Ek pur sukoon manzar jahan zaireen Kaaba ke ird gird Umrah ada kar rahe hain, Mecca, Saudi Arabia mein, log ibadat mein mashgool hain.

Umrah Ka Tariqa – Fazilat Aur Ahmiyat

उमरा एक इस्लामी इबादत और रूहानी सफ़र है जो किसी भी वक्त किया जा सकता है, लेकिन हज के मुक़ाबले में ये फ़र्ज़ नहीं है, बल्कि मुस्तहब है। इसमें हर मुसलमान मक्का मुक़र्रमा का सफर करता है, जहाँ जाकर काबा का तवाफ करता है और सफ़ा और मरवा के दरमियान सई करता है। इसे छोटी हज भी कहा जाता है, क्योंकि यह हज के सिवा अलग से की जाने वाली इबादत है और हरम शरीफ का तवाफ और सई का अमल इसमें शामिल होता है।

Difference Between Hajj And Umrah: हज और उम्र के बीच अंतर

मज़मून हज उमराह
तआरुफ़ हज इस्लाम का एक फ़र्ज़ इबादत है जो हर साल एक ख़ास वक़्त पर मक्का में अदा किया जाता है। उमराह एक अहम इस्लामी इबादत है जो मक्का और मदीना के मुक़द्दस मक़ामात पर अदा की जाती है। इसे “छोटी हज” भी कहा जाता है।
वक़्त हज साल में एक मरतबा, इस्लामी महीने ज़िल-हिज्जा के दौरान, एक मख़सूस वक़्त पर किया जाता है। उमराह किसी भी वक़्त किया जा सकता है, इसमें कोई मुक़र्रर वक़्त नहीं है।
ज़रूरत हर मुसलमान के लिए ज़िंदगी में कम अज़ कम एक मरतबा हज करना फ़र्ज़ है अगर वो क़ाबिल हो। उमराह फ़र्ज़ नहीं है, ये एक नफ़्ली (इख़्तियारी) इबादत है।
मक़सद गुनाहों की माफ़ी, अल्लाह के क़रीब पहुंचना, और एक इज्तिमाई इबादत का तजुर्बा। गुनाहों की माफ़ी, अल्लाह से क़रीबी तअल्लुक़ बनाना, और अपनी रूहानी इस्लाह के लिए दुआ।
अनुष्ठान एहराम पहनना, तवाफ़, सई, अराफ़ात में ठहरना, मिना और मज़्दलिफ़ा में रात गुज़ारना, जानवर की क़ुर्बानी देना। एहराम पहनना, तवाफ़, सई, और आख़िर में सर मुँडवाना या बाल छोटे करवाना।
अहम मुक़ामात मक्का, मदीना, अराफ़ात, मिना और मज़्दलिफ़ा मक्का (ख़ासकर काबा के पास)
अहमियत हज इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है और हर क़ाबिल मुसलमान के लिए फ़र्ज़ है। उमराह अहमियत रखता है लेकिन ये एक इख़्तियारी (नैफ़्ली) इबादत है।
तजुर्बा ये ज़िंदगी में एक मरतबा की सबसे अहम इबादत है, जिसमें लाखों मुसलमान एक साथ हिस्सा लेते हैं। ये एक फ़र्दी और रूहानी सफर है, जो हर मुसलमान के लिए एक क़ीमती तजुर्बा होता है।

Umrah Ki Dua : उमरा की दुआ

उमरा के वक्त पढ़ी जाने वाली दुआएं मुख्तलिफ मकामात पर पढ़ी जाती है .ये कुछ अहम दुआएं है

1. नियत : उमरा की नियत करते वक्त

Arabic: “اللّهُمَّ إِنِّي أُرِيدُ الْعُمْرَةَ فَيَسِّرْهَا لِي وَتَقَبَّلْهَا مِنِّي.”

तर्जुमा: “ऐ अल्लाह, मैं उमराह की नीयत करता हूँ, इसे मेरे लिए आसान फरमा और इसे कबूल फरमा।”

2. तलबिया: इहराम बांधने के बाद:

Arabic: “لَبَّيْكَ اللّهُمَّ لَبَّيْكَ، لَبَّيْكَ لاَ شَرِيكَ لَكَ لَبَّيْكَ، إِنَّ الحَمْدَ وَالنِّعْمَةَ لَكَ وَالمُلْكَ، لاَ شَرِيكَ لَكَ.”

