सुरह अलम नशरह एक छोटी लेकिन बहुत अहम सुरह है, जो कुरान की 94वीं सुरह है। इस सुरह में अल्लाह ने अपने नबी को तसल्ली दी है और उनकी मुश्किलात को दूर करने का वादा किया है। सुरह अलम नशरह का पाठ इंसान के लिए सुकून और हिम्मत का जरिया है। इसे हिंदी और रोमन इंग्लिश में समझना आसान है और इसका पाठ बरकत वाला है।
Surah Alam Nashrah सूरह अलम नशराह
सूरह अलम नशरह कुरान की 94वीं सूरह है। इस सूरह में कुल 8 आयात हैं। ये सूरह जितनी छोटी है, मायने के इतबार से उसकी अहमियत उतनी ही खास है। इस सूरह में अल्लाह सुभानहु तआला पूछते हैं कि ऐ पैगंबर, क्या हमने तुम्हारे खातिर तुम्हारा सीना खोल नहीं दिया? और हमने तुम्हारा बोझ उतार दिया है जिसने तुम्हारी कमर तोड़ रखी थी। और हमने तुम्हारी ख़ातिर तुम्हारे तज़किरे को ऊँचा मकाम अता कर दिया है।
चुनाँचे हक़ीक़त यह है कि मुश्किलों के साथ आसानी भी होती है, और यकीनन मुश्किलों का आसान होना अल्लाह से ही होकर गुजरता है। लिहाज़ा जब तुम फ़ारिग़ हो जाओ तो (इबादत में) अपने आपको थकाओ, और अपने परवरदिगार ही से दिल लगाओ।
Surah Alam Nashrah Ki Fazilat सूरज अलम नशरह की फजीलत
सूरह अलम नशरह हमें किसी भी मुसीबत में पढ़नी चाहिए, क्योंकि हर मुश्किल की आसानी अल्लाह से होकर गुजरती है। जब भी हमारा दिल उदास हो या किसी परेशानी में हो और दिल हमारी आवाज सुनना बंद कर दे, तो हमें इस सूरह की तिलावत करनी चाहिए और अल्लाह से मदद मांगनी चाहिए। इंशाअल्लाह, शिफा मिलेगी।
Surah Alam Nashrah In Arabic: सूरह अलम नाश्रह अरबी में
(1) أَلَمْ نَشْرَحْ لَكَ صَدْرَكَ
(2) وَوَضَعْنَا عَنكَ وِزْرَكَ
(3) الَّذِي أَنقَضَ ظَهْرَكَ
(4) وَرَفَعْنَا لَكَ ذِكْرَكَ
(5) فَإِنَّ مَعَ الْعُسْرِ يُسْرًا
(6) إِنَّ مَعَ الْعُسْرِ يُسْرًا
(7) فَإِذَا فَرَغْتَ فَانصَبْ
(8) وَإِلَىٰ رَبِّكَ فَارْغَبْ
Surah Alam Nashrah in Hindi :सूरह अलम नाशराह हिन्दी में
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
- अलम नशरह लका सादरक
- व वदआना अन्का विज़्रक
- अल्लज़ी अनक़ज़ा ज़ह्रक
- व रफअना लका ज़िक्रक
- फ-इन्न म’अल उस्री युस्रन
- इन्न म’अल उस्री युस्रन
- फ-इज़ा फरग़्ता फ़नसब
- व इला रब्बिका फरग़ब
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Surah Alam Nashrah Tarjuma :सूरह अलम नाशराह तर्जुमा
1.(ऐ पैग़म्बर!) क्या हमने तुम्हारी ख़ातिर तुम्हारा सीना खोल नहीं दिया?
2.और हमने तुमसे तुम्हारा वह बोझ उतार दिया है ,
3.जिसने तुम्हारी कमर तोड़ रखी थी।
4.और हमने तुम्हारी ख़ातिर तुम्हारे तज़किरे को ऊँचा मक़ाम अ़ता कर दिया है।
5.चुनाँचे हक़ीक़त यह है कि मुश्किलों के साथ आसानी भी होती है,
6.यक़ीनन मुश्किलों के साथ आसानी भी होती है।
7.लिहाज़ा जब तुम फ़ारिग़ हो जाओ तो (इबादत में) अपने आपको थकाओ,
8.और अपने परवर्दिगार ही से दिल लगाओ।
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Surah Alam Nashrah In English :सूरह अलम नाशराह इन इंग्लिश
Bismillahir Rahmanir Raheem
- Alam nashrah laka sadrak
- Wa wada’na ‘anka wizrak
- Allazee anqada zahrak
- Wa raf’ana laka zikrak
- Fa inna ma’al usri yusra
- Inna ma’al usri yusra
- Fa iza faraghta fansab
- Wa ila rabbika farghab
Surah Alam Nashrah Meaning In English :सूरह अलम नाशराह इंग्लिश तर्जुमा
- Did We not expand for you, [O Muhammad], your chest?
