Nazar Ki Dua | Buri Nazar Se Bachne Ki Dua Quran Se, Hindi aur English Mein

नज़र की दुआ इंसान को बुरी नज़र से बचाने का ज़बरदस्त हथियार है। क्या दुआ को पढ़ने से नज़र का असर कम होता है और अल्लाह की हिफ़ाज़त हासिल होती है। नज़र की दुआ पढ़ने का सही तरीका और वक़्त जान कर अपने और अपने घर वालों को नज़र के असर से महफ़ूज़ रखें।

Nazar Ki Dua: नजर की दुआ

अक्सर हम में से कई ओ को बुरी नजर लग जाती है, इसी तरह हमारे छोटे बच्चो को भी किसी की नजर लग जाती हैं और हमें उसके बारे में पता ही नहीं चलता कभी कबार बच्चे रो रहे होते है और हमें लगता है वो बस ऐसे ही रो रहे है लेकिन हमें समझना चाहिए के बच्चे बेजुबान होते है और हमें चाहिए के हम उन पर दम करदे ताकि कोई भी बुरी नजर हो या बुरे असरात हो वो हट जाए।

इसी तरह ये है की अक्सर हम किसी को देखके या किसी भी छोटे बच्चे को देखके उसकी तारीफ कर देते है लेकिन ये नहीं सोचते उसे हमारी नजर लग सकती हैं इसलिए हदीश में आता है जब भी किसी की तारीफ करो या किसी भी चीज की तारीफ करो तो कहो माशाअल्लाह। ताकि उस पर कोई भी नजर न लगे और वो महफूज रहे बुरे नजर से।

Nazar Utarne Ka Tarika: नजर उतरने का तरीका

  • अगर किसी को नजर लग जाती है और उसे पता चल जाता है के किसकी नजर लगी है मसलन कोई सक्स किसी की तारीफ करे और उसके तारीफ के फौरन बाद दूसरा सक्स को कुछ हो जाता है तो इससे जाहिर है की उसी की नजर लगी है, तो इस नजर को उतारने का तरीका ये है की जिसकी नजर लगे उसको वुजू करने के लिए कहा जाए और उस पानी को जिसपे नजर लगी है उसके शर पर बाहा दिया जाए इससे नज़र दूर हो जाएगी।
  • इसी तरह अगर पता न हो की किसकी नजर लगी है तो सूरह फलक सुरह नास 3,3 बार पढ़के अपने उप्पर दम कर लेनी चाहिए अगर खुद दम न कर पा रहे हो तो अपने घर पे किसी भी सक्स से बोलके दम करवाले इससे नज़र दूर हो जाएगी।
  • इसी तरह आप सल्लेलाहु अलेही वसल्लम का रोज का मामुल था के आप सोते वक्त सूरह इखलास, सुरह नास, सुराह फलक, अयातूल कुर्शी और सूरह बकराह की आखरी 2 आयात पढ़कर अपने उप्पर दम कर, कर सोते थे, तो हमें भी चाहिए के हम भी इन कालीमत को पढ़कर और अपने उप्पर दम कर, कर सोए ताकि हम नजरे बद, बुरे असरात से बचे रहे।
  • इसी तरह बच्चो पर भी हमें दम करने चाहिए नाकी जो आज के जो तरीके हैं काले धागा बांधना, काला टीका लगाना ए सब सिर्ख़ है और सिर्ख़ सबसे बरा गुनाह है हमें इससे बचने चाहिए इसी तरह हर मां को दम करना आना चाहिए ताकि अपने बच्चे को महफूज रख सके सूरह फलक और सूराह नास पढ़ कर दम करदे काफी हो जाएगा ये।

Nazar Ki Dua In Arabic: नजर की दुआ अरबी में

أَعُوذُ بِكَلِمَاتِ اللَّهِ التَّامَّةِ مِنْ كُلِّ شَيْطَانٍ وَهَامَّةٍ وَمِنْ كُلِّ عَيْنٍ لَامَّةٍ

Nazar Ki Dua Hindi: नजर की दुआ हिंदी में

अऊज़ु बिकालिमातिल्लाहित-ताम्मति मिं कुल्लि शैतानिन व-हाम्मतिन व-मिन कुल्लि अयनिन लाम्माह।

Nazar Ki Dua Ka Tarjuma: नजर की दुआ का तर्जुमा

अल्लाह तआला के कामिल कलिमात की पनाह में आता हूँ, हर शैतान से और कीड़े मकोड़े से और हर दीवाना कर देने वाली आँख से,

Nazar Ki Dua In Roman English: नजर की दुआ रोमन इंगलिश में

A’uzu Bikalimatillahi-T-Tammati Min Kulli Shaytanin Wa-Hammatin Wa-Min Kulli ‘aynin Lammah.