तर्जुमा “लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक, लब्बैक ला शरीका लका लब्बैक। बेशक सारी तारीफें और नेमतें तेरे लिए हैं, और हुकूमत भी तेरी है। तेरा कोई शरीक नहीं।”

3. Dua at Safa and Marwah : सफा और मरवाह के दरमियान:

Arabic: “اللَّهُ أَكْبَرُ، اللَّهُ أَكْبَرُ، اللَّهُ أَكْبَرُ، لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَحْدَهُ لاَ شَرِيكَ لَهُ، لَهُ المُلكُ وَلَهُ الحَمْدُ وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ.”

तर्जुमा: “अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह सबसे बड़ा है। अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं, वो अकेला है, उसका कोई शरीक नहीं। उसी के लिए हुकूमत है और उसी के लिए सब तारीफें हैं। और वो हर चीज़ पर क़ुदरत रखता है।”

4. Dua at the Ka’bah : तवाफ के वक्त की दुआ

Arabic: “رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الآخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ.”

तर्जुमा: “ऐ हमारे रब, हमें दुनिया में भी भलाई दे और आखिरत में भी भलाई दे, और हमें दोज़ख के अज़ाब से बचा।”

ये कुछ ज़रूरी दुआएं हैं जो उमराह के वक्त पढ़ी जा सकती हैं, मगर आप अपनी व्यक्तिगत दुआएं भी कर सकते हैं और अल्लाह का ज़िक्र करते रहें सफर के दौरान

Umrah Ki Niyat: उमरा की नियत

उमरा की नियत करने के लिए ईमानदारी और दिल की सच्चाई के साथ अल्लाह की बारगाह में जाने का इरादा किया जाता है। इसे नफ़ल इबादत मानते हुए, हर कदम पर खुदा की रहमत पाने की ख्वाहिश से किया जाता है। उमरा की नियत में इख़लास और तवक्कुल होना चाहिए।

Arabic: “اللّهُمَّ إِنِّي أُرِيدُ الْعُمْرَةَ فَيَسِّرْهَا لِي وَتَقَبَّلْهَا مِنِّي.”

तर्जुमा: “ऐ अल्लाह, मैं उमराह की नीयत करता हूँ, इसे मेरे लिए आसान फरमा और इसे कबूल फरमा।”

Umrah Ka Tarika: उमरा का तरीका

उमराह का मुकम्मल तरीक़ा : Complete Method of Performing Umrah

1. नीयत और एहराम:

  • नीयत: उमराह की नीयत करें : दिल से इरादा करें।
  • एहराम: मीकात : वो मकाम जहाँ से एहराम बाँधना ज़रूरी है के अंदर आने से पहले एहराम बाँधना होता है।
  • मर्दों के लिए: दो अनसिला : unstitched सफेद कपड़े पहनें।
  • औरतों के लिए: मामूली और पाकीज़ा लिबास पहनें, जो पूरी जिस्म को ढक ले : कोई ख़ास रंग ज़रूरी नहीं।
  • दो रक़त नमाज़ अदा करें : मुस्तहब है और फिर उमराह की नीयत करें इन लफ़्ज़ों के साथ:
    “लब्बैक अल्लाहुम्मा उमराह” : ऐ अल्लाह, मैं उमराह की नीयत करता हूँ।

2. तलबिया

  • एहराम बाँधने के बाद तलबिया पढ़ना शुरू करें:
    “लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक, लब्बैक ला शरीक लका लब्बैक, इन्नल हम्द, वन्नी’मत, लका वल मुल्क, ला शरीक लक”।
  • ये तलबिया मस्जिद अल-हरम तक बार बार पढ़ते रहें।

3. मस्जिद अल-हरम में दाख़िल होना:

  • मस्जिद अल-हरम में अदब और इंख़िसारी के साथ दाख़िल हों।
  • जब पहली दफ़ा काबा देखें, तो वहीं रुककर दुआ करें, क्योंकि ये बहुत ख़ास लम्हा होता है।

4. तवाफ़:

  • तवाफ़ से पहले वुज़ू ज़रूरी है।
  • हज्र अल-अस्वद : काला पत्थर से तवाफ़ शुरू करें।
  • अगर मुमकिन हो तो हज्र अल-अस्वद को छुएँ या चूमें; अगर ना मुमकिन हो तो हाथ उठाकर इस तरफ़ इशारा करें और ये कहें:
    “बिस्मिल्लाह अल्लाहु अकबर” : अल्लाह के नाम से, अल्लाह सबसे बड़ा है।
  • काबा के गिर्द 7 चक्कर उल्टा घूमते हुए लगाएँ।
  • मर्द पहले तीन चक्करों में तेज़ रफ़्तारी से चलें : रमल।
  • तवाफ़ के दौरान दुआ, कुरान और इस्तिग़फार पढ़ते रहें।
  • 7 चक्कर मुकम्मल करने के बाद, मक़ाम-ए-इब्राहीम के पास दो रक़त नमाज़ अदा करें : मुस्तहब है।

