआ पढ़ना बरकत का सबब होता है। इसमें कोई مخصوص वक्त नहीं, बस हमेशा अल्लाह का नाम लेकर दुआ पढ़ें ताकि हमेशा नेमत में इज़ाफ़ा हो।
I attained the title of Hafiz-e-Quran from Jamia Rahmania Bashir Hat, West Bengal. Building on this, in 2024, I earned the degree of Moulana from Jamia Islamia Arabia, Amruha, U.P. These qualifications signify my expertise in Quranic memorization and Islamic studies, reflecting years of dedication and learning.