Surah Baqarah Ki Last 2 Ayat: सूरह बकरा की आखिरी दो आयतें
सूरह बकरा, जो कुरआन पाक की दूसरी और सबसे बड़ी सूरह है, कुरआन के पहले पारे में आती है। इसकी बहुत सी फ़ज़ीलतें हैं, खासकर सूरह बकरा की आखिरी 2 आयतों की, जिनकी फ़ज़ीलत हदीसों में बहुत मिली है। सूरह फातिहा और सूरह अल-बकरा की आखिरी 2 आयतें, आप ﷺ जब भी इन दोनों आयतों की तिलावत करके कोई भी दुआ मांगते, तो उन्हें जरूर मिलती। इसलिए इनकी फ़ज़ीलत बहुत है, और हमें चाहिए कि हम भी इन आयतों की तिलावत करके अल्लाह से दुआ करें।
Surah Baqarah Ki Aakhri 2 Ayat Ki Fazilat: सूरह बकरा की आखिरी 2 आयतों की फ़ज़ीलत
नबी ﷺ को मेराज की रात तीन चीजें मिलीं, उनमें से एक सूरह बकरा की आखिरी 2 आयतें भी थीं। इन आयतों को विशेष खजाने के रूप में दिया गया जो अर्श-ए-इलाही के नीचे है, और ये आयतें आपके सिवा किसी और नबी को नहीं दी गईं। नबी ﷺ ने भी फरमाया है कि जो व्यक्ति सूरह अल-बकरा की आखिरी दो आयतें रात को पढ़ता है, तो ये आयतें उसे पूरी रात की हिफाज़त करती हैं। इन आयतों को पढ़कर अगर कोई दुआ करता है, तो उसकी दुआ कबूल होती है। जिस घर में ये आयतें लगातार तीन रात पढ़ी जाएं, शैतान उस घर के करीब नहीं आता।
Surah Baqarah Ki Aakhri 2 Ayat: सूरह बकराह की आखिरी 2 आयत:
Surah Baqarah Arbic, Hindi Aur Tarjuma – Ayat No. 285: सूरह बकराह अरबी, हिंदी और तर्जुमा – आयत नंबर 285:
آمَنَ الرَّسُولُ بِمَا أُنزِلَ إِلَيْهِ مِن رَّبِّهِ وَالْمُؤْمِنُونَ ۗ كُلٌّ آمَنَ بِاللَّهِ وَمَلَائِكَتِهِ وَكُتُبِهِ وَرُسُلِهِ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ أَحَدٍ مِّن رُّسُلِهِ ۗ وَقَالُوا سَمِعْنَا وَأَطَعْنَا ۗ غُفْرَانَكَ رَبَّنَا وَإِلَيْكَ الْمَصِيرُ
आमना-र-रसूलु बिमा उंज़िला इलैहि मि-र-रब्बिहि वाल-मु’मिनून। कुल्लुन आमना बिल्लाहि वा मलाअ’इकातिहि वा कुतुबिहि वा रसूलिहि ला नुफर्रिकु बईना अहादिम मि-र-रसूलिहि वा क़ालू समी’ना वा अत’ना ग़ुफरानका रब्बना वा इलैका-अल-मसीर।
तर्जुमा: यह रसूल (यानी हज़रत मुहम्मद ﷺ) उस चीज़ पर ईमान लाए हैं जो उनकी तरफ़ उनके रब की तरफ़ से नाज़िल की गई है, और (उनके साथ) तमाम मुसलमान भी। ये सब अल्लाह पर, उसके फ़रिश्तों पर, उसकी किताबों पर और उसके रसूलों पर ईमान लाए हैं। (वे कहते हैं कि) हम उसके रसूलों के दरमियान कोई तफरीक (भेदभाव) नहीं करते (कि किसी पर ईमान लाएं, किसी पर न लाएं) और वे यह कहते हैं कि हमने (अल्लाह और रसूल के अहकाम को तवज्जो से) सुन लिया है, और हम खुशी से (उनकी) तामील करते हैं। ऐ हमारे परवर्दिगार! हम आपकी माफी के तलबगार हैं और आप ही की तरफ़ हमें लौटकर जाना है।
