Sone ku Dua

Sone Ki Dua: Arabic, English, Aur Hindi Mein Tarjuma Aur Fazilat

Sone Ki Dua: सोने की दुआ

सोने की दुआ इस्लाम में एक अहम दुआ है जो हमारे प्यारे नबी ﷺ ने सिखाई है। यह दुआ सोने से पहले पढ़ना मुस्तहब है ताकि हम अल्लाह की हिफाज़त में सोकर उठें। इस दुआ में हम अल्लाह से अपनी रूह और जिस्म को अमानत में देने का वादा करते हैं और उसकी रहमत और हिफाज़त की दुआ करते हैं। सोने से पहले इस दुआ को पढ़ने से नींद पुर-सुकून होती है और बुरे ख्वाबों से भी बचाव होता है।

रात को हमारी रूह जमा हो जाती है अल्लाह سبحانہ وتعالى के पास जब हम नींद में होते हैं। अल्लाह تعالى हमारी रूह को अपने पास बुला लेता है, और सुबह जिसे चाहे उसे उसकी रूह लौटा देता है। आप ﷺ ने सोने को मौत की बहन बताया है, इसलिए हमें चाहिए कि हम मरने से पहले उसकी तैयारी कर लें। उसी तरह रोजाना सोने से पहले उसकी तैयारी करनी चाहिए, क्योंकि हमें नहीं पता हमारी मौत कब आ जाए। अगर हमारी मौत हो तो ईमान के साथ हो। इसलिए रोजाना सोने से पहले अज़कार करनी चाहिए जैसे कि हमारे नबी ﷺ की सुन्नत है।

Sone Se Pehle Karne Wale Amal: सोने से पहले करने वाले अमल

  • आप ﷺ सोने से पहले 33 बार सुभानल्लाह, 33 बार अलहम्दुलिल्लाह और 34 बार अल्लाहु अकबर पढ़ा करते थे। इस अमल को जो भी करता है, उसके नामे आमाल में 1000 नेकियाँ लिख दी जाती हैं।
  • इसी तरह आप ﷺ अल्लाह के हम्दोसना में बहुत सी सूरह पढ़ते थे, जैसे सूरह फातिहा, सूरह मुल्क आदि। आप ﷺ सोने से पहले आयतुल कुर्सी, सूरह नास, सूरह फलक, सूरह काफिरुन पढ़ते थे। सोने से पहले आप ﷺ सूरह बकरा की आखिरी 2 आयतों की तिलावत करते थे।

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Raat Ko Na Karne Wale Amal (Hadith Ke Mafhoom Mein): रात को न करने वाले अमल (हदीस के मफ़हूम में)

  • नबी ﷺ का यह मामूल था कि रात गहरी होने के बाद आप बिना जरूरत बाहर नहीं निकलते थे और इसकी मना’नीयत फरमाते थे।
  • नबी ﷺ फरमाते हैं कि लोगों के सो जाने के बाद बाहर निकलना कम कर दिया करो क्योंकि इस वक्त अल्लाह تعالى अपनी कुछ मखलूकात को जमीन में फैला देता है, जैसे जिन्न या जानवर हो सकते हैं। रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया जब तुम कुत्ते को भौंकते और गधे को हिनहिनाते हुए सुनो, तो अल्लाह تعالى की पनाह तलब करो, क्योंकि जो कुछ वो देखते हैं, वो तुम्हें नहीं दिखते। यानि जिन्न होते हैं, जिन्हें कुत्ता या गधा देख सकता है, इंसान नहीं देख सकता।
  • सही बुखारी हदीस नंबर 568 से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ इशा से पहले सोने और उसके बाद बातचीत करने को नापसंद फरमाते थे।
  • सही बुखारी हदीस नंबर 6294 से रिवायत है कि मदीना मुनव्वरह में एक घर रात के वक्त जल गया। नबी करीम ﷺ से इसके बारे में कहा गया, तो आपने ﷺ फरमाया कि आग तुम्हारी दुश्मन है, इसलिए जब सोने लगो तो उसे बुझा दिया करो।

रात को सोते वक्त सोने की दुआ पढ़ कर सोएं।

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Sone Ki Dua (Arabic Mein): सोने की दुआ (अरबी में):

اللهم باسمك أموت وأحيا

Sone Ki Dua (Hindi Mein): सोने की दुआ (हिंदी में):

अल्लाहुम्मा बिस्मिका अमूतु व अह्या।

Sone Ki Dua Ka Tarjuma: सोने की दुआ का तरजुमा:

“ऐ अल्लाह, मैं तेरे नाम के साथ ही मरता हूँ और जीता हूँ।”

Sone Ki Dua English: सोने की दुआ इंग्लिश में:

Allahumma Bismika Amootu Wa Ahya.

Sokar Uthne Ki Dua: सोकर उठने की दुआ

सोने के बाद उठने की दुआ इस्लामिक ज़िंदगी के अहम हिस्सों में से एक है, जिसे हमारे प्यारे नबी ﷺ ने सिखाया है। यह दुआ न सिर्फ हमें दिन की शुरुआत के लिए तैयार करती है, बल्कि यह भी हमें अल्लाह की रहमत और हिफाज़त की याद दिलाती है। सोने के बाद उठने की दुआ का मकसद अल्लाह سبحانہ وتعالى का शुक्रिया अदा करना है कि उसने हमें जिंदगी अता की और हमारी रूह को वापस दुनिया में भेजा। सुबह की शुरुआत अगर अल्लाह के नाम से हो, तो बरकत अता होती है।

Sokar Uthne Ki Dua (Arabic Mein): सोकर उठने की दुआ (अरबी में):

الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي أَحْيَانَا بَعْدَمَا أَمَاتَنَا وَإِلَيْهِ النُّشُورُ

