बारिश, जिसे इस्लाम में अल्लाह की एक अहम नेमत होता है, कुदरती तौर से पानी के गिरने की ज़रिया है। इस्लाम में बारिश का जिक्र कुरान और हदीस में कई बार किया गया है, जहाँ इसे अल्लाह की रहमत और बरकत के तौर पर दिखाया गया है। बारिश न सिर्फ़ फसलों की बरकत के लिए जरूरी है, बल्कि यह जिंदगी के लिए भी बहुत जरूरी है।
Barish Ki Dua: बारिश की दुआ
कुरान में बारिश का जिक्र करते हुए अल्लाह ने कहा है कि वह अपने बंदों के लिए आसमान से पानी बरसाता है, जिससे ज़मीन में हरियाली आती है और जानवरों को जीवन मिलता है। इस्लाम में बारिश के समय दुआ करने की भी सिफारिश की गई है, क्योंकि यह समय अल्लाह की बरकत के दरवाजे को खोलने का होता है।
Barish Ki Dua Ahmiyat: बारिश की अहमियत
कुरान में अल्लाह सुभानहु तआला ने जितना बारिश का ज़िक्र किया है, शायद ही किसी और नेमत का किया होगा। क्योंकि हर चीज़ बारिश से पैदा हो रही है। अगर यह बारिश आसमान से बरसना बंद हो जाए, तो हमारे फलों में जायका खत्म हो जाएगा। हम मटन डाल के खा रहे हैं, वो जायका उसमें खत्म हो जाएगा। अल्लाह सुभानहु तआला ने आसमान के पानी को बरकत वाला पानी बताया है।
Barish Ki Dua Fazilat: बारिश की फजीलत
बारिश में अल्लाह सुभानहु तआला ने बहुत सी बरकत डाल रखी है। उसे बारिश से ज़मीन में मौजूद कितनी अलुदगी है, वो दफन हो रही है। उसे बारिश से ज़िंदगी पैदा हो रही है। उसे बारिश से गर्मी की शिद्दत खत्म हो रही है। अल्लाह सुभानहु तआला ने एक बारिश में कितनी शिफ़ात डाल रखी है।
Barish ki ke dunyawi fayede: बारिश की दुआ के दुनिया फ़ायदे
- ज़मीन की ज़राई – ज़मीन में नमