Surah Quraish: सूरह कुरैश
सूरह कुरैश कुरआन पाक के 30वें पारे में आती है। सूरह कुरैश मक्की सूरह है। इसमें एक रुकू और 4 आयतें हैं। अल्लाह ने कुरैश क़बीले को अपनी रहमत और इनआमात याद दिलाई हैं। अल्लाह ने कुरैश को अमन और रिज़्क़ अता फरमाया और उन्हें काबा का मुझाविर बनाया। इस सूरह का मकसद कुरैश को अल्लाह की इबादत की तरफ मुतवज्जह करना है, ताकि वे अल्लाह की नेमतों का शुक्र अदा करें और सिर्फ उसी की बंदगी करें।
Surah Quraish in Arabic: सूरह कुरैश अरबी में
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
لِإِيلَافِ قُرَيْشٍ
إِيلَافِهِمْ رِحْلَةَ الشِّتَاءِ وَالصَّيْفِ
فَلْيَعْبُدُوا رَبَّ هَٰذَا الْبَيْتِ
الَّذِي أَطْعَمَهُمْ مِّن جُوعٍ وَآمَنَهُم مِّنْ خَوْفٍ
Surah Quraish in Hindi: सूरह कुरैश हिंदी में
बिस्मिल्लाह हिर-रहमान निर-रहीम
ली-ईलाफ़ि क़ुरैश
ईलाफ़िहिम रिहलतश-शिता-इ वस सैफ
फल्याबुदू रब्बा हाज़ल-बैत
अल्लज़ी अतअमहुम मिन जू’इं व अमनाहुम मिन ख़ौफ़
Surah Quraish Hindi Meaning (Tarjuma): सूरह कुरैश हिंदी अर्थ (तर्जुमा)
- शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से, जो बहुत मेहरबान और बार-बार रहम करने वाला है।
- चूँकि कुरैश के लोग (सुरक्षा के) आदी हैं,
- यानी वे सर्दी और गर्मी के मौसमों में (मुल्क-ए-यमन और मुल्क-ए-शाम के) सफर करने के आदी हैं,
- इसलिए उन्हें चाहिए कि वे इस घर के मालिक की इबादत करें
- जिसने उन्हें भूख की हालत में खाना दिया और अशांति से उन्हें महफूज़ (सुरक्षित) रखा।
Surah Quraish in English: सूरह कुरैश अंग्रेजी में
Bismillah hir-Rahman nir-Raheem
Li-eelafi Quraish
Eelafihim rihlatash shitaa’i was saif
Falya’budoo rabba haazal bait
Allazee at’amahum min joo’in wa-aamanahum min khawf
Surah Quraish English Meaning: सूरह कुरैश अंग्रेजी अर्थ
- In the name of Allah, the Most Gracious, the Most Merciful.
- For the accustomed security of the Quraysh –
- Their accustomed security [in] the caravan of winter and summer.
- Let them worship the Lord of this House,
- Who has fed them [saving them] from hunger and made them safe [saving them] from fear.
Surah Quraish Tafseer: सूरह कुरैश तफसीर
Ayat Number : 1
ली इलाफ़ी फी कुराईश : ब वजह इसके के कुराईश मानुस हुए , जमा हुए एकट्ठे हुए , ये कब हुआ कैसे हुआ? इसका पसे मंजर कुछ यूं है , के कबीले कुराईश रिजात में मुताफ़ररिक मकामत पर बिखर हुआ था। सबसे पहले कुसाई इब्ने किलाब रसूल अल्लाह सल्लेलाहू वसल्लम के जददे आला को ये ख्याल आया की अपने कबीले को एक जगह इकठठे करे , तो उन्होंने सारे कबीले को मक्का में लाके इकठठे किया इसी वजाह से कुशाई को मुजममे का लकब दिया गया की जमा करने सबकी इसथेमायेत करने वाला । और उनकी ये इस्थेमाइयत की वजह से काबा की तवल्लीययत इनके हाथ में आ गई । तो ये सबब बना था आपके कबीले का मक्का की एक इस्थेमाई तौर पर सरदारी का । ली ईला फी कुराईश , क्यूंकी कुराईश जमा हुए ,अच्छा इन जगह होने से इनको खास फाइदे भी हुए , और उन फाइदों में खुसुसि तौर पर इनके अंदर जो तिजारत का सौख उभरा और तिजारत काफिले इनके शारदीओं गर्मियों में मुखतलिफ़ इलाकों में जाने लगे। जिसका अगली आयात में जीकर मिलता है ।
Ayat Number : 2
ईला फिहिम, उनका मुस्तमे होना या मानुस होना , लिह-रतश शीता ई-वससइफ़ शरदीओं , और गर्मियों की तिजारती शफर से या बिजनेस ट्रिप की वजह से, क्यूंकी जब ए लोग इकठठे हुए तो मिलके सोचते थे। तो ये नंबर 1. चूँ के खाना काबा के शरदारी इनके हाथ में थी नंबर 2. इन्होंने बिजनेस सुरू किया तो बहुत माल दार भी हो गए , तो देखे के इनके पास दिन भी है दुनिया भी अब चूँके ये काबे के मूतालव्वि है तो इनकी बरी इज्जत भी है शान भी है। इसी चीज को इनको बहुत मुताकब्बील बना दिया था, यही चीज तो इनको आप सल्लेलाहू वसल्लम के मुखालफत पर ले गई। के हम बरी चीज है । अल्लाह ताला इन लोगों को नैमतें याद करा रहे है के देखो तुम तुम्हे इज्जत किसकी वजाह से मिली , इस घर की वजाह से। तुम्हारी तिजारत की वजाह से चमकी , इस काम की वजह से । इनको जो कुछ भी मिला सब काबा की वजाह से मिला । तो अल्लाह ताला फरमा रहे है तुम्हे ये सब कुछ इस घर की वजह से मिला और तुम हो के इस घर के रवि को भूल गए हो ।
