सूरह अल-लैल क़ुरान की एक अहम सूरह है जो इंसानी ज़िन्दगी के सबक और अल्लाह की रहमत को बयान करती है। इस पेज पर सूरह अल-लैल का तर्जुमा, तफसीर, और फज़ीलत हिंदी, उर्दू, और इंग्लिश में दिया गया है। सूरह अल-लैल के असल मतलब और हदीस की रोशनी में इसकी अहमियत को समझा गया है।
Surah Al-Lail: सूरह अल लैल
सूरह अल-लैल कुरान की 92वीं सूरह है। यह सूरह 30वें पारे में आती है। इस सूरह में 21 आयतें हैं। इस सूरह के अंदर हमारे नफ़्स का तज़किरा किया गया है। सूरह अल-लैल मक्की सूरह है, यानी यह सूरह मक्का में नाजिल हुई थी। यह सूरह उन लोगों के लिए नाजिल हुई जो अल्लाह के रास्ते में माली क़ुर्बानी देने से कतराते थे और दीन की तरफ ज़रूरी तवज्जो नहीं देते थे। यह सूरह उन्हें एहसास दिलाने के लिए है कि नेक अमल और अल्लाह की रज़ा हासिल करना ही असल मकसद है।
Surah Al-Lail Ki Fazilat: सूरह अल लैल की फ़ज़ीलत
अल्लाह की कसम का बयान: सूरह अल-लैल में अल्लाह तआला ने रात की कसम खाई है जब वह छा जाए और दिन की कसम जब उसका उजाला फैल जाए। यह कसम इस बात की तरफ इशारा करती है कि अल्लाह सुभानहु तआला इन सब चीज़ों को गवाह बनाता है। अगर हमें यह पता चल जाए कि इसके क्या फायदे हैं, तो हम अल्लाह सुभानहु तआला के शुक्र गुज़ार बंदे बन जाएँगे। क्योंकि अगर रात न आए तो इसके नुकसान यह होगा कि गर्मी की शिद्दत बढ़ जाएगी, और अगर दिन न आए तो ठंड की शिद्दत बढ़ जाएगी।
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Surah Al-Lail In Arabic: सूरह अल लिल इन अर्बिक
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
(1) وَاللَّيْلِ إِذَا يَغْشَىٰ
(2) وَالنَّهَارِ إِذَا تَجَلَّىٰ
(3) وَمَا خَلَقَ الذَّكَرَ وَالْأُنثَىٰ
(4) إِنَّ سَعْيَكُمْ لَشَتَّىٰ
(5) فَأَمَّا مَنْ أَعْطَىٰ وَاتَّقَىٰ
(6) وَصَدَّقَ بِالْحُسْنَىٰ
(7) فَسَنُيَسِّرُهُ لِلْيُسْرَىٰ
(8) وَأَمَّا مَن بَخِلَ وَاسْتَغْنَىٰ
(9) وَكَذَّبَ بِالْحُسْنَىٰ
(10) فَسَنُيَسِّرُهُ لِلْعُسْرَىٰ
(11) وَمَا يُغْنِي عَنْهُ مَالُهُ إِذَا تَرَدَّىٰ
(12) إِنَّ عَلَيْنَا لَلْهُدَىٰ
(13) وَإِنَّ لَنَا لَلْآخِرَةَ وَالْأُولَىٰ
(14) فَأَنذَرْتُكُمْ نَارًا تَلَظَّىٰ
(15) لَا يَصْلَاهَا إِلَّا الْأَشْقَى
(16) الَّذِي كَذَّبَ وَتَوَلَّىٰ
(17) وَسَيُجَنَّبُهَا الْأَتْقَى
(18) الَّذِي يُؤْتِي مَالَهُ يَتَزَكَّىٰ
(19) وَمَا لِأَحَدٍ عِندَهُ مِن نِّعْمَةٍ تُجْزَىٰ
(20) إِلَّا ابْتِغَاءَ وَجْهِ رَبِّهِ الْأَعْلَىٰ
(21) وَلَسَوْفَ يَرْضَىٰ
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Surah Al-Lail In English: सूरह अल-लैल अंग्रेजी में
Bismillahir-Rahmanir-Raheem
- Wal-Laili Iza Yaghsha
- Wan-Nahaari Iza Tajalla
- Wa Ma Khalaqal-Zakara Wal-Untha
- Inna Sa’yakum Lashatta