Nazar Ki Dua Ka Tarjuma In English: नजर की दुआ इंगलिश में

I Seek Refuge In The Perfect Words Of Allah From Every Devil, Harmful Creature, And Every Envious Eye That Causes Harm.

Nazar Se Bachne Ki Dua Ka Hadish: नजर से बचने की दुआ का हदीस

  • सुनन इब्ने माजा हदीश नंबर 3525 से रिवायत है की हज़रत अब्दुल्लाह-बिन-अब्बास (रज़ि०) से रिवायत है कि नबी ﷺ हज़रत हसन और हज़रत हुसैन (रज़ि०) को दम करते तो इस तरह फ़रमाते थे 🙁 أَعُوذُ بِكَلِمَاتِ اللَّهِ التَّامَّةِ مِنْ كُلِّ شَيْطَانٍ وَهَامَّةٍ وَمِنْ كُلِّ عَيْنٍ لَامَّةٍ ) मैं अल्लाह तआला के कामिल कलिमात की पनाह में आता हूँ, हर शैतान से और कीड़े मकोड़े से और हर दीवाना कर देने वाली आँख से, नबी ﷺ ने फ़रमाया : हमारे बुज़ुर्ग हज़रत इब्राहीम (अलैहि०) ये दुआ पढ़ कर इस्माईल और इसहाक़ (अलैहि०) को या फ़रमाया : इस्माईल और याक़ूब (अलैहि०) को दम किया करते थे। और ये हदीस इमाम वकीअ (रह०) की है।
  • अबू दाऊद हदीश नम्बर 3902 से रिवायत है की उम्मुल-मोमिनीन सैयदा आयशा (रज़ि०) बयान करती हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ जब बीमार हो जाते तो मुअव्विज़ात (قل هو الله أحد ، قل أعوذ برب الفلق) और (قل أعوذ برب الناس) पढ़ कर अपने ऊपर फूँक लेते थे। फिर जब आप की तकलीफ़ बढ़ गई तो मैं उन्हें आप पर पढ़ती और आप ﷺ का हाथ पकड़ कर आप के जिस्म पर फेरती इस उम्मीद से कि उन में बरकत है।
  • यहां तक के आप सल्लेलाहु अलेहि वसल्लम आंधी तूफान या कोई भी मुसीबत में आप सुरह नास, और सूरह फलक पढ़कर पनाह मांगते थे: जैसा के अबू दाऊद हदीश नम्बर 1463 से रिवायत है की हज़रत अक़बा-बिन-आमिर (रज़ि०) बयान करते हैं कि एक बार में रसूलुल्लाह ﷺ के साथ चल रहा था हम जहफ़ा और अबवा के बीच थे कि आँधी आई और सख़्त अँधेरा छा गया तो रसूलुल्लाह ﷺ सूरा फ़लक़ और सूरा नास पढ़ने लगे और फ़रमाने लगे ऐ अक़बा! इनकी तिलावत से तअव्वुज़ किया करो। (अल्लाह से पनाह माँगा करो।) किसी पनाह माँगने वाले ने इनसे बढ़ कर बेहतर कलिमात से पनाह नहीं माँगी। अक़बा कहते हैं : मैंने सुना कि आप इन्ही सूरतों के साथ नमाज़ में हमारी इमामत फ़रमाते थे।

Conclusion:

नज़र लगना एक हक़ीक़त है जो इंसान की सेहत, ख़ुशियों और ज़िंदगी पर बुरा असर डाल सकती है। इस्लाम में नज़र से बचने के लिए मुख़्तलिफ़ दुआएँ और वज़ीफ़े बताए गए हैं। “नज़र की दुआ” अल्लाह से मदद की एक ज़रूरी तलब है जो हमें बुरी नज़र और हसद से महफूज़ रखने में मदद करती है। हमेशा सूरह फ़लक, सूरह नास और मुअव्विज़तें पढ़कर अपने आप को और अपने प्यारे लोगों को बुरी नज़र से महफूज़ रखना चाहिए।

Nazar Ki Dua Ke Bare Mein Aham Sawalat: नजर की दुआ के बारे में अहम सवालात

1. नज़र लगना क्या होता है?
नज़र लगना का मतलब है किसी शख़्स के हसद या जालान की वजह से उस पर माफ़ी असर होना। नज़र इंसान की सेहत, रिज़क, या किस्मत पर बुरा असर डाल सकती है। इस्लामी तालीमात में नज़र लगाने को हक़ीक़ी माना गया है, इस लिए नज़र से बचने के लिए दुआ और अल्लाह से मदद तलब करना ज़रूरी है।

