Tahajjud Ki Namaz

Tahajjud Ki Namaz: Waqt, Dua, Rakaat Aur Fazilat

तहज्जुद की नमाज़ एक बेहतरीन इबादत है जो रात के आख़िरी हिस्से में पढ़ी जाती है। यह नमाज़ न सिर्फ़ अल्लाह के क़रीब ले जाती है, बल्कि रूहानी सुकून भी देती है। तहज्जुद का वक़्त नींद से जागने के बाद होता है, और इस नमाज़ में अल्लाह से अपनी दुआओं की क़बूलियत की उम्मीद होती है। इसकी अदायगी से बरकतें मिलती हैं।

Tahajjud Ki Namaz: तहज्जुद की नमाज़

तहज्जुद की नमाज़ बहुत अफ़ज़ल है। यह नमाज़ हर रात को इशा के बाद और फजर से पहले पढ़ी जाती है। अल्लाह ने हमें एक बेहतर वक़्त बताया है, दुआ की क़बूलियत का। वह वक़्त अल्लाह सुभानहु त’आला ने तहज्जुद का बताया है। यह नमाज़ का अफ़ज़ल वक़्त होता है, रात के तीसरे पहर को, जिस वक़्त अल्लाह सुभानहु त’आला पहले आसमान पर आते हैं और फ़रमाते हैं कि “कोई है जो मुझसे बख्शीश तलब करे? कोई है जो मुझसे मांगे?” अल्लाह सुभानहु त’आला ने हमें तहज्जुद जैसा समय दिया है, जो एक बड़ी नेमत है।

Tahajjud Ki Dua: तहज्जुद कि दुआ

तहज्जुद के समय दुआ करना बहुत बेहतर होता है क्योंकि इस वक़्त अल्लाह सुभानहु त’आला पहले आसमान पर आते हैं और फ़रमाते हैं कि “कोई है जो मुझसे दुआ करे?” अल्लाह सुभानहु त’आला इस समय दुआ करने वालों को बहुत पसंद करते हैं और इस वक़्त की गई दुआ क़बूल होती है।

Tahajjud Ki Namaz Ka Tareeqa: तहज्जुद की नमाज़ का तरीका

तहज्जुद की नमाज़ का तरीका यह है कि पहले सोया जाए, फिर रात के आख़िरी हिस्से में उठकर नमाज़ पढ़ी जाए। इसमें नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मुख़्तलिफ़ रकअतें मंकूल हैं। बेहतर यह है कि 8 रकअतें पढ़ी जाएं, लेकिन अगर कोई 2 या 4 रकअत पढ़ता है, तो यह भी जायज़ है। जितनी रकअतें मुमकिन हो, उतनी पढ़नी चाहिए। फिर वितर पढ़ा जाए। अगर किसी को यकीन है कि वह तहज्जुद के लिए उठ पाएगा, वही वितर को छोड़ दे, वरना वितर न छोड़ें। तहज्जुद की नमाज़ 2-2 रकअत करके पढ़ी जानी चाहिए, और हर दो रकअत के बाद सलाम फेरा जाता है। बाकी नमाज़ों की तरह तहज्जुद की नमाज़ भी होती है।

Tahajjud Ki Namaz Ka Waqt: तहज्जुद की नमाज़ का वक़्त

रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि अल्लाह सुभानहु त’आला ने इशा की नमाज़ से फजर की नमाज़ के बीच एक अतिरिक्त नमाज़ बनाई है, जिसे तहज्जुद की नमाज़ कहते हैं। यह नमाज़ फजर से पहले और इशा के बाद पढ़ी जाती है। तहज्जुद की नमाज़ का समय रात के तीसरे हिस्से में होता है। बहुत कम लोग इसे पढ़ते हैं। रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि अगर तुम्हें पक्का यकीन हो कि तुम तहज्जुद के लिए उठ सकोगे, तभी वितर को छोड़ो, वरना वितर पढ़कर सो जाओ।

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Tahajjud Ki Namaz Ki Rakaaten: तहज्जुद की नमाज़ की रकअतें