Ayat Number : 3
फलया वुदु रब्बाहा जलबइत इन्हे चाहिए के ए इस घर की रब की इबादत करे ,इसके अंदर रखे बुतों की नहीँ , अच्छा अब हुआ ये था के इन लोगों ने कुछ मानघरत तरीके निकाल लिए थे इबादत के, क्यूंकी काबा के मुजावर थे तो इन्होंने सियासी किसम का मजहब ईजाद किया, जो मफादत पर मबनी होता है। मुखतलिफ़ कबाएल के लोग हज्ज करने आते थे तो वो सिंबल के तौर पर अपना बुत इनके पास रखवाते थे, यानि बुत रखवाते थे अपने रिप्रेजेंटटेतिव या अपने तालुक के बिना पर । तो वो जब इबादत के लिए आते तो आके इनको पेस करते ये हमारा बुत है इसको आप अपने खाने काबा के अंदर रख लीजिए हम आपके हलीफ़ है आपके मदद गार है आपके ताबे है , और ये भी इसमें अपने बरी शान समझते थे । और इस तरह 360 बूतें खाने काबा में जमा हो गए । वजाए इसके के ये अल्लाह की इबादत करते इन्होंने अपने दुनियावी मफादत के खातिर शियासी मफादत के खातिर अल्लाह के घर को बुतों से भर दिया था। इसलिए यहाँ पर अल्लाह ताला इनको अहसास करा रहे है की इन्हे चाहिए के ये इस घर के रब की इबादत किया करे।
Ayat Numbar : 4
अल्लाजी अत-आमाहुम मीन-जू जिसने इनको भूक से खिलाया इनके पास तो सिर्फ भेर, बकरियाँ थी तो पेट पालने के लिए उन्हीं का दूध पीके गुजारा कर लेते थे । कुछ भी नहीँ उगता था कोई मालों दौलत नहीँ था इनके पास । वा- अमनाहुम मीन खाऊफ , और खौफ से इनको अमन दिया। क्यूंकी इनके यहाँ कतलों गारत आम थी , अल्लाह ने इनकों महफूज रखा । सूरह कुरैश किस लिए पढ़ा जाता है?
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Surah Quraish Ke Baare Mein Ahem Sawalat: सूरह कुरैश के बारे में अहम सवाल
1. अल्लाह ने सूरह कुरैश को क्यों नाज़िल किया?
अल्लाह ने सूरह कुरैश को इसलिए नाजिल फरमाई, ताकी कुरैश के लोगों को अल्लाह की नेमतों का एहसास हो सके। ये सूरह उन्हें याद दिलाने के लिए है कि अल्लाह ने उनको अमन और रिज़क दिया, और उनको अपनी इबादत की तरफ मुतवज्जे होने का हुक्म दिया।
2. सूरह कुरैश मक्की है या मदनी?
सूरह कुरैश मक्की सूरह है, जो मक्का में नाज़िल हुई थी। ये सूरह कुरैश के लोगों पर नाज़िल की गई थी। इस्मेन अल्लाह ने उन्हें अपने नेक अमल और सिर्फ अल्लाह की इबादत की तरफ बुलाया है, ताकि वो उसकी नेमतों का शुक्र अदा करें।
3. कुरैशी अच्छे थे या बुरे?
कुरैश के लोग अल्लाह के साथ शिर्क करते थे, और शिर्क करने वाला काफिर होता है। वो अपने मुफ़दात के लिए लेकिन परस्ति करते थे और अल्लाह की इबादत को छोड़ देते थे, इसलिए उन्हें बुरे कहा जा सकता है।
4. इस्लाम में किस नबी को सबसे ज्यादा तकलीफ हुई?
हमारे नबी पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को सबसे ज्यादा तकलीफ सहनी पड़ी थी, अल्लाह के कलाम को लोगन तक पाहुंचाने के लिए। उन्हें मुश्किलात, जुल्म और मजहबी दुश्मनी का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्हें कभी हौसला नहीं मिला।
5. क्या कुरैश अल्लाह पर विश्वास करते थे?
क़ुरैश के लोग काबा के अंदर सियासी माफ़दात के लिए लेकिन रखते थे, जो उन लोगों के ज़रिये दिए जाते थे जो हज करने आते थे। लिहाज़ा, वे शिर्क करते थे और सिर्फ अल्लाह पर पूरा यकीन नहीं करते थे।
6. गुस्से वाले पैगंबर कौन थे?
मूसा ए.एस. बहुत गुस्से वाले थे, लेकिन मूसा ए.एस. बिना वजह गुस्सा नहीं करते थे। जब कोई कुफ़्र का काम करता, तो उन्हें गुस्सा आ जाता था। उनका गुस्सा सिर्फ अल्लाह के दीन के लिए होता था, ना के अपनी जाति वजह से।
I attained the title of Hafiz-e-Quran from Jamia Rahmania Bashir Hat, West Bengal. Building on this, in 2024, I earned the degree of Moulana from Jamia Islamia Arabia, Amruha, U.P. These qualifications signify my expertise in Quranic memorization and Islamic studies, reflecting years of dedication and learning.