इस्तिखारा की दुआ एक मस्नून दुआ है जो मुसलमान अल्लाह से मशवरा लेने के लिए पढ़ते हैं जब उन्हें किसी फ़ैसले में शक हो। इस दुआ का तर्जुमा और फ़ज़ीलत हिंदी, उर्दू, और इंग्लिश में जानिए। शादी, कारोबार या किसी भी अहम फ़ैसले के लिए इस्तिखारा नमाज़ का तरीका समझें। दुआ की ट्रांसलिटरेशन और इसका असल मतलब कुरान और हदीस की रौशनी में समझाया गया है।
Istikhara Ki Dua: इसतेखार की दुआ ।
इस्तेख़ारा की दुआ, इस्लाम में एक बहुत अहम दुआ है जो मुसलमानों को अल्लाह की मदद से बेहतरीन फ़ैसले लेने में मदद करती है। यह दुआ उन समय के लिए है जब किसी भी अहम फ़ैसले या मुश्किल हालात का सामना करना होता है। इस दुआ के ज़रिए, इंसान अल्लाह से दुआ करता है कि वह उसकी राह को साफ़ करे और सबसे बेहतर रास्ता दिखाए। इस दुआ को पढ़कर, इंसान अपनी परेशानियों और सवालों के जवाब पाने की उम्मीद करता है।
Istikhara Ki Namaz Ka Tarika: इश्तेखा की नमाज़ का तरीका ।
इस्तेख़ारा की नमाज़ का कोई मुकर्रर वक्त नहीं है। हमें जब इस्तेख़ारा की नमाज़ पढ़नी है, हम तब पढ़ सकते हैं। इस्तेख़ारा की नमाज़ का सही तरीका यह है कि 2 रकअत नफ़ल नमाज़ पढ़नी होती है, उसके बाद दुआ इस्तेख़ारा पढ़नी चाहिए, फिर जो भी आपकी दुआ है, उसे पढ़िए। दुआ इस्तेख़ारा एक दुआ है। अगर हम इस दुआ को दुआ की कबूलियत के वक्त पढ़ें तो ज़्यादा बेहतर है। वैसे तो अल्लाह सुभानहु तआला सभी दुआ को कबूल करता है, लेकिन कुछ ऐसे वक्त होते हैं जो अल्लाह सुभानहु तआला ने बताए हैं कि उस वक्त अल्लाह सुभानहु तआला जल्दी दुआ कबूल करते हैं। जो कि रात के तीसरे पहर है। क्योंकि वह वक्त पसंदीदा है। यह कोई मुकर्रर वक्त नहीं है कि रात के तीसरे पहर में ही हम इस्तेख़ारा की नमाज़ पढ़ें, बस वह वक्त पसंदीदा है और दुआ की कबूलियत का वक्त होता है। तो हम उस वक्त दुआ करेंगे तो जल्दी इस्तेख़ारा होगा। और जो वक्त दुआ की कबूलियत का है, वह है अज़ान के बीच, बारिश के वक्त, सफर में, रोज़े की हालत में। वैसे इस्तेख़ारा की कोई मुकर्रर वक्त नहीं है।
Istikhara ki Dua in Arbic: इसतेखारा की दुआ न अर्बिक ।
اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْتَخِيرُكَ بِعِلْمِكَ، وَأَسْتَقْدِرُكَ بِقُدْرَتِكَ، وَأَسْأَلُكَ مِنْ فَضْلِكَ الْعَظِيمِ، فَإِنَّكَ تَقْدِرُ وَلا أَقْدِرُ، وَتَعْلَمُ وَلا أَعْلَمُ، وَأَنْتَ عَلَّامُ الْغُيُوبِ. اللَّهُمَّ إِنْ كُنْتَ تَعْلَمُ أَنَّ هَذَا الأَمْرَ خَيْرٌ لِي فِي دِينِي وَمَعَاشِي وَعَاقِبَةِ أَمْرِي، فَاقْدُرْهُ لِي وَيَسِّرْهُ لِي، ثُمَّ بَارِكْ لِي فِيهِ، وَإِنْ كُنْتَ تَعْلَمُ أَنَّ هَذَا الأَمْرَ شَرٌّ لِي فِي دِينِي وَمَعَاشِي وَعَاقِبَةِ أَمْرِي، فَاصْرِفْهُ عَنِّي وَاصْرِفْنِي عَنْهُ، وَاقْدُرْ لِيَ الْخَيْرَ حَيْثُ كَانَ، ثُمَّ أَرْضِنِي بِهِ.