5. सई:

  • तवाफ़ के बाद, सफ़ा पर जाएँ और सई शुरू करें।
  • सफ़ा से मरवह तक चलें, और वापस मरवह से सफ़ा तक आएँ, ये सिलसिला 7 मर्तबा मुकम्मल करें।
  • सफ़ा से मरवह एक चक्कर है और मरवह से सफ़ा दूसरा चक्कर है।
  • सफ़ा और मरवह के दरमियान चलते हुए ये पढ़ें:
    “इन्न अस-सफा वल- मरवह मिन शा’इरिल्लाह” : बेशक सफ़ा और मरवह अल्लाह के निशानों में से हैं।
  • मर्द सब्ज़ निशानियों के दरमियान तेज़ दौड़ें, जबकि औरतें आम रफ़्तार में चलती रहें।

6. हल्क या क़स्र : बाल मुंडवाना या कटवाना:

  • सई मुकम्मल करने के बाद मर्द अपने बाल या तो मुंडवाएँ : हल्क या फिर क़स्र करवाएँ : थोड़े से कटवाएँ।
  • औरतें अपने बालों से हल्की सी : उँगली के सिरे बराबर कटवाएँ।
  • इसके साथ आपका उमराह मुकम्मल हो जाता है, और एहराम ख़त्म हो जाता है।
  • ये था उमराह अदा करने का मुकम्मल तरीक़ा। अल्लाह आपका उमराह क़बूल करे।

Umrah Dress For Ladies: उमरा के लिए औरतों का लिबास

उमरा के लिए औरतों का लिबास सादा और शरीअत के मुताबिक़ होना चाहिए। इसमें सिर से पैर तक ढँकी हुई पोशाक शामिल है, जो आरामदायक और सफर के लिए मुनासिब हो। औरतें अपने कपड़े किसी भी रंग के पहन सकती हैं, बशर्ते वो तंग और जिस्म की नक़्श-ओ-नुमा को ज़ाहिर करने वाले न हों। आमतौर पर, लंबी आस्तीन का कुर्ता और ढीला पायजामा या अबाया पहनना बेहतर माना जाता है। सिर ढकने के लिए स्कार्फ या दुपट्टा लाज़मी है। नक़ाब या चेहरे को ढकना इहराम के दौरान मना है, इसलिए इस हुक्म की पाबंदी ज़रूरी है।

Umra Ke Liye Sabse Achha Waqt: उमरा के लिए सबसे अच्छा वक्त: 

उमरा के लिए कोई खास वक्त नहीं है, मगर रमजान के महीने में इसकी फ़ज़ीलत बढ़ जाती है। रमजान में उमरा करना एक बहुत बड़े सवाब का ज़रिया है, लेकिन भीड़ भी बहुत होती है। जिन लोगों को भीड़ से बचना है, उनके लिए रमजान के अलावा के महीने मुनासिब हो सकते हैं। इसके अलावा, सर्दियों के मौसम में भी उमरा का सफर आसान रहता है क्योंकि मौसम सुकूनदह होता है।

Umra Ka Slat Kaise Book Kare: उमरा का स्लॉट कैसे बुक करें: 

अब उमरा के लिए स्लॉट बुकिंग को आसान बना दिया गया है। उमरा करने के लिए “ईतमारना” या “तवक्कलना” जैसे आधिकारिक ऐप्स का इस्तेमाल किया जा सकता है, जो सऊदी हुकूमत द्वारा उमरा की बुकिंग के लिए बनाए गए हैं। इन ऐप्स पर अपनी रजिस्ट्रेशन, पासपोर्ट, और दूसरे ज़रूरी दस्तावेज़ देकर स्लॉट बुक किया जा सकता है। इसके अलावा, कई ट्रैवल एजेंसी भी उमरा की बुकिंग का पूरा इंतज़ाम करती हैं, जिसमें फ्लाइट, रहने और ज़रूरी कागजात शामिल होते हैं।

उमरा की तैयारी:

उमरा करने से पहले कौन-कौन सी तैयारियाँ करनी चाहिए, जैसे इहराम पहनने के नियम, सफर के दौरान ज़रूरी सामान, और रूहानी और ज़हनी तौर पर तैयारी करना।
(i) इहराम पहनने के नियम:
उमरा शुरू करने से पहले मक्का के करीब एक खास जगह (मिकात) पर इहराम बांधा जाता है। इहराम में खास कपड़े पहनने का हुक्म है; मर्दों के लिए दो सफ़ेद कपड़े और औरतों के लिए सादे लिबास होते हैं। इहराम के दौरान कुछ मना किए गए कामों से परहेज़ करना जरूरी है, जैसे कि इत्र लगाना औरतों के लिए, बाल काटना, और शिकार करना बुरे अल्फ़ाज़ मुह से निकालना झगरा करना ।