- Fa-Amma Man A’ta Wa Taqa
- Wa Saddaqa Bil-Husna
- Fasanu Yassiruhu Lil-Yusra
- Wa Amma Man Bakhila Wastaghna
- Wa Kazzaba Bil-Husna
- Fasanu Yassiruhu Lil-‘Usra
- Wa Ma Yughni ‘Anhu Maaluhu Iza Taradda
- Inna Alayna Lal-Huda
- Wa Inna Lana Lal-Aakhirata Wal-Ula
- Fa-Anzartukum Naaran Talazza
- Laa Yaslaaha Illal-Ashqa
- Allazee Kazzabe Wa Tawalla
- Wa Sa-Yujannabu Hal-Atqa
- Allazee Yu’ti Maalahu Yatazakka
- Wa Maa Li-Ahadin Indahu Min Ni’matin Tujzaa
- Illab-tighaa’a Wajhi Rabbihil-A’laa
- Wa Lasaoufa Yarda
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Surah Al-Lail In Hindi: सूरह अल-लैल हिंदी में:
बिस्मिल्लाहिर-रहमानिर-रहीम
1. वल-लैलि इज़ा यग़्शा
2. वन्नहारी इज़ा तजल्ली
3. वमा ख़लक़ज़-ज़कर वल-उंसा
4. इन्न सअ’य्यकुम लशत्ता
5. फ़-अम्मा मन अअ’ता वत्तक़ा
6. वसद्दक़ बिल-हुस्ना
7. फ़सनुयस्सिरुहु लिल-युस्रा
8. व-अम्मा मन बख़िला वस-तग़ना
9. व-कज़्ज़ब बिल-हुस्ना
10. फ़सनुयस्सिरुहु लिल-‘उस्रा
11. वमा यूग़्नी अनहु मालुहु इज़ा तरद्दा
12. इन्न अलैना लल-हुदा
13. व-इन्ना लना लल-आख़िरता वल-ऊला
14. फ़-अनज़र्तुकुम नारन तलज़्ज़ा
15. ला यस्लाहा इल्लल-अश्क़ा
16. अल्लज़ी कज़्ज़बा व-तवल्ला
17. व-स-युजन्नबुहल-अत्तक़ा
18. अल्लज़ी यू’ती मालहु यतज़क्क़ा
19. वमा ल-अहदिन् इंदहु मिन निअ’मतिन् तुजज़ा
20. इल्ला ब्तिग़ा वज्हि रब्बिहिल-आ’ला
21. व-ल-सौफ़ा यर्दा
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Surah Al-Lail Ka Tarjuma: सूरह अल लैल का तर्जुमा
- क़सम रात की जब वह छा जाये,
- और दिन की जब उसका उजाला फैल जाये
- और उस ज़ात की जिसने नर और मादा को पैदा किया,
- कि हक़ीक़त में तुम लोगों की कोशिशें अलग-अलग क़िस्म की हैं।
- अब जिस किसी ने (अल्लाह के रास्ते में माल) दिया और तक़वा (नेकी का रास्ता) इख़्तियार किया,
- और सब से अच्छी बात को दिल से माना,
- तो हम उसको आराम की मन्ज़िल (ठिकाने) तक पहुँचने की तैयारी करा देंगे।
- रहा वह शख़्स जिसने बुख़्ल से (यानी कन्जूसी और नफ़्स को अच्छाई से रोकने का) काम लिया, और (अल्लाह से) बेनियाज़ी इख़्तियार की,
- और सब से अच्छी बात को झुठलाया,
- तो हम उसको तकलीफ़ की मन्ज़िल तक पहुँचने की तैयारी करा देंगे।
- और जब ऐसा शख़्स तबाही के गड्ढे में गिरेगा तो उसका माल उसके कुछ काम नहीं आयेगा।
- यह सच है कि रास्ता बतला देना हमारे ज़िम्मे है,
- और यह भी सच है कि आख़िरत और दुनिया दोनों हमारे क़ब्ज़े में हैं।
- लिहाज़ा मैंने तुम्हें एक भड़कती हुई आग से ख़बरदार कर दिया है।
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Surah Al lail Ke Baare Mein Aham Sawalat। सूरह अल लैल के बारे में अहम सवालात:
1. सूरह अल-लैल की शान-ए-नुज़ूल क्या है?