हज़रत अबू-सईद ख़ुदरी और हज़रत अबू-हुरैरा (रज़ि०) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: “जो शख्स रात को जागे और अपनी बीवी को भी जगाए, फिर वे दोनों दो रकअतें पढ़ें, तो उनकी गिनती ज़ाकिरीन और ज़ाकिरात में होती है, जो अल्लाह को बहुत ज़्यादा याद करने वाले होते हैं।

Tahajjud Ki Dua In Arabic: तहज्जुद की दुआ इन अरबी

सही अल बुखारी से से हदीस नू बेर 1120 से रिवायत है की रसूलुल्लाह (सल्ल०) जब रात में तहज्जुद के लिये खड़े होते तो ये दुआ पढ़ते

اللهم لك الحمد أنت قيم السموات والأرض ومن فيهن ولك الحمد ، ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ لك ملك السموات والأرض ومن فيهن ، ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ ولك الحمد أنت نور السموات والأرض ، ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ ولك الحمد أنت الحق ، ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ ووعدك الحق ، ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ ولقاؤك حق ، ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ وقولك حق ، ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ والجنة حق ، ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ والنار حق ، ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ والنبيون حق ، ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ ومحمد صلى الله عليه وسلم حق ، ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ والساعة حق ، ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ اللهم لك أسلمت ، ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ وبك آمنت وعليك توكلت ، ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ وإليك أنبت ، ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ وبك خاصمت ، ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ وإليك حاكمت ، ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ فاغفر لي ما قدمت وما أخرت ، ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ وما أسررت وما أعلنت ، ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ أنت المقدم وأنت المؤخر ، ‏‏‏‏ ‏‏‏‏لا إله إلا أنت ، لا إله غيرك

Tahajjud Ki Dua In Hindi: तहज्जुद की दुआ इन हिंदी

अल्लाहुम्मा लकल-हम्द, अन्ता क़य्यिमु अस-समावाति वल-अर्द व मन फीहिन्ना, वलकल-हम्द, लका मुल्कु अस-समावाति वल-अर्द व मन फीहिन्ना, वलकल-हम्द, अन्ता नूरु अस-समावाति वल-अर्द, वलकल-हम्द, अन्ता अल-हक़्क़, व वअदुक हक़्क़, व लिक़ाऊक हक़्क़, व क़ौलुक हक़्क़, वल-जन्नतु हक़्क़, वन-नार हक़्क़, वन-नबीयून हक़्क़, व मुहम्मदुन सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हक़्क़, वस-सा’अतु हक़्क़। अल्लाहुम्मा लका असलमतु, व बिका आमंतु, व अलैका तवक्कलतु, व इलैका अनबत, व बिका खासमत, व इलैका हाकमत, फग़फिर ली मा क़द्दमतु व मा अख़्खरतु, व मा असररतु व मा अ’लन्तु, अन्तल-मुकद्दिमु व अन्तल-मुअख़्खिरु, ला इलाहा इल्ला अन्त, ला इलाहा ग़ैरुक़।

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Tahajjud Ki Dua Ka Tarjuma: तहज्जुद की दुआ का तर्जुमा

