दुआ एक अहम इबादत है जो इंसान को अल्लाह से करीब रखती है। ये अल्लाह से अपनी हाजत, रहमत और मदद मांगने का तरीका है। कुरान और हदीस में दुआ की अहमियत और फज़ीलत पर ज़ोर दिया गया है, और ये कहा गया है कि अल्लाह अपने बंदों की दुआओं को ज़रूर सुनते हैं। दुआ से न सिर्फ दिल का सुकून मिलता है, बल्कि मुश्किल वक़्त में उम्मीद और हिम्मत भी बरकरार रहती है। हर दिन की इबादत और ज़िन्दगी के हर पहलू में दुआ एक रहनुमा और बरकत का ज़रिया है।
Dua In Hindi: दुआ हिंदी में
अल्लाह सुभानु ताला ने हमें हर वक्त के लिए बेहतरीन दुआ फरहाम किया है, ताकि हम इंसान अल्लाह से अपनी दुआ करे और उनसे मदद मांगे अल्लाह से हमडों सना करे। कुछ दुआएं नीचे दी गई है :
Important Duas For Daily Life: रोजमर्रा के लिए अहम दुआ
1. सुबह उठने की दुआ : जैसे ही आपकी आँख खुले तो ये दुआ पढ़े।
اَلْـحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِي أَحْيَانَا بَعْدَ مَا أَمَاتَنَا وَإِلَيْهِ النُّشُورُ
अल्हम्दुलिल्लाहिल-लजी अहयाना बादा मा अमाताना वा इलैहिन-नुशूर
तर्जुमा : “हर क़िस्म की तारीफ़ अल्लाह ही के लिए है जिसने हमें ज़िंदा किया, बाद इसके कि उसने हमें मार दिया था और उसी की तरफ उठ कर जाना है।”
Alhamdulillahil-lazi ahyana ba’da ma amatana wa ilayhin-nushur
2. घर से बाहार निकलने की दुआ:
بِسْمِ اللَّهِ تَوَكَّلْتُ عَلَى اللَّهِ، لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللَّهِ
बिस्मिल्लाही तवक्कल्तु अलल्लाही ला हौला व ला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाह
Bismillahi tawakkaltu ‘alallahi la hawla wa la quwwata illa billah
तर्जुमा: “अल्लाह के नाम के साथ, मैंने अल्लाह पर भरोसा किया, न कोई ताकत है और न ही कोई कुव्वत मगर अल्लाह के ज़रिये।”
3. घर में दाखिल होने की दुआ
اَللّٰھُمَّ اِنِّیْٓ اَسْئَلُکَ خَیْرَ الْمَوْلِجِ وَخَیْرَ الْمَخْرَجِ، بِسْمِ اللّٰہِ وَلَجْنَا وَبِسْمِ اللّٰہِ خَرَجْنَا، وَعَلَی اللّٰہِ رَبِّنَا تَوَکَّلْنَا
अल्लाहुम्मा इन्नी असअलुका खैरल मौलिजि व खैरल मखरजि, बिस्मिल्लाहि वलजना व बिस्मिल्लाहि खरजना, व अलल्लाहि रब्बिना तवक्कलना
“Allahumma inni as’aluka khairal mauliji wa khairal makhraj, Bismillahi walajna wa Bismillahi kharajna, wa ‘ala Allahi Rabbina tawakkalna.”