सूरह अल-लैल मक्की सूरह है, यानी यह सूरह मक्का में नाजिल हुई थी। यह सूरह उन लोगों के लिए नाजिल हुई जो अल्लाह के रास्ते में माली क़ुरबानी देने से कतराते थे और दीन की तरफ ज़रूरी तवज्जो नहीं देते थे। यह सूरह उन्हें एहसास दिलाने के लिए है कि नेक अमल और अल्लाह की रज़ा हासिल करना ही असल मक़सद है।
2. सूरह अल-लैल का मक़सद क्या है?
सूरह अल-लैल का मकसद इंसान को यह समझना है कि हर इंसान की कोशिश और अमल का एक मुअय्यन अंजाम है। यह सूरह हमें यह तालीम देती है कि नेक अमल करने वाले आखिरत में आसानी और राहत पाएंगे, जबकि बुरे अमल करने वाले तकलीफ और सज़ा में गिरफ़्तार होंगे।
3. सूरह अल-लैल में कौन-कौन से अहम उसूल बयान किए गए हैं?
इस सूरह में दो अज़ीम उसूल बयान किए गए हैं: पहला, नेक अमल करने वालों की तारीफ और उनका बेहतरीन अंजाम; दूसरा, बुरे अमल करने वालों की मज़म्मत और उनका तबाह कुन अंजाम। यह उसूल इंसान को नेक अमल की तरफ राग़िब करते हैं और बुराई से दूर रहने की तालीम देते हैं।
4. सूरह अल-लैल पढ़ने से क्या फ़ज़ीलत हासिल होती है?
सूरह अल-लैल पढ़ने से इंसान को हिदायत मिलती है और यह याद दिलाती है कि दुनिया और आखिरत दोनों अल्लाह के क़ब्ज़े में हैं। इस सूरह की तिलावत से इंसान के दिल में तक़वा और अल्लाह का खौफ पैदा होता है, और यह नेक अमल की तरफ राग़िब करती है। अल्लाह तआ’ला ऐसे इंसान को अपनी रज़ा से नवाजता है।
5. सूरह अल-लैल का कुरान में कौन से नंबर पर है?
सूरह अल-लैल कुरान-ए-मजीद की 92वीं सूरह है। यह जुज़ 30 में शामिल है और इसमें कुल 21 आयतें हैं। यह सूरह छोटी सी है मगर अपने पैग़ाम में बेइंतेहा गहरी और मुअज़्ज़िन है।
6. सूरह अल-लैल पढ़ने का असर क्या होता है?
सूरह अल-लैल पढ़ने से इंसान के दिल में अल्लाह का खौफ और आखिरत की फिक्र पैदा होती है। यह सूरह इंसान को समझाती है कि हर कोशिश का एक अंजाम है, और यह हिदायत और रहनुमाई का ज़रिया बनती है। इसकी तिलावत से इंसान को नेक अमल की तरफ मोटिवेट करती है और बुराई से बचने की तालीम देती है।
7. सूरह अल-लैल में अल्लाह ने किन चीज़ों की क़सम खाई है और क्यों?
सूरह अल-लैल में अल्लाह तआ’ला ने रात की क़सम खाई जब वह छा जाए, और दिन की क़सम खाई जब उसका उजाला फैल जाए। यह क़समें इस बात की तरफ इशारा करती हैं कि अल्लाह हर चीज़ का मालिक है, और हर चीज़ का इख़्तियार सिर्फ अल्लाह के हाथ में है, जो उसकी कुदरत और हिकमत को ज़ाहिर करता है।
I attained the title of Hafiz-e-Quran from Jamia Rahmania Bashir Hat, West Bengal. Building on this, in 2024, I earned the degree of Moulana from Jamia Islamia Arabia, Amruha, U.P. These qualifications signify my expertise in Quranic memorization and Islamic studies, reflecting years of dedication and learning.