2. नज़र की दुआ का क्या फ़ायदा है?
नज़र की दुआ पढ़ने से इंसान अल्लाह की हिफ़ाज़त में आता है। ये दुआ इंसान को बुरी नज़र के मन्फी असर से बचाती है और उस पर अल्लाह का करम होता है। दुआ पढ़ने से नज़र का असर कम हो जाता है, और मुसलमान अपने अकीद के मुताबिक़ अपने और अपने घर वालों की हिफ़ाज़त कर सकते हैं।

3. नज़र की दुआ कब सीखनी चाहिए?
नज़र की दुआ किसी भी शख़्स को नज़र लगाने के बाद या बुरी नज़र से बचने के लिए पहले से भी परही जा सकती है। जब किसी को शक हो कि उस पर नज़र का असर हो रहा है या किसी चीज़ का बराकत में कमी महसूस हो, तो इस वक़्त दुआ परहना फ़ैदा मंद होता है।

4. नजर की दुआ कुरान में कहां से मिलती है?
नज़र से बचने की दुआ कुरान और हदीस में मिलती है। सूरह अल-फलक और सूरह अन-नास को खास तोर पर नजर लगने से हिफाजत के लिए परहना मुफीद समझ जाता है। ये दोनों सूरह नज़र और हर क़िस्म की शैतानी असरात से बचने के लिए अल्लाह से मदद तालाब करती हैं।

5. नज़र लगने की आलम क्या होती है?
नज़र लगने की अलमतें इंसान की सेहत में अचानक तबदीली, काम में रुकावत, या किसी चीज़ की बराकत में काम की सूरत में ज़ाहिर होती हैं। किसी शख्स को बे-वजह परेशान करने वाली चीजें या खुद को थकावत महसूस होने पर भी आलमात हो सकती है।

6. बच्चों को नज़र से कैसे बचाया जा सकता है?
बच्चों को नज़र से बचाने के लिए उन पर सूरह अल-फ़लक और सूरह अन-नास का तिलावत कर के बांध दिया जाता है। माजिद, “बिस्मिल्लाह” का वज़ीफ़ा और दूसरी इस्लामी दुआ का इस्तमाल भी बच्चों को बुरी नज़र से हिफ़ाज़त में रखता है। अल्लाह से हिफ़ाज़त की दुआ करना भी ज़रूरी है।

7. नज़र उतारने का तरीका क्या है?
नजर उतारने के लिए कुरान की आयत, खास तोर पर सूरह अल-फलक और सूरह अन-नास, परही जाति हैं। मुसलमान किसी पानी या जैतून के तेल पर दुआ कर उसका इस्तमाल कर सकते हैं। इल्म-ए-दीन के मुताबिक, बुरी नजर उतारने के लिए इस दुआ को मुश्किल वक्त में बार-बार पढ़ना मुफीद होता है।

8. क्या हर शख़्स नज़र लगता है?
हर शख़्स नज़र नहीं लगता, लेकिन कुछ लोगों की जलन या हसद की वजह से नज़र लगने का इम्कान होता है। इस्लाम के मुताबिक़, किसी के ताजुब या हसद भरी नज़र इंसान को नुक्सान पोहचा सकती है। नज़र लगना हक़ीक़ी चीज़ है, लेकिन इससे बचने के लिए अल्लाह से मदद तलब करना ज़रूरी है।

9. नज़र लगने के बाद क्या करना चाहिए?
नज़र लगने के बाद पहला क़दम ये है कि इंसान अल्लाह की पनाह में आए और सूरह अल-फ़लक़, सूरह अन-नास, और नज़र की दुआ का वज़ीफ़ा करे। साथ ही किसी आलम-ए-दीन से मशवरा लेना भी मददगार हो सकता है। नमाज और दुआ का इहतिमाम कर के इंसान अपनी हालत में बेहतरी ला सकता है।

10. नज़र की दुआ का तर्जुमा क्या है?
नज़र की दुआ का तर्जुमा ये है कि अल्लाह से हिफ़ाज़त और मदद तलब करना, और बुरी नज़र से महफ़ूज़ रहने की दुआ करना। नज़र की दुआ में अल्लाह से दुआ की जाती है कि वो इंसान को हर क़िस्म के शैतानी असरात और बुरी नज़र से बचाए और हमारे रिज़क और सेहत में बरकत अता करे।

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