(तर्जुमा) ऐ मेरे अल्लाह! हर तरह की तारीफ़ तेरे ही लिए ज़ेबा है। तू आसमानों और ज़मीन और उनमें रहने वाली तमाम मख़लूक़ का सँभालने वाला है, और तारीफ़ तमाम की तमाम बस तेरे ही लिए मुनासिब है। आसमानों और ज़मीन और उन की तमाम मख़लूक़ात पर हुकूमत सिर्फ़ तेरे ही लिए है, और तारीफ़ तेरे ही लिए है। तू आसमानों और ज़मीन का नूर है, और तारीफ़ तेरे ही लिए ज़ेबा है। तू सच्चा है, तेरा वादा सच्चा है, तेरी मुलाक़ात सच्ची है, तेरा फ़रमान सच्चा है, जन्नत सच है, दोज़ख़ सच है, नबी सच्चे हैं। मुहम्मद (सल्ल०) सच्चे हैं, और क़ियामत का होना सच है। ऐ मेरे अल्लाह! मैं तेरा ही फ़रमाँबरदार हूँ, और तुझी पर ईमान रखता हूँ। तुझी पर भरोसा है, तेरी ही तरफ़ रुजू करता हूँ। तेरे ही अता किए हुए दलीलों के ज़रिए बहस करता हूँ और तुझी को हाकिम मानता हूँ। जो ग़लतियाँ मुझसे पहले हुईं और जो बाद में होंगी, उन सब की मग़फिरत फ़रमा। चाहे वो ज़ाहिर हुई हों या छिपकर। आगे करने वाला और पीछे रखने वाला तू ही है। माबूद सिर्फ़ तू ही है। या (ये कहा कि) तेरे सिवा कोई माबूद नहीं। अबू-सुफ़ियान ने बयान किया कि अब्दुल-करीम अबू-उमैया ने इस दुआ में ये ज़्यादती की है: “ला हौला वला क़ूव्वता इल्ला बिल्लाह” सुफ़ियान ने बयान किया कि सुलैमान-बिन-मुस्लिम ने ताऊस से ये हदीस सुनी थी। उन्होंने अब्दुल्लाह-बिन-अब्बास (रज़ि०) से और उन्होंने नबी करीम (सल्ल०) से।

Tahajjud Ki Dua In English: तहज्जुद की दुआ इन इंग्लिश

Allahumma lakal-hamd, Anta Qayyimu as-samawati wal-ard wa man feehinna, walakal-hamd, laka mulku as-samawati wal-ard wa man feehinna, walakal-hamd, Anta nooru as-samawati wal-ard, walakal-hamd, Anta al-Haqq, wa wa’duka haqq, wa liqa’uka haqq, wa qawluka haqq, wal-jannatu haqq, wan-naar haqq, wan-nabiyyuna haqq, wa Muhammadun sallallahu alayhi wa sallam haqq, was-sa’atu haqq. Allahumma laka aslamtu, wa bika aamantu, wa ‘alayka tawakkaltu, wa ilayka anabtu, wa bika khasamtu, wa ilayka hakamtu, faghfir li ma qaddamtu wa ma akhkhartu, wa ma asrartu wa ma a’lantu, Anta al-muqaddimu wa Anta al-mu’akhkhiru, la ilaha illa Anta, la ilaha ghayruk.

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Tahajjud Ki Namaz Ki Fazilat: तहज्जुद की नमाज़ की फ़ज़ीलत

तहज्जुद की नमाज़ की बहुत सारी फ़ज़ीलतें हैं। अल्लाह सुभानहु त’आला ने नफ्ल नमाज़ की इतनी अहमियत दी है। फ़र्ज़ नमाज़ की भी जायद होती है।
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इरशाद फ़रमाते हैं कि हदीस में (सहीह बुखारी हदीस नंबर 5861) में यह आता है:
रसूलुल्लाह (सल्ल०) रात में एक चटाई का घेरा बना लेते थे और उस घेरे में नमाज़ पढ़ते थे। उसी चटाई को दिन में बिछाते थे और इस पर बैठते थे। फिर लोग रात की नमाज़ के वक्त नबी करीम (सल्ल०) के पास जमा होने लगे और आपकी नमाज़ की पैरवी करने लगे। जब मजमा ज़्यादा बढ़ गया तो नबी करीम (सल्ल०) ने फ़रमाया: “लोगों! उतना ही अमल करो जितनी ताक़त तुम में हो, क्योंकि अल्लाह त’आला (अज्र देने से) नहीं थकते मगर तुम अमल से थक जाते हो। अल्लाह की बारगाह में सबसे ज़्यादा पसंद वह अमल है, जिसे पाबंदी से हमेशा किया जाए, चाहे वह कम ही हो।

 

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Tahajjud Ki Namaz Ke Aham Sawalat: तहज्जुद की नमाज़ के अहम सवालात

1. तहज्जुद की नमाज़ का वक्त कब होता है?
तहज्जुद की नमाज़ का वक्त रात के आखिरी हिस्से में होता है, जब आधी रात गुजर चुकी हो। ये वक्त फज्र की अज़ान से पहले का होता है। इस वक्त में दुआ और इबादत की बड़ी फज़ीलत है क्योंकि अल्लाह तआ’ला अपने बंदों के लिए रहम फरमाता है।

2. तहज्जुद की नमाज़ कैसे पढ़ी जाती है?
तहज्जुद की नमाज़ दो रक’अत से शुरू होती है, और आप जितनी चाहें, उतनी रक’अत पढ़ सकते हैं। हर दो रक’अत के बाद सलाम फेरें। सूरह फ़ातिहा के बाद कोई भी सूरह पढ़ना ज़रूरी है

3. क्या तहज्जुद की नमाज़ फर्ज है?
तहज्जुद की नमाज़ फर्ज नहीं है, और बहुत अफज़ल इबादत है। नबी करीम (ﷺ) इसको अक्सर अदा फरमाते थे। तहज्जुद की नमाज़ का बहुत अजर और सवाब है और अल्लाह की क़ुर्बत हासिल करने का ज़रिया है।

4. कितनी रक’अत तहज्जुद की नमाज़ होती है?
तहज्जुद की नमाज़ का कोई स्पेसिफिक रक’अत का तय्युन नहीं है। आप दो रक’अत से शुरू करके छह, आठ या उससे ज़्यादा भी पढ़ सकते हैं। नबी करीम (ﷺ) अक्सर 8 रक’अत तहज्जुद अदा करते थे, मगर आप अपनी सहूलत के मुताबिक अदा कर सकते हैं।

5. क्या तहज्जुद की नमाज़ के लिए नीयत ज़रूरी है?
हाँ, तहज्जुद की नमाज़ के लिए नीयत ज़रूरी है। नीयत दिल से की जाती है कि आप अल्लाह की रज़ा के लिए ये नमाज़ अदा कर रहे हैं। ज़ुबान से नीयत अदा करना ज़रूरी नहीं, लेकिन दिल में नीयत का होना लाज़िमी है।

6. तहज्जुद की नमाज़ की फज़ीलत क्या है?
तहज्जुद की नमाज़ अल्लाह की क़ुर्बत का ज़रिया है। इस वक्त अल्लाह अपने बंदों की दुआ सुनता है। तहज्जुद में की गई दुआ क़बूल होती है और इस इबादत का अजर क़ियामत के दिन दिया जाएगा।

7. तहज्जुद की नमाज़ का सवाब क्या है?
तहज्जुद की नमाज़ का अजर और सवाब बहुत ज़्यादा है। अल्लाह तआ’ला इस वक्त अपने बंदों को मग़फिरत और रहमत अता करता है। जो शख्स तहज्जुद अदा करता है, उसके गुनाह माफ़ हो जाते हैं और उसको अल्लाह की क़ुर्बत हासिल होती है।

8. तहज्जुद की नमाज़ अगर छूट जाए तो क्या करना चाहिए?
अगर किसी वजह से तहज्जुद की नमाज़ छूट जाए, तो आप इसको क़ज़ा नहीं कर सकते। लेकिन अगले दिन रात को फिर कोशिश करें कि इस नमाज़ को अदा कर सकें। तहज्जुद एक नफिल इबादत है, लेकिन इसको अदा करने से बड़ी बरकतें हासिल होती हैं।

9. तहज्जुद की नमाज़ का असल मक़सद क्या है?
तहज्जुद का असल मक़सद अल्लाह की क़ुर्बत को हासिल करना है। ये नमाज़ एक खामोश और पुर सुकून वक्त में पढ़ी जाती है जब अल्लाह तआ’ला अपने बंदों की दुआ को क़ुबूल करता है। तहज्जुद में इबादत करने से रूहानी सुकून मिलता है।

10. क्या तहज्जुद की नमाज़ हर रात पढ़ी जा सकती है?
हाँ, तहज्जुद की नमाज़ हर रात पढ़ी जा सकती है, लेकिन इसके लिए लाज़िम नहीं कि हर रात अदा की जाए। ये नफिल नमाज़ है, और जितनी अक्सर पढ़ी जाए, उतनी अफज़ल है। इसको आदत बना लेना अफज़ल है लेकिन किसी वजह से छूट भी जाए तो परेशानी की ज़रूरत नहीं।

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