तर्जुमा : अल्लाह के नाम से हम अंदर आते हैं, अल्लाह के नाम से हम बाहर निकलते हैं, और अपने रब पर हम भरोसा करते हैं।”
[ फिर असलामुलाइकूम बोलते हुए घर में दाखिल हो जाए ]
4. खाना खाने की दुआ
खाना खाने से पहले पढ़े : बिस्मिल्ला हिररहमान निररहिम
तर्जुमा : सुरू करता हु अल्लाह के नाम लेकर जो महरबान और निहायेत रहम वाला है।
अगर खाने से पहले अल्लाह का नाम लेना भूल जाए तो खाने के बीच में जब भी याद आए नीचे दी गई दुआ पढ़ ले ।
بِسْمِ اللَّهِ أَوَّلَهُ وَآخِرَهُ
बिस्मिल्लाही अव्वालाहु वा आखिराह
Bismillahi Awwalahu Wa Aakhirahu
तर्जुमा: “मैं अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ, उसके पहले और उसके बाद
5. खाना खाने की बाद की दुआ
الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي أَطْعَمَنَا وَسَقَانَا وَجَعَلَنَا مِنَ الْمُسْلِمِينَ
सब तारीफ अल्लाह के लिए है जिसने हमें खिलाया, पिलाया और हमें मुसलमान बन
Alhamdulillahil-ladhi at’amana wa saqana wa ja’alna muslimin
6. सफर की दुआ
سُبْحَانَ الَّذِي سَخَّرَ لَنَا هَذَا وَمَا كُنَّا لَهُ مُقْرِنِينَ وَإِنَّا إِلَىٰ رَبِّنَا لَمُنْقَلِبُونَ
सुब्हानल्लज़ी सख्ख़र लना हाज़ा व मा कुन्ना लहु मुक़रिनीन व इन्ना इला रब्बिना लमुन्क़लिबून।
Subhanalladhi sakhkhara lana hadha wa ma kunna lahu muqrinin wa inna ila rabbina lamunqalibun
तर्जुमा – पाक है वो जात जिस ने इस सवारी को हमारे लिए मुसाखखर किया वरना हम उसे काबू में लाने वाले न थे और बेशक हम अपने रब ही की तरफ लौटने वाले है।
7. बाथरूम में जाने की दुआ:
अल्लाहुम्मा इन्नी आउज़ु बिका मिनल ख़ुबुसी वल ख़बायिस।
तर्जुमा:”ऐ अल्लाह! मैं आप से गंदे जिन्नों और जिन्नात से पनाह मांगता हूँ।”
8. बाथरूम से निकलने के बाद की दुआ ।
“गुफरानका”
Allahumma Afini Dua In Hindi: अल्लाहुम्मा आफिनी दुआ हिंदी में
अल्लाहुम्मा आफिनी फि बदनी, अल्लाहुम्मा आफिनी फि समइ, अल्लाहुम्मा आफिनी फि बसरि, ला इलाहा इल्ला अंततर्जुमा: “या अल्लाह, मुझे मेरे जिस्म में सेहत दे, या अल्लाह, मुझे मेरे सुनने की सलाहीयत में सेहत दे, या अल्लाह, मुझे मेरे देखने की सलाहीयत में सेहत दे, तेरे सिवा कोई माबूद नहीं।”
9. Back Pain Ki Dua: बेक पेन की दुआ
बदन में किसी भी हिस्से में दर्द हो उस जगह हाथ रखके ये दुआ पढ़े इंशाअल्लाह सिफा मिलेगी:
“आ’उधु बिल्लाही व कुद्रतिही मिन शर्री मा अजिदु व ऊहाधिरु”
तरजुमा:”मैं अल्लाह की पनाह में आता हूँ और उसकी क़ुदरत से, उस बुराई से जो मैं महसूस करता हूँ और जिससे मैं डर रहा हूँ।”
Conclusion:
दुआ एक बहुत ही अहम और कुद्रती इबादत है जो इंसान को अल्लाह से करीब करती है। दुआ से हम अपनी मुश्किलात, ज़रूरतों और सारी हाजत अल्लाह से मांगते हैं। हर रोज़ाना की ज़िन्दगी में दुआ का एक खास मकाम है, जो इंसान के दिल को सुकून देती है और उसे सब्र और हिम्मत बरकरार रखती है। दुआ अल्लाह की रहमत और मदद का ज़रिया है, जो इंसान की हर हालत में उसकी मदद करती है। इसलिए, हमें हर वक्त दुआ करनी चाहिए और अपनी ज़िन्दगी में दुआ को अपना हिस्सा बनाना चाहिए।
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Dua Se Jude Sawal Aur Jawab: दुआ से जुड़े सवाल और जवाब
1. दुआ क्या है और इसका मकसद क्या है?
दुआ एक इबादत है जो हमें अल्लाह के करीब करती है। ये एक तारीख है अपना मकसद और हाजत को अल्लाह से मांगने का। दुआ से इंसान का दिल सुकून और उम्मीद से भर जाता है, और ये हमारा रोजा मर्रा की जिंदगी में अल्लाह की रहमत का सबब बनता है।
2. दुआ करने का सही तरीका क्या है?