Surah Baqarah Aakhri 2 Ayat Arbic, Hindi Aur Tarjuma – Ayat No. 286: सूरह बक़रा आख़िरी 2 आयत अरबी, हिंदी और तरजुमा – आयत नंबर 286
لَا يُكَلِّفُ اللَّهُ نَفْسًا إِلَّا وُسْعَهَا ۚ لَهَا مَا كَسَبَتْ وَعَلَيْهَا مَا اكْتَسَبَتْ ۗ رَبَّنَا لَا تُؤَاخِذْنَا إِن نَّسِينَا أَوْ أَخْطَأْنَا ۗ رَبَّنَا وَلَا تَحْمِلْ عَلَيْنَا إِصْرًا كَمَا حَمَلْتَهُ عَلَى الَّذِينَ مِن قَبْلِنَا ۗ رَبَّنَا وَلَا تُحَمِّلْنَا مَا لَا طَاقَةَ لَنَا بِهِ ۗ وَاعْفُ عَنَّا وَاغْفِرْ لَنَا وَارْحَمْنَا ۗ أَنتَ مَوْلَانَا فَانصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكَافِرِينَ
ला युकल्लिफु नफसन इल्ला वुस’अहा। लहा मा कसबत व अ’लैहा मा इकतसबत। रब्बना ला तु’अखिज़ना इन नसीना अव अख़्ता’ना। रब्बना वला तहमिल ‘अलैना इसरन कमा हामल्तहु ‘अला अल्लधिना मिन क़बलिना। रब्बना वला तुहम्मिलना मा ला ताक़ता लना बिह। व’फु ‘अन्ना वग़फिर लना वर्हमना। अन्त मवलाना फंसुरना ‘अला अल-क़ौमिल काफ़िरिन।
तर्जुमा: अल्लाह किसी भी व्यक्ति को उसकी ताकत से अधिक जिम्मेदारी नहीं सौंपता। उसे लाभ भी उसी काम से होगा जो वह अपने इरादे से करे, और नुकसान भी उसी काम से होगा जो अपने इरादे से करे। (मुसलमानो! अल्लाह से यह दुआ किया करो कि) ऐ हमारे परवर्दिगार! अगर हमसे कोई भूल-चूक हो जाए, तो हमारी पकड़ न फरमाएं। और ऐ हमारे परवर्दिगार! हम पर ऐसा बोझ न डालें जैसा आपने हमसे पहले लोगों पर डाला था। और ऐ हमारे परवर्दिगार! हम पर ऐसा बोझ न डालें जिसे उठाने की हमें ताकत न हो। और हमारी गलतियों से दरगुज़ार फरमाएं, हमें बख्श दीजिए और हम पर रहम फरमाएं। आप ही हमारे मददगार हैं, इसलिए काफिर लोगों के मुकाबले में हमें मदद दीजिए।
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Surah Baqarah Ki Aakhri 2 Ayat Ke Baare Mein Kuch Ahm Hadeesain: सूरह बकराह की आखिरी 2 आयत के बारे में कुछ अहम हदीसें:
- सही मुस्लिम की हदीस नंबर 431 से रिवायत है कि हज़रत अब्दुल्लाह-बिन-मसऊद (रज़ि.) से रिवायत है, उन्होंने कहा: जब रसूलुल्लाह ﷺ को इसराक करवाया गया तो आप को सिदरह अल-मुन्तही तक ले जाया गया, जो छठे आसमान पर है (जबकि इसकी शाखें सातवें आसमान के ऊपर हैं)। अल्लाह ने फरमाया: जब (नूर-ए-हक की तजल्ली ने) सिदरह को ढांप लिया था, जो कि (उस पर) छाई हुई थीं। अब्दुल्लाह (रज़ि.) ने कहा: सोने के पतंगों ने। और कहा: फिर रसूलुल्लाह ﷺ को तीन चीजें दी गईं:
(1) पाँच नमाज़ें दी गईं
(2) सूरह बकरा की आखिरी आयतें दी गईं और
(3) आपकी उम्मत के ऐसे लोगों के गुनाहों को माफ कर दिया गया जिन्होंने अल्लाह के साथ शिर्क नहीं किया हो।- सही बुखारी की हदीस नंबर 5009 से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया कि जिसने सूरह बकरा की दो आखिरी आयतें रात में पढ़ लीं, वो उसे हर आफत से बचाने के लिए काफी हो जाएंगी।
- जमी’ अत-तिरमिज़ी हदीस नंबर 2882 से रिवायत है कि नौमान-बिन-बशीर (रज़ि.) से रिवायत है कि नबी ﷺ ने फरमाया: अल्लाह तआला ने ज़मीन और आसमान पैदा करने से दो हजार साल पहले एक किताब लिखी, उस किताब की दो आयतें नाज़िल कीं और उन्हीं दोनों आयतों पर सूरह अल-बकरा को खत्म किया। जिस घर में ये दोनों आयतें लगातार तीन रातें पढ़ी जाएं, शैतान उस घर के करीब नहीं आ सकता। इमाम तिरमिज़ी कहते हैं: ये हदीस हसन ग़रीब है।
- सही मुस्लिम हदीस नंबर 1877 से रिवायत है कि हज़रत इब्ने-अब्बास (रज़ि.) से रिवायत है कि जिब्रील (अलैहि.) नबी अकरम ﷺ के पास बैठे हुए थे कि अचानक उन्होंने ऊपर से ऐसी आवाज सुनी जैसी दरवाज़ा खुलने की होती है। तो उन्होंने अपना सिर ऊपर उठाया और कहा: आसमान का ये दरवाज़ा आज ही खोला गया है, आज से पहले कभी नहीं खोला गया, इस से एक फ़रिश्ता उतरा तो उन्होंने कहा: ये एक फ़रिश्ता आसमान से उतरा है। ये आज से पहले कभी नहीं उतरा, इस फ़रिश्ते ने सलाम किया और (आप ﷺ से) कहा: आपको दो नूर मिलने की ख़ुशखबरी हो जो आप से पहले किसी नबी को नहीं दिए गए: (एक) फातिहतिल-किताब (सूरह फातिहा) और (दूसरी) सूरह बकरा की आखिरी आयतें। आप इन दोनों में से कोई वाक्य भी नहीं पढ़ेंगे मगर वो आपको दे दिया जाएगा।
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Surah Baqarah Last 2 Ayat In Roman English: सूरह बकराह की अंतिम 2 आयतें रोमन अंग्रेजी में
Ayat No. 285
Aamina-ur-Rasoolu bima unzila ilayhi mir-Rabbihi wal-Mu’minoon. Kullun aamana billahi wa malaa’ikatihee wa kutubihee wa rusulihi la nufarriqu baina ahadin mir-Rusulihi wa qaaloo sami’na wa ata’na ghufraanaka Rabbana wa ilayka-al-maseer.
Ayat No. 286
Allah la yukallifu nafsan illa wus’aha. Laha ma kasabat wa ‘alaiha ma iktasabat. Rabbana la tu’akhizna in naseena aw akhta’na. Rabbana wala tahmil ‘alainaa isran kama hamaltahu ‘ala al-ladhina min qablinā. Rabbana wala tuhammilna ma la taqata lana bihi. Wa’fu ‘anna waghfir lana waghfirna. Anta Mawlana fansurna ‘ala al-qawmi al-kaafireen.
Surah Baqarah Last 2 Ayat In English: सूरह बकराह अंतिम 2 आयतें अंग्रेजी में
Ayat No. 285
The Messenger has believed in what was revealed to him from his Lord, and [so have] the believers. All of them have believed in Allah and His angels and His books and His messengers, [saying], “We make no distinction between any of His messengers.”And they say, “We hear and we obey. [We seek] Your forgiveness, our Lord, and to You is the [final] destination
Ayat No. 286
Allah does not charge a soul except[with that within] its capacity. It will have [the consequence of] what [good] it has gained, end it will bear Ithe consequence of] what [evil] it has earned. “Our Lord, do not impose blame upon us if we have forgotten or erred.Our Lord, and lay not upon us a burden like that which You laid upon those before us. Our Lord, and burden us not with that which we have no ability to bear. And pardon us; and forgive us;and have mercy upon us. You are our protector, so give us victory over the disbelieving people.
Surah Baqarah Last 2 Ayat Pdf: सूरह बक़रा अंतिम 2 आयत पीडीएफ
आखिरी बात
सूरह बकरा की आखिरी दो आयतें फ़ज़ीलत की लिहाज़ से बहुत ज़्यादा अहम हैं। नबी ﷺ ने इन आयतों को रात के वक़्त पढ़ने की हिदायत दी है, और ये इंसान की हिफ़ाज़त करती हैं। जो घर में ये आयतें तीन रात तक पढ़ी जाती हैं, शैतान उस घर के करीब नहीं आता। इन आयतों को पढ़कर दुआ करने से दुआ कबूल होती है और अल्लाह की मदद मिलती है। हमें चाहिए कि हम इन आयतों को अपनी रोज़ाना इबादत का हिस्सा बनाएं और अल्लाह से हिफ़ाज़त और रहमत की दुआ करें।
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Surah Baqarah Ke Baare Mein Kuch Aham Sawaalat Aur Unke Jawab। सूरह बकराह के बारे में कुछ अहम सवालात और उनके जवाब।
1. सूरह बकराह की आखिरी दो आयतें कौन सी हैं?
सूरह बकराह की आखिरी 2 आयात 285 और 286 हैं जो की कुरआन पाक की तीसरे पारा में आती हैं।
2. क्या सूरह बकराह की आखिरी दो आयतें पढ़ने से कोई फ़ायदा होता है?
सूरह बकराह की आखिरी 2 आयात पढ़ने से बहुत से फायदे होते हैं जैसे कि रात को पढ़ी जाए तो हिफाजत होती है, इन दो आयतों को पढ़कर जो भी दुआ मांगी जाए कबूल होती है।
3. क्या घर में ये आयतें पढ़ने से शैतान दूर रहता है?
जिस घर में 3 रातों तक ये दो आयातें पढ़ी जाएं उस घर में शैतान नहीं आता।
4. क्या सूरह बकराह की आखिरी दो आयतें किसी खास दिन पर पढ़ने की ज़रूरत है?
किसी खास दिन की जरूरत नहीं है, इसे रोजाना पढ़ने की जरूरत है, खासकर रात को पढ़कर सोना चाहिए।
5. क्या आयतों की तिलावत को रोज़ाना इबादत का हिस्सा बनाना चाहिए?
बिल्कुल, इन आयतों की बहुत फ़ज़ीलत है तो इसे रोजाना पढ़ने का मामूल बनाना चाहिए।
6. क्या आयतों को पढ़ने से दुआ क़बूल होती है?
हदीस में आता है जो भी सूरह बकराह की आखिरी 2 आयातों को पढ़कर अल्लाह तआला से दुआ करे उसकी दुआ कबूल होती है।
I attained the title of Hafiz-e-Quran from Jamia Rahmania Bashir Hat, West Bengal. Building on this, in 2024, I earned the degree of Moulana from Jamia Islamia Arabia, Amruha, U.P. These qualifications signify my expertise in Quranic memorization and Islamic studies, reflecting years of dedication and learning.