Istikhara Ki Dua In Hindi: इस्तखारा की दुआ हिंदी में
अल्लाहुम्मा इन्नी अस्तखीरुका बि’इल्मिका, वा अस्तक्दिरुका बि’कुदरतिका, वा अस’अलुका मिन फ़ज़लिका अल-‘अज़ीमि, फ-इन्नका तक़्दिरु वला अक़्दिरु, व-ता’लमु वला अ’लमु, वा अंता अ’ल्लामुल ग़ुयूब। अल्लाहुम्मा इन्कुंता ता’लमु अन्ना हाज़ा अल-अमर ख़ैरुन ली फि दीनी वा मा’आशी वा आक़िबत-ए-अम्री फ-क़्दिरहु ली, वा यस्सिरहु ली, सुम्मा बारिक ली फ़ीहि। वा इन्कुंता ता’लमु अन्ना हाज़ा अल-अमर शर्रुन ली फि दीनी वा मा’आशी वा आक़िबत-ए-अम्री, फास्रिफ्हु अ’न्नी वा अस्रिफ़नी अ’न्हु, वाक़्दिर लीयलख़ैर हाيثु कान, सुम्मा रद्नी बिहि।
Istikhara Ki Dua Ka Tarjuma: इसतेखाना की दुआ का तर्जुमा
ऐ मेरे अल्लाह! मैं तुझ से तेरे इल्म की बदौलत ख़ैर तलब करता हूँ और तेरी क़ुदरत की बदौलत तुझ से ताक़त माँगता हूँ और तेरे अज़ीम फ़ज़ल का तलबगार हूँ क्योंकि क़ुदरत तू ही रखता है और मुझे कोई क़ुदरत नहीं। इल्म तुझ ही को है और मैं कुछ नहीं जानता। और तू तमाम छिपी बातों को जानने वाला है। ऐ मेरे अल्लाह! अगर तू जानता है कि ये काम जिसके लिये इस्तिख़ारा किया जा रहा है मेरे दीन दुनिया और मेरे काम के अंजाम के भरोसे से मेरे लिये बेहतर है या (आप ने ये फ़रमाया कि) मेरे लिये वक़्ती तौर पर और अंजाम के एतिबार से ये (ख़ैर है) तो उसे मेरे लिये नसीब कर और उसका हासिल करना मेरे लिये आसान कर और फिर उसमें मुझे बरकत अता कर और अगर तू जानता है कि ये काम मेरे दीन दुनिया और मेरे काम के अंजाम के एतिबार से बुरा है। या (आप (सल्ल०) ने ये कहा कि) मेरे मामले में वक़्ती तौर पर और अंजाम के एतिबार से ( बुरा है) तो उसे मुझसे हटा दे और मुझे भी उस से हटा दे। फिर मेरे लिये ख़ैर मुक़द्दर फ़रमा दे जहाँ भी वो हो और उस से मेरे दिल को मुत्मइन भी कर दे। आप (सल्ल०) ने फ़रमाया कि इस काम की जगह उस काम का नाम ले।सतेखार की दुआ इन अर्बिक
Istikhara Ki Dua In English: इस्तखारा की दुआ अंग्रेजी में
Allahumma inni astakheeruka bi’ilmika, wa’astaqdiruka biqudratika, wa’as’aluka min fadhlikal ‘azheem, fa’innaka taqdiru wala aqdiru, wata’lamu wala a’lamu, wa’anta ‘allaamul ghuyoob. Allahumma in kunta ta’lamu anna haadha al-amra khayrun li fi deeni wa ma’aashi wa ‘aaqibat amri faqdurhu li, wa yassirhu li, thumma baarik li feeh. Wa in kunta ta’lamu anna haadha al-amra sharrun li fi deeni wa ma’aashi wa ‘aaqibat amri, fasrifhu ‘anni wasrifni ‘anhu, waqdur li al-khayr haythu kaan, thumma radh-dhinee bihi.
Istikhara Translation In English Meaning: इस्तेखरा की दुआ इन इंग्लिश तर्जुमा
O Allah, I seek Your guidance [in making a choice] by virtue of Your knowledge, and I seek ability by virtue of Your power, and I ask You of Your great bounty. You have power, and I have none. You know, and I do not. You are the Knower of hidden things. O Allah, if You know that this matter (mention your matter) is good for me in my religion, my livelihood, and for my life in the Hereafter, then decree it for me, make it easy for me, and bless me in it. And if You know that this matter is bad for me in my religion, my livelihood, and for my life in the Hereafter, then turn it away from me, and turn me away from it, and decree for me what is good, wherever it may be, and make me content with it.