Sokar Uthne Ki Dua (Hindi Mein): सोकर उठने की दुआ (हिंदी में):

“अलहम्दुलिल्लाही लज़ी अह्याना बादमा अमाताना वाईलैही नशूर”

सभ तारीफ अल्लाह के लिए है जिसने हमें मरने के बाद जिंदा किया और उसी की तरफ वापसी है।

इस्लाम में सोने से पहले की दुआ और अमल का खास महत्व है, जिसे हमारे प्यारे नबी ﷺ ने हमें सिखाया है। यह दुआ अल्लाह की हिफाज़त और रहमत की दुआ है, जिससे हमारी नींद पुर-सुकून हो जाती है और हम बुरे ख्वाबों से महफूज़ रहते हैं। सोने से पहले अल्लाह का ज़िक्र करना और सुन्नत के मुताबिक अमल करना हमें न सिर्फ सुकून भरी नींद देता है बल्कि हमारे ईमान को भी मजबूत करता है। इसके साथ ही रात के वक्त बिना ज़रूरत बाहर निकलने से बचने और शैतानी ताक़तों से महफूज़ रहने की हिदायत दी गई है। इस्लाम हमें हर कदम पर अल्लाह की याद और उसकी पनाह में रहने की तालीम देता है, और सोने से पहले की दुआ इसका एक अहम हिस्सा है। इसी तरह सोकर उठने की दुआ पढ़कर अल्लाह का शुक्रिया अदा करना चाहिए ताकि हमें बरकत अता हो।

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Sone Ki Dua Ke Baare Mein Ahem Sawalat: सोने की दुआ के बारे में अहम सवाल

1. सोने की दुआ क्या है?
सोने की दुआ वो दुआ है जो आप सोने से पहले अल्लाह की रहमत और हिफाजत के लिए मांगते हैं। इस दुआ का मकसद अल्लाह से अपनी खुद की और अपने परिवार की हिफाजत और बेहतरी की दुआ करना है। ये दुआ आपकी नींद को बेहतर बनाने और ख्वाब को अच्छा करने में भी मददगार होती है।

2. क्या सोने की दुआ पढ़ना फरज है?
सोने की दुआ पढ़ना फरज नहीं है, लेकिन ये सुन्नत है। ये दुआ पढ़कर आप अल्लाह से मदद और हिफाजत मांगते हैं, जो कि एक अच्छा अमल है। इस दुआ को पढ़ने से नींद बेहतर होती है और आपको सुकून मिलता है।

3. सोने की दुआ कहाँ से सीख सकता हूँ?
आप सोने की दुआ को कुरान या हदीस से सीख सकते हैं। इसके अलावा, आप अपने मौलवी से भी मदद ले सकते हैं। इंटरनेट पर भी काफी रिसोर्सेज हैं जहाँ से आप ये दुआ सीख सकते हैं।

4. सोने की दुआ का क्या फायदा है?
सोने की दुआ पढ़ने से आपको अल्लाह की हिफाजत और रहमत का भरोसा होता है। ये दुआ आपकी नींद को बेहतर करने, ख्वाब को अच्छा करने, और रात को सुकून से गुजारने में मददगार होती है। इससे आपको नफरत और बुराई से भी हिफाजत मिलती है।

5. क्या सोने की दुआ हर रात पढ़नी चाहिए?
हाँ, सोने की दुआ हर रात पढ़नी चाहिए। इससे आप अल्लाह की रहमत और हिफाजत को अपने साथ रखते हैं। इस दुआ को पढ़ने से आप अपने दिन को बेहतर बना सकते हैं और रात को पुर सुकून गुजार सकते हैं।

6. क्या सोने की दुआ बच्चों को पढ़नी चाहिए?
जी हाँ, सोने की दुआ बच्चों को भी पढ़नी चाहिए। इससे उन्हें अल्लाह की हिफाजत और रहमत का अहसास होता है। बच्चों को ये दुआ पढ़ना सिखाना उनकी तरबियत का हिस्सा है, जो उन्हें बड़ी उम्र में भी इस दुआ की अहमियत समझने में मदद करेगा।

7. सोने की दुआ में क्या खास बात है?
सोने की दुआ की खास बात ये है कि ये दुआ इंसान को सुकून और अल्लाह की हिफाजत का अहसास दिलाती है। इस दुआ के जरिए आप अपनी सारी परेशानियाँ और फिक्र अल्लाह के हवाले कर देते हैं, जो कि आपको बेहतरीन नींद और ख्वाब देने में मददगार होता है।

8. क्या सोने की दुआ का कोई टाइम है?
सोने की दुआ का कोई खास वक्त नहीं है, लेकिन ये दुआ सोने से पहले पढ़नी चाहिए। आप इस दुआ को अपनी नींद से पहले किसी भी वक्त पढ़ सकते हैं, लेकिन बेहतर है कि इससे सोने से पहले पढ़ लें।

9. क्या सोने की दुआ से नींद आती है?
हाँ, सोने की दुआ पढ़ने से अक्सर नींद आती है। इस दुआ का असर होता है कि आप अल्लाह की रहमत और हिफाजत का अहसास करते हैं, जो आपको सुकून और आराम देने में मददगार होता है। इस दुआ से आपकी जिंदगी में सुकून बढ़ सकता है।

10. क्या सोने की दुआ पढ़ने से ख्वाब बदलते हैं?
सोने की दुआ पढ़ने से आपके ख्वाब बदलने का भी असर होता है। इस दुआ के जरिए आप अल्लाह से अच्छे ख्वाब और बुराइयों से बचने की दुआ करते हैं। इससे आपको नींद के दौरान अच्छे और पॉजिटिव ख्वाब देखने की उम्मीद होती है।

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