बे खुद किये देते हैं” एक ऐसी ख्याल है जो खुद से ज्यादा दूसरों की खुशी और सुकून को अहमियत देने की बात करती है। ये जज़्बा आज की दुनिया में बहुत अहमियत रखता है, क्यूंकि इससे हमारी रिलेशनशिप्स और मुआशराती असर पर बेहतरीन असर होता है। इस मक़ाले में, हम इस ख्याल की गहराइयों में जाएंगे और समझेंगे के ये कितना मानी रखता है।
Be Khud Kiye Dete Hain Lyrics Roman Urdu: बे खुद किये देते हैं गीत रोमन उर्दू
Bekhud Kiye Dete Hain Andaz-e-Hijabana
Aa Dil Mein Tujhe Rakh Loon, Ai Jalwa-e-Jaanaana!Itna To Karam Karna, Ai Chashm-e-Kareemana!
Jab Jaan Labon Par Ho, Tum Samne Aa JaanaKyun Aankh Milayi Thi, Kyun Aag Lagayi Thi
Ab Rukh Ko Chhupa Baithe Kar Ke Mujhe DeewanaJee Chahta Hai Tohfe Mein Bhejun Main Unhein Aankhen
Darshan Ka To Darshan Ho, Nazraane Ka NazraanaKya Lutf Ho Mehshar Mein, Qadmon Mein Girun Unke
Sarkaar Kahen Dekho, Deewana Hai Deewana!Kya Lutf Ho Mehshar Mein Main Shikwe Kiye Jaun
Woh Hans Ke Kahe Jaayein, Deewana Hai DeewanaMain Hosh-o-Hawaas Apne Is Baat Pe Kho Baitha
Jab Tune Kaha Hans Ke, Aaya Mera DeewanaPeene Ko To Pee Loonga, Par ‘Arz Zara Si Hai
Ajmer Ka Saqi Ho, Baghdad Ka Mai-KhanaBedam! Meri Qismat Mein Chakkar Hain Isi Dar Ke
Chhuta Hai Na Chhutega Mujhse Dar-e-JaanaanaSaqi Tere Aate Hi Yeh Josh Hai Masti Ka
Sheeshe Pe Gira Sheesha, Paimane Pe PaimanaMa’loom Nahi, Bedam! Main Kaun Hoon Aur Kya Hoon
Yun Apnon Mein Apna Hoon, Beganon Mein BeganaPoet: Bedam Shah Warsi
Naat-Khwaan: Owais Raza Qadri, Amjad Sabri, Hafiz Ahmed Raza Qadri
Be Khud Kiye Dete Hain Lyrics Hindi: बे खुद किये देते हैं लिरिक्स हिंदी:
बेख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना
आ दिल में तुझे रख लूँ, ऐ जल्वा-ए-जानाना !इतना तो करम करना, ऐ चश्म-ए-करीमाना !
जब जान लबों पर हो, तुम सामने आ जानाक्यूँ आँख मिलाई थी, क्यूँ आग लगाई थी
अब रुख़ को छुपा बैठे कर के मुझे दीवानाजी चाहता है तोहफ़े में भेजूँ मैं उन्हें आँखें
दर्शन का तो दर्शन हो, नज़राने का नज़रानाक्या लुत्फ़ हो महशर में, क़दमों में गिरूँ उनके
सरकार कहें देखो, दीवाना है दीवाना !क्या लुत्फ़ हो महशर में मैं शिकवे किए जाऊँ
वो हँस के कहे जाएँ, दीवाना है दीवानामैं होश-ओ-हवास अपने इस बात पे खो बैठा
जब तू ने कहा हँस के, आया मेरा दीवानापीने को तो पी लूँगा, पर ‘अर्ज़ ज़रा सी है
अजमेर का साक़ी हो, बग़दाद का मय-ख़ानाबेदम ! मेरी क़िस्मत में चक्कर हैं इसी दर के
छूटा है न छूटेगा मुझसे दर-ए-जानानासाक़ी तेरे आते ही ये जोश है मस्ती का
शीशे पे गिरा शीशा, पैमाने पे पैमानामालूम नहीं, बेदम ! मैं कौन हूँ और क्या हूँ
यूँ अपनों में अपना हूँ, बेगानों में बेगाना
शायर: बेदम शाह वारसी
ना’त-ख़्वाँ: ओवैस रज़ा क़ादरी, अमजद साबरी, हाफिज अहमद रज़ा क़ादरी
Be Khud Kiye Dete Hain: Iska Matlab Kya Hai?: बे खुद किये देते हैं: इसका मतलब क्या है?