Istikhara Ki Dua Ke Aham Sawal: इस्तेखरा की दुआ के यहां सवाल
1. इस्तिखारा की दुआ क्या है?
इस्तिखारा की दुआ एक इबादत है जो अल्लाह से बेहतरीन फैसला की दरख्वास्त करने के लिए की जाती है। यह दुआ लोगों को मुश्किल फैसले करते वक्त अल्लाह की रहनुमाई लेने में मदद करती है। इस दुआ का मकसद है कि अल्लाह अपने बंदे को बेहतरीन रास्ता दिखाए और उन्हें समझा दे कि क्या सही है और क्या गलत।
2. इस्तिखारा की दुआ कैसे की जाती है?
इस्तिखारा की दुआ करने के लिए, पहले दो रकात नफील नमाज पढ़नी होती है। उसके बाद, दुआ की खुदाई करनी होती है, जो अल्लाह से मदद और रहनुमाई मांगती है। इस दुआ में दिल से दुआ करना और अल्लाह की तरफ तवक्कुल करना बहुत जरूरी है। यह दुआ किसी भी फैसले से पहले की जा सकती है, जैसे शादी, नौकरी, या किसी काम का शुरुआत।
3. इस्तिखारा की दुआ के बाद क्या करना चाहिए?
इस्तिखारा की दुआ के बाद, अल्लाह की रहनुमाई पर तवक्कुल करना चाहिए। खुद को किसी निशान या फीलिंग के लिए तैयार रखना चाहिए। अक्सर लोगों को अपने दिल में सुकून या किसी फैसले की तरफ रुझान महसूस होता है। यह सब अल्लाह की तरफ से रहनुमाई होती है, इसलिए इस पर यकीन करना चाहिए।
4. इस्तिखारा का वक्त क्या है?
इस्तिखारा की दुआ का वक्त किसी भी वक्त हो सकता है, लेकिन सुबह या रात के वक्त करना बेहतरीन होता है। नमाज की दुआ से पहले या बाद में करना बेहतर होता है। अक्सर लोग यह दुआ नमाज के बाद करते हैं, लेकिन किसी भी वक्त करने में कोई मसला नहीं है। दुआ का दिल से होना जरूरी है।ये एक दुआ है तो हम इससे तहज्जुद के भी वक्त कर सकते है।
5. इस्तिखारा की दुआ की फ़ज़ीलत क्या है?
इस्तिखारा की दुआ की बहुत सी फ़ज़ीलत है। यह दुआ अल्लाह से मदद मांगने का ज़रिया है, जो इंसान को बेहतरीन फैसले करने में मदद करती है। इस दुआ के ज़रिये, इंसान अपने रास्ता दिखने की दुआ करता है, जो उनके लिए ख़ुशहाली और बेहतरी का सबब बनता है। इस दुआ से दिल को सुकून और अल्लाह पर यकीन बढ़ाता है।
6. क्या इस्तिखारा की दुआ हर फैसले के लिए कर सकते हैं?
हां, इस्तिखारा की दुआ हर तरह के फैसले के लिए की जा सकती है, चाहे वो छोटी बात हो या बड़ी। इसका इस्तेमाल शादी, नौकरी, या किसी नए काम शुरू करने से पहले किया जा सकता है। अल्लाह से रहनुमाई लेना हर फैसले में बेहतर होता है, इसलिए किसी भी मुश्किल काम से पहले दुआ करना चाहिए।
9. इस्तिखारा की दुआ के लिए नियत क्या होनी चाहिए?
इस्तिखारा की दुआ करते वक्त नियत यह होनी चाहिए कि आप अल्लाह से बेहतरीन फैसले की दरख्वास्त कर रहे हैं। आपको अपने इरादे को साफ रखना चाहिए और अपने दिल से दुआ करनी चाहिए। यह दुआ इबादत है, इसलिए आपकी नियत अल्लाह की खुशनुदी और रहनुमाई लेना होनी चाहिए।
I attained the title of Hafiz-e-Quran from Jamia Rahmania Bashir Hat, West Bengal. Building on this, in 2024, I earned the degree of Moulana from Jamia Islamia Arabia, Amruha, U.P. These qualifications signify my expertise in Quranic memorization and Islamic studies, reflecting years of dedication and learning.