(ii) सफर के दौरान जरूरी सामान:
उमरा के लिए सफर पर निकलने से पहले आपको ज़रूरी सामान की तैयारी करनी चाहिए, जिसमें इहराम के कपड़े, कुरान, जरूरी दस्तावेज, दवाइयां, और रोज़मर्रा की जरूरी चीजें शामिल हैं। आरामदायक जूते, हल्के कपड़े, और एक छोटी पानी की बोतल भी साथ रखना फायदेमंद रहेगा।

(iii) रूहानी और ज़हनी तौर पर तैयारी करना:
उमरा एक रूहानी सफर है, इसलिए इससे पहले दिल को साफ करना, नफ्स को काबू में करना, और अल्लाह के करीब होने का अहसास पैदा करना बेहद अहम है। कुरान की तिलावत, तौबा-ओ-इस्तगफार, और अल्लाह से रहमत की दुआ करते रहें ताकि सफर में सुकून और बरकत हो।

Umrah Ki Tareekhi Ahmiyat: उमरा का तारीख़ी एहमियत:

उमरा का इतिहास क्या है, इसका महत्व इस्लाम के शुरुआती दौर से कैसे जुड़ा हुआ है, और उमरा में शामिल अमल का तअल्लुक़ पैग़ंबर मोहम्मद (स.अ.व.) की सुन्नत से कैसे है।
उमरा का तअल्लुक़ इस्लाम के शुरुआत से है, और यह पैग़ंबर मोहम्मद (स.अ.व.) की सुन्नत है। पैग़ंबर (स.अ.व.) ने कई बार उमरा अदा किया और इसमें शामिल हर अमल जैसे तवाफ़, सई, और क़स-ए-बाल का खास रूहानी मकसद है। उमरा का मकसद अल्लाह से तक़र्रुब हासिल करना और गुनाहों से पाक होना है, जो इसे मुसलमानों के दिलों में खास बनाता है।

उमरा के दौरान एहतियात:
उमरा करते वक्त किन-किन बातों का ख़ास खयाल रखना चाहिए, जैसे भीड़ में कैसे महफ़ूज़ रहें, इबादत में तवज्जो बनाए रखना, और सफर में साथियों के साथ तआवुन।
(i) भीड़ में महफ़ूज़ रहना:
उमरा में अक्सर भीड़ होती है, खासकर तवाफ और सई के दौरान। इस दौरान तवज्जो बनाए रखना और शांत रहना जरूरी है। भीड़ में धैर्य से चलें, दूसरे लोगों का ख्याल रखें और एक-दूसरे की मदद करें।

(ii) इबादत में तवज्जो बनाए रखना:
इबादत करते वक्त दिल को अल्लाह की तरफ मुखातिब रखें और दुआओं में मशगूल रहें। मोबाइल वगैरह से दूर रहें और कोशिश करें कि पूरी तवज्जो सिर्फ इबादत पर रहे।

(iii) सफर में साथियों के साथ तआवुन:
उमरा के सफर में अपने साथियों का भी ख्याल रखें। इस सफर में एक-दूसरे के साथ तआवुन से सफर आसान और खूबसूरत बनता है।

Umrah ke Mazhabi Faide: उमरा के मजहबी फ़ायदे:

  • उमरा से हासिल होने वाले रूहानी फ़ायदे, जैसे कि दिल का सुकून, अल्लाह से माफी और गुनाहों से निजात की एहसास।
  • उमरा करने से मुसलमान को कई रूहानी फायदे हासिल होते हैं, जैसे दिल को सुकून, अल्लाह से माफी, और गुनाहों से निजात। यह एक ऐसा मौका होता है जहां इंसान खुदा के सामने अपना सब कुछ बयान कर सकता है, अपने गुनाहों की माफी मांग सकता है और अल्लाह के करीब हो सकता है। उमरा के दौरान अल्लाह के करीब होने का एहसास और नफ्स की पाकीज़गी इंसान के दिल को तस्कीन देती है।

Umrah ke Baad ke Amaal: उमरा के बाद के अमल:

उमरा मुकम्मल होने के बाद की दुआएं, शुक्राना, और तजुर्बे को रूहानी और शख्सी इस्लाह के तौर पर कैसे अपनाया जा सकता है।
उमरा मुकम्मल होने के बाद शुक्राना अदा करना चाहिए। दुआ करें कि अल्लाह ने उमरा को कुबूल कर लिया और हमें अपनी राह पर कायम रखे। इसके अलावा, उमरा से मिले तजुर्बे को अपनी जिंदगी में सुधार और रूहानी इस्लाह के लिए अपनाएं।

Umrah Mein Hone Wali Mushkilein Aur Unke Hal: उमरा में होने वाली मुश्किलें और उनके हल:

उमरा के दौरान आमतौर पर आने वाली मुश्किलें, जैसे थकान, वक्त का इंतेज़ाम, और खाने या रहने की दिक्कतें कैसे हल की जा सकती हैं।
उमरा के दौरान अक्सर थकान, वक्त का इंतेज़ाम, और खाने या रहने की मुश्किलात सामने आती हैं। इसके लिए पहले से तैयारी करें। थकान कम करने के लिए छोटे-छोटे आराम के वक्त रखें। खाने के लिए हल्का और सादा खाना चुनें और अपनी सहूलियत के हिसाब से ठहरने का इंतजाम करें।

 

Umrah Ke Bare Mein Aham Sawalat: उमराह के बारे में अहम सवालात

1. उमरा क्या है?
उमरा एक नफ्ल इबादत है जो मुसलमानों को मक्का में जाता है। ये हज से पहले या बाद में की जाती है। उमरा का मकसद अल्लाह की इबादत और उनकी रहमत हासिल करना होता है।

2. उमरा का तारिका क्या है?
उमरा का तारिक़ चार मुख़्तलिफ़ हिस्सो में होता है: इहराम बंधना, तवाफ़ करना, सई करना और हलक़ या तकसीर करना। हर एक हिसा अल्लाह की इबादत का ज़रिया है और इनका अपना मक़म है।

3. उमरा की फजीलत क्या है?
उमरा की बहुत सी फ़ज़ीलत है, जैसे ये अल्लाह की ख़ुशी और मग़फिरत का ज़रिया है। रसूल अल्लाह : स.अ.व. ने उमरा को “हज-ए-असगर” का नाम दिया है, जो इसकी अहमियत को दुआ करता है।

4. उमरा का सबसे अच्छा वक़्त क्या है?
उमरा के लिए कोई खास वक्त नहीं है, लेकिन रमजान के महीने में इसकी फजीलत और भी बढ़ जाती है। तो हर मुसलमान जो इस्तेतात रखता हो,चाहिए की वो उमराह करे अल्लाह से मगफिरत तलब करे|

5. उमरा कैसे जाए?
उमरा शुरू करने से पहले इहराम बांधना होता है, फिर मक्का पहुंचने पर तवाफ़ किया जाता है। इसके बाद सई करना होता है, जिसका सफा और मारवाह के दरमियान चक्कर लगाना होता है।

6. क्या उमरा करने से पहले वुजू करना जरूरी है?
हां, उमरा करने से पहले वुजू करना जरूरी है। वुज़ू से आपकी तहारत होती है और अल्लाह की इबादत करने के लिए तैयार होते हैं। इससे आपकी इबादत का दरजा भी बढ़ता है।

7. उमरा की अहमियत क्या है?
उमरा की अहमियत ये है के ये अल्लाह की इबादत और उनकी खुशनुदी का ज़रिया है। इससे इंसान की रूहानियत बढ़ती है और अल्लाह से करीब होने का मौका मिलता है।

8. उमरा की दुआ क्या होनी चाहिए?
उमरा के दोरान, आप अल्लाह से जो भी दुआ साबित है वो मांगना चाहते हैं, वो कर सकते हैं। ख़ास दुआ ये है: “अल्लाहुम्मा इन्नी अस’अलुका उमरा मकबूला व धंबन मग़फ़ूरन।” इस से अल्लाह की रहमत हासिल होती है.

9. उमराह करने के लिए क्या कोई खर्च होता है?
हां, उमरा करने के लिए खर्च होता है, जिसका सफर, रहना और खाना शामिल है। आपको अपने बजट के मुताबिक प्लान बनाना चाहिए, ताकि आप आसान से उमरा कर सकें।

10. क्या उमरा हर मुसलमान पर फ़र्ज़ है?
उमरा फ़र्ज़ नहीं, बलके नफ्ल इबादत है। लेकिन जो लोग इबादत का मक़सद रखते हैं, उनको बहुत सवाब और अल्लाह की रहमत हासिल होती है। हर मुसलमान को इसकी अहमियत समझनी चाहिए।

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