नमाज़ इस्लाम का एक अहम रुक्न है जो हर मुसलमान पर फ़र्ज़ है। जो 10 साल से उपर के बच्चे होते है।अनपर नमाज़ फर्ज है। ये एक इबादत का तरीका है जिसमें बंदा अल्लाह के सामने अपनी बंदगी का इज़हार करता है। नमाज़ को रोज़ाना पाँच मर्तबा अदा करना हर मुसलमान पर फर्ज है। इसमें बंदा अल्लाह की हम्दो सना करता है, उससे मदद तलब करता है, और अपने गुनाहों की माफी मांगता है। नमाज़ रूहानी और जिस्मानी पाकीज़गी का ज़रिया है, जो इंसान को बुराइयों से दूर करती है और अल्लाह का क़ुर्ब हासिल करने का सबब बनती है।
5 Waqt Ki Namaz : 5 व्यक्त की नमाज़
इस्लाम में रोज़ाना 5 वक्त की नमाज़ फ़र्ज़ है। हर नमाज़ का एक खास वक्त होता है, और इसका पढ़ना हर मुसलमान पर ज़रूरी है जो 10 साल से ज़्यादा उम्र के हैं। ये 5 वक्त की नमाज़ें इस प्रकार हैं:
- फ़ज्र – सुबह की नमाज़
- ज़ुहर – दोपहर की नमाज़
- आसर – शाम के समय की नमाज़
- मग़रिब – सूरज डूबने के बाद की नमाज़
- इशा – रात की नमाज़
Namaz (नमाज़) | सुन्नत (Sunnat) |
फर्ज़ (Fard) |
सुन्नत (Sunnat) |
नफ्ल (Nafl) |
वाजिब (Wajib) |
नफ्ल (Nafl) |
Total |
Fajr (फ़ज्र) | 2 | 2 | 4 | ||||
Dhuhr (ज़ुहर) | 4 | 4 | 2 | 2 | 12 | ||
Asr (असर) | 4 | 4 | 8 | ||||
Maghrib (मगरिब) | 3 | 2 | 2 | 7 | |||
Isha (ईशा) | 4 | 4 | 2 | 2 | 3 | 2 | 17 |
Fajar Ki Namaz Ki Rakat: फज्र की नमाज़ की रकते
फ़ज्र की नमाज़ इस्लाम में बहुत अहमियत की हामिल है। यह दिन की पहली नमाज़ है, जो सुबह से पहले, फ़ज्र के वक्त में अदा की जाती है। इस नमाज़ का वक्त सूरज निकलने से पहले का होता है।
फ़ज्र की नमाज़ की रकतें:
फ़ज्र की नमाज़ में 4 रकअतें होती हैं:
- 2 रकअत सुन्नत मोअक्कदा – फ़ज्र की नमाज़ में पहले दो रकअत सुन्नत मोअक्कदा पढ़ते हैं, जिन्हें छोड़ना नहीं चाहिए क्योंकि इन 2 सुन्नतों में बहुत फ़ज़ीलत है।
- 2 रकअत फ़र्ज़ – 2 सुन्नतों के बाद 2 रकअत फ़र्ज़ होते हैं, जिन्हें छोड़ा नहीं जा सकता। इन्हें छोड़ने से गुनाह होगा।
Duhar Ki Namaz: ज़ुहर की नमाज़:
ज़ोहर की नमाज़ दिन की दूसरी फ़र्ज़ नमाज़ है, जो ज़ोहर के वक्त अदा की जाती है। इस वक्त दिन का आखिरी हिस्सा शुरू होता है, जब सूरज अपने बुलंद तरीन मकाम पर होता है। ज़ोहर की नमाज़ पढ़ने से कमाई में बरकत होती है।
ज़ोहर की नमाज़ की रकअतें:
- 4 रकअत सुन्नत मुअक्कदा – इसे अदा करना ज़रूरी है।
- 4 रकअत फ़र्ज़ – इसे पढ़ना फ़र्ज़ है, अगर इसे नहीं पढ़ा तो सजा होगी।
- 2 रकअत सुन्नत मुअक्कदा – इसे अदा करना मुस्तहब है।
- 2 रकअत नफ़्ल
Asar Ki Namaz Ki Rakat: असर की नमाज़ की रकते
Maghrib Ki Namaz Ki Rakat: मग़रिब की नमाज़ की रकते
मग़रिब की नमाज़ सूरज डूबने के बाद शाम के वक्त होती है, और इससे हमारी हर परेशानियाँ दूर होती हैं। मग़रिब के वक्त दुआ करना बहुत अच्छा होता है, क्योंकि इस वक्त दुआ क़बूल होती है। मग़रिब में 2 सुन्नत पढ़ी जाती हैं, जो सुन्नत मुअक्कदा होती हैं। अगर हम सुन्नत मुअक्कदा न अदा करें, तो हमें गुनाह मिलेगा।
मग़रिब की नमाज़ की रकअतें:
- 3 रकअत फ़र्ज़ – 3 फ़र्ज़ से पहले कोई सुन्नत नमाज़ नहीं है; मग़रिब में पहले 3 फ़र्ज़ अदा किए जाते हैं।
- 2 रकअत सुन्नत मुअक्कदा – इसे छोड़ना नहीं चाहिए।
- 2 रकअत नफ़्ल
Isha Ki Namaz Ki Rakat: ईशा की नमाज़ की रकते
ईशा की नमाज़ रात की नमाज़ों में आती है और इसमें 17 रकअत होती हैं। ईशा की नमाज़ पढ़ने से सुकून भरी नींद आती है। ईशा की नमाज़ की रकअतें इस प्रकार हैं:
- 4 रकअत सुन्नत – इसे अदा करना मुस्तहब है।
- 4 रकअत फ़र्ज़ – इसे पढ़ना फ़र्ज़ है; अगर इसे नहीं पढ़ा तो गुनाह होगा।