दुआ का सही तरीका ये है कि पहले अल्लाह की तारीफ और हम्द-ओ-सना की जाए, फिर अपनी हाजत और मग़फिरत मांगी जाए। दुआ में इखलास और यकीन जरूरी है और आखिर में नबी ﷺ पर दरूद भेजना जरूरी है ताके दुआ मकबूल हो।
3. दुआ कब करनी चाहिए?
दुआ हर वक्त की जा सकती है लेकिन कुछ खास वक्त, जैसे फज्र के बाद, मगरिब के वक्त और रात के आखिरी हिस्से में दुआ की कबूलियत का वादा किया गया है। ये वो वक्त है जब अल्लाह अपने बंदों की दुआएं ज्यादा सुनते हैं।
4. क्या हर दुआ अल्लाह क़बूल करता है?
हां, अल्लाह हर दुआ को सुनता है लेकिन कबूल होने का तरीका अलग हो सकता है। कभी दुआ का फ़ोरन जवाब मिलता है, कभी वो किसी और शकल में आती है और कभी अल्लाह किसी मुश्किल को दूर करने में दुआ का असर दिखता है।
5. क्या हिंदी में दुआ करना पसंद है?
हां, इंसानी जुबान में अल्लाह से दुआ करना बिल्कुल जरूरी है। अगर आप अरबी नहीं समझते तो हिंदी में या अपनी जुबान में भी अल्लाह से दिल की बात कह सकते हैं क्योंकि अल्लाह ने जुबान का नहीं, इखलास और यकीन का तालाब है।
6. कुरान और हदीस में दुआ की क्या अहमियत है?
कुरान और हदीस में दुआ को इबादत का एक अहम हिसा बताया गया है। दुआ अल्लाह से तालाब और उस पर यकीन का ज़रिया है और हदीस में ये भी आता है के “दुआ मोमिन का हथियार है,” जो हर मुश्किल में उसके लिए मददगार है।
7. दुआ और नमाज़ में क्या फर्क है?
दुआ एक इबादत है जो किसी भी वक्त की जा सकती है, जबके नमाज एक मुकररा तरीक़ा है जो रोज़ाना पांच दफ़ा अदा की जाती है। नमाज में भी दुआ होती है, लेकिन नमाज का तरीका और वक्त तय है जबके दुआ किसी भी वक्त और वक्त से की जा सकती है।
8. कौन सी दुआ सुबह उठे वक्त चाहिए?
सुभा उठे वक्त “अल्हम्दुलिल्लाहिल्लाज़ी अहयाना ब’दा मा अमाताना वा इलैहिन नुशुर” परहना चाहिए। ये दुआ अल्लाह का शुक्र अदा करने का तरीका है, जिस से हमारे दिन की शुरुआत शुक्र और इबादत से होती है।
9. कौन सी दुआ घर से निकले वक्त चाहिए?
घर से निकलते वक्त “बिस्मिल्लाहि तवक्कलतु ‘अल्लाहि ला हवाला वा ला कुव्वाता इल्ला बिल्लाह’ परहना चाहिए। ये दुआ हमीं अल्लाह पर यकीन और तवक्कुल का पैगाम देती है जो सफर और कामों में बरकत का सबाब बनती है।
10. दुआ से जिंदगी में क्या असर पड़ता है?
दुआ से इंसान का दिल सुकून और उम्मीद से भर जाता है, और अल्लाह की रहमत उस पर नाज़िल होती है। दुआ से ना सिर्फ मुश्किलें दूर होती हैं, बलके इंसान को हमेशा एक उम्मीद और हिम्मत मिलती है, जो हर मुश्किल में उसका साथ देती है और उसके ईमान को मजबूत बनाती है।
I attained the title of Hafiz-e-Quran from Jamia Rahmania Bashir Hat, West Bengal. Building on this, in 2024, I earned the degree of Moulana from Jamia Islamia Arabia, Amruha, U.P. These qualifications signify my expertise in Quranic memorization and Islamic studies, reflecting years of dedication and learning.