“बे खुद किये देते हैं” का असर सिर्फ लफ्ज़ नहीं बल्कि एक असल जज़्बा है। इसका मतलब है खुद को तरफ से कुछ भी लिए बगैर दूसरों को देना। जब हम इस तरह का जज़्बा अपनाते हैं, तो हमारी रिलेशनशिप्स मज़ीद मज़बूत होती हैं। ये जज़्बा असल में प्यार, क़ुर्बानी और समर्पण को दर्शाता है।
इस ख्याल की अहमियत सिर्फ रोमांटिक रिलेशनशिप्स तक महदूद नहीं है। ये दोस्ती, फैमिली रिलेशन्स और हर तरह के सोशल इंटरैक्शन्स में भी अहमियत रखता है। इससे हम समझते हैं के खुद से पहले दूसरों की खुशी को कैसे अहमियत देनी है।
Be Khud Kiye Dete Hain Aur Pyaar: बे खुद किये देते हैं और प्यार
प्यार की असल असलियत इसी ख्याल में छुपी है। जब हम किसी से प्यार करते हैं, तो हम उनकी खुशी को अपनी खुशी से ज्यादा अहमियत देते हैं। “बे खुद किये देते हैं” का जज़्बा तब उभर कर आता है जब हम अपने प्यार को बिना किसी शर्त के दिखाते हैं।
Pyar ki Ahemiyat: प्यार की अहमियत
- वक़्त गुज़ारना: जब आप अपने प्यार को वक़्त देते हैं, तो आप उन्हें ये महसूस कराते हैं के वो आपके लिए कितनी अहमियत रखते हैं।
- सुनो और समझो: अपने पार्टनर की बातें सुनना और उन्हें समझना भी प्यार की निशानी है।
- छोटी छोटी खुशियां: छोटी छोटी चीज़ें, जैसे उनकी पसंद की चीज़ें उन्हें देना, या उन्हें सपोर्ट करना, ये सब “बे खुद किये देते हैं” की मिसाल हैं।
Be Khud Kiye Dete Hain Lyrics: Ek Jaiza: बे खुद किये देते हैं लिरिक्स: एक जायज़ा
जब हम “बे खुद किये देते हैं” के लिरिक्स को देखते हैं, तो हमें इस जज़्बे की गहराइयां और समझ में आती हैं। ये लिरिक्स अक्सर ऐसे जज़्बात को बयान करते हैं जो इंसान के दिल को छू जाते हैं।
Lyrics Ka Asar: लिरिक्स का असर
लिरिक्स का असर सिर्फ सुनने तक ही नहीं होता, बल्कि ये हमारे जज़्बात को भी जगाते हैं। “बे खुद किये देते हैं” के लिरिक्स अक्सर ये कहते हैं:
- खुद से ज्यादा किसी और की खुशी: ये एक मिसाल है के किस तरह इंसान दूसरों के लिए देने को तैयार होता है।
- खुद को खुद पहले रखना: इससे हम समझते हैं के प्यार सिर्फ देने का नाम है, लेने का नहीं।
Lyrical Analysis: लिरिकल एनालिसिस
इस फ्रेज को अक्सर सॉन्ग्स और पोएट्री में इस्तेमाल किया गया है। हर लाइन एक जज़्बा को बयान करती है।
- महसूस करना: जब कोई शायर या सिंगर कहता है “बे खुद किये देते हैं,” तो वो अपने जज़्बात को बयान करते हैं।
- विश्वास और समर्पण: इस तरह की बातें लोगों को इंस्पायर करती हैं और उन्हें मोटिवेट करती हैं के वो भी इसी तरह से प्यार करें।
Be Khud Kiye Dete Hain Ka Asar: बे खुद किये देते हैं का असर
“बे खुद किये देते हैं” का असर सिर्फ शायरी और सॉन्ग्स तक ही नहीं बल्कि हमारी ज़िन्दगी के हर पहलू पर होता है। जब हम इस जज़्बे को अपनाते हैं, तो हमारी ज़िन्दगी में कुछ खास तब्दीलियां आती हैं।
- अच्छी रिलेशनशिप्स
खुद से पहले दूसरों की खुशी को अहमियत देने से रिलेशनशिप्स मज़बूत होती हैं। लोगों को ये एहसास होता है के वो इम्पोर्टेंट हैं और आप उन्हें पसंद करते हैं। - सामाजिक एकता
इस जज़्बे से समाज में एकता का पैगाम जाता है। जब लोग एक-दूसरे के लिए खुद को देने लगते हैं, तो समाज में प्यार और समझ बढ़ती है। - ज़िन्दगी की बेहतरी
“बे खुद किये देते हैं” का जज़्बा आखिर में अपने आप को खुश रखने का जरिया बनता है। जब आप दूसरों की खुशी के लिए जीते हैं, तो आप खुद भी खुश होते हैं।
Kya Hum Aaj Kal Be Khud Kiye Dete Hain? क्या हम आजकल बे खुद किये देते हैं?
आजकल की दुनिया में, हमारे पास बहुत सारी डिस्ट्रैक्शन्स हैं। लेकिन क्या हम इस जज़्बे को भूल गए हैं? क्या हम खुद को दूसरों के लिए देने के लिए तैयार हैं? ये सवाल हम सब से है।
आखिरी ख्यालात
“बे खुद किये देते हैं” सिर्फ एक लफ्ज़ नहीं है; ये एक जज़्बा है जो इंसानियत को डिफाइन करता है। इससे हमें ये समझ आता है के असल प्यार क्या है। आखिर में, जब आप किसी को प्यार करते हैं, तो उनकी खुशी आपकी खुशी से ज्यादा अहमियत रखती है।
“बे खुद किये देते हैं” की फिलॉसफी को अपना कर, हम अपनी ज़िन्दगी को बेहतर बना सकते हैं, और ये दुनिया को एक बेहतर जगह बना सकते हैं। इस मक़ाले का मकसद है के आपको इस जज़्बे के बारे में सोचने पर मजबूर करे। जब आप ये जज़्बा अपनाते हैं, तो आप सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि अपने आस पास के लोगों के लिए भी एक पॉजिटिव इम्पैक्ट डालते हैं।
आखिर में, ये समझ लेना चाहिए के “बे खुद किये देते हैं” एक ऐसी चीज़ है जो सिर्फ लफ्ज़ नहीं बल्कि असल में ज़िन्दगी को बेहतर बनाने का जरिया है। अपने रिश्ते मज़बूत बनाएं, समाज में एकता लाएं, और खुद को खुद से पहले दूसरों के लिए देना सीखें।
I attained the title of Hafiz-e-Quran from Jamia Rahmania Bashir Hat, West Bengal. Building on this, in 2024, I earned the degree of Moulana from Jamia Islamia Arabia, Amruha, U.P. These qualifications signify my expertise in Quranic memorization and Islamic studies, reflecting years of dedication and learning.