- And We removed from you your burden,
- Which had weighed upon your back
- And raised high for you your repute.
- For indeed, with hardship [will be] ease.
- Indeed, with hardship [will be] ease.
- So when you have finished [your duties], then stand up [for worship].
- And to your Lord direct [your] longing.
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Surah Alam Nashrah Ke Aham Sawalat :सूरह अलम नाशराह के यहां सवालत
1. सूरह आलम नशराह किस बारे में है?
सुरह अलम नाशराह मे सूरह अलम नाशराह मे रसूल अल्लाह सलहू आलेही वासल्लम को तसल्ली और मुश्किलट और परेशनयो आई थी, उन्हे आसान करने का वादा किया है। यह सूरह हमे यह सबक देती की हर मुश्किलों के बाद अल्लाह सुभनों ताला ने हमरे लिए आसानीयान आती है।
2. सूरह अलाम नशरह क्या है?
सूरह अलाम नशरह कुरान की 94वीं सूरह है। इसमें 8 आयतें हैं। यह सूरह नबी मुहम्मद स.अ.व. को कठिनाइयों से निकालने और अल्लाह की मदद की तसल्ली देने के लिए नाज़िल हुई थी।
3. सूरह अलाम नशरह किस पर नाज़िल हुई?
सूरह अलाम नशरह नबी मुहम्मद स.अ.व. पर मक्का में नाज़िल हुई थी। इस सूरह का उद्देश्य उन्हें कठिनाइयों से निकालने और उनकी मदद और रहमत का हौसला देना था।
4. सूरह अलाम नशरह का मकसद क्या है?
सूरह अलाम नशरह का मकसद है यह बताना कि कठिनाइयों के बाद आसानी आती है। अल्लाह ने नबी स.अ.व. का दिल खोल दिया और उनका बोझ हल्का कर दिया, उनकी इज़्ज़त बढ़ाई।
5. सूरह अलाम नशरह को किस पाराः में पाया जाता है?
सूरह अलाम नशरह कुरान के 30वें पाराः में पाई जाती है। यह पाराः आख़िरत और जन्नत के उसूलों के बारे में हिदायत देता है।
6. सूरह अलाम नशरह की आयतें कितनी हैं?
सूरह अलाम नशरह में कुल 8 आयतें हैं। यह सूरह नबी स.अ.व. के दिल को तसल्ली देने और कठिनाइयों को आसान करने के लिए है।
7. सूरह अलाम नशरह का तरजुमा क्या है?
सूरह अलाम नशरह का तरजुमा है कि अल्लाह ने नबी मुहम्मद स.अ.व. का दिल खोल दिया, उनका बोझ उतार दिया, और उनकी इज़्ज़त बढ़ाई। कठिनाइयों के साथ आसानी है, और नमाज़ और इबादत का आदेश दिया गया है।
8. सूरह अलाम नशरह का हिफ्ज़ कैसे करें?
सूरह अलाम नशरह को हिफ्ज़ करने के लिए रोज़ाना इसकी तिलावत करें। छोटी आयतों से शुरू करें और आपको हिफ्ज़ करना आसान हो जाएगा। खुदाई मदद और दुआ भी ज़रूरी है।
9. सूरह अलाम नशरह किस वक्त पढ़नी चाहिए?
सूरह अलाम नशरह को किसी भी वक्त पढ़ा जा सकता है, लेकिन नमाज़ों के बाद या फुर्सत के वक्त इसकी तिलावत से सुकून मिलता है। यह कठिनाइयों और अकेलेपन में मददगार है।
10. सूरह अलाम नशरह की फज़ीलत क्या है?
सूरह अलाम नशरह की फज़ीलत यह है कि इसकी तिलावत से दिल को सुकून मिलता है और कठिनाइयों को आसान करने का यकीन मिलता है। अल्लाह की मदद और रहमत का एहसास होता है।
11. सूरह अलाम नशरह का तिलावत कैसा होता है?
सूरह अलाम नशरह का तिलावत निसार और खुशी के साथ किया जाता है। इससे दिल को सुकून मिलता है और आपको अल्लाह की मदद और रहमत का एहसास होता है।
I attained the title of Hafiz-e-Quran from Jamia Rahmania Bashir Hat, West Bengal. Building on this, in 2024, I earned the degree of Moulana from Jamia Islamia Arabia, Amruha, U.P. These qualifications signify my expertise in Quranic memorization and Islamic studies, reflecting years of dedication and learning.