- 2 रकअत सुन्नत मुअक्कदा – इसे नहीं छोड़ सकते।
- 2 रकअत नफ़्ल
- 3 रकअत वितर – इसे अदा करना वाजिब है।
Juma Ki Namaz Ki Rakat: जुम्मा की नमाज़ की रकते
Tahajjud Ki Namaz Ki Rakat: तहजजुद की नमाज़ की रकते
तहज्जुद की नमाज़ हर रात को पढ़ी जाती है और यह नमाज़ रात के तीसरे पहर में अदा की जाती है। इस वक्त अल्लाह सुभानहु त’आला पहले आसमान पर आते हैं और फरमाते हैं, “कोई मेरा बंदा है जो मुझसे कुछ माँगे? मुझसे माफ़ी तलब करे।”
तहज्जुद की नमाज़ की रकअतें:
तहज्जुद में 2-2 रकअत करके जितना हो सके पढ़ सकते हैं, क्योंकि यह नफ़्ल इबादत है। रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम 2-2 रकअत करके 8 रकअत पढ़ा करते थे, लेकिन हम चाहें तो इससे ज्यादा भी पढ़ सकते हैं।
Shab-E-Barat Ki Namaz Ki Rakat: शब-ए-बरात की नमाज़ की रकअतें:
Namaz Ki Rakat Aur Uske Aham Sawalat: नमाज़ की रकते और उसके अहम सवालात
1. नमाज़ की रकते क्या होती हैं?
नमाज़ की रकते वो फरज या सुन्नत पढ़ने की तहरीक हैं जो मुसलमान अपनी इबादत में अदा करते हैं। हर नमाज़ की अपनी खास रकते होती हैं, जैसे फज्र में 2 रकते फरज और 2 रकते सुन्नत हैं। ये रकते अल्लाह की इबादत का ज़रिया होती हैं।
2. फज्र की नमाज़ की रकते कितनी हैं?
फज्र की नमाज़ में 2 रकते सुन्नत मो’अक्काद और 2 रकते फरज होती हैं। सुन्नत रकते पढ़ने से अल्लाह की तरफ से बरकत मिलती है, इसलिए इन्हें नहीं छोड़ना चाहिए। फरज रकते छोड़ने से गुनाह होता है।
3. ज़ुहर की नमाज़ की रकते कितनी हैं?
ज़ुहर की नमाज़ में 4 रकते सुन्नत मो’अक्काद, 4 रकते फरज, और 2 रकते सुन्नत मो’अक्काद होती हैं। इसके अलावा 2 रकते नफिल भी अदा की जा सकती हैं।
4. असर की नमाज़ की रकते कितनी हैं?
असर की नमाज़ में 4 रकते सुन्नत और 4 रकते फरज होती हैं। असर की नमाज़ को वक्त पर पढ़ना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि इसकी अहमियत क़ुरआन और सुन्नत में बयान हुई है। इसे छोड़ने से इंसान को नुक़सान होता है।
5. मग़रिब की नमाज़ की रकते कितनी हैं?
मग़रिब की नमाज़ में 3 रकते फरज, 2 रकते सुन्नत मोककेदा और 2 रकते नफिल होती हैं। मग़रिब की नमाज़ का वक्त सूरज डूबने के बाद होता है। इस वक्त दुआ करना बहुत फ़ायदा होता है।
6. ईशा की नमाज़ की रकते कितनी हैं?
ईशा की नमाज़ में 4 रकते सुन्नत, 4 रकते फरज, 2 रकते सुन्नत मो’अक्काद, और 3 रकते वित्र होती हैं। इसके अलावा 2 रकते नफिल भी अदा की जा सकती हैं। ईशा की नमाज़ पढ़ने से इंसान को सुकून मिलता है।
7. जुम्मा की नमाज़ की रकते कितनी हैं?
जुम्मा की नमाज़ में 2 रकते सुन्नत मो’अक्काद, 2 रकते फरज, 2 रकते सुन्नत मो’अक्काद, और 2 रकते सुन्नत मो’अक्काद होती हैं। जुम्मा का दिन मुसलमानों के लिए खास होता है और इस दिन की नमाज़ पढ़ने से बहुत सवाब मिलता है।
8. तहजजुद की नमाज़ की रकते कितनी हैं?
तहजजुद की नमाज़ हर रात पढ़ने की इबादत है, जिसमें 2, 2 रकते करके जितना हो सके पढ़ना चाहिए। ये नफिल नमाज़ है और इसकी अहमियत भी बहुत ज़्यादा है, क्योंकि इस वक्त अल्लाह की रहमत बरसती है।
9. नमाज़ की रकते क्यों ज़रूरी हैं?
नमाज़ की रकते मुसलमानों की इबादत का अहम हिस्सा हैं। ये अल्लाह की इबादत करने का ज़रिया है और इंसान को रूहानी सुकून देती हैं।
I attained the title of Hafiz-e-Quran from Jamia Rahmania Bashir Hat, West Bengal. Building on this, in 2024, I earned the degree of Moulana from Jamia Islamia Arabia, Amruha, U.P. These qualifications signify my expertise in Quranic memorization and Islamic studies, reflecting years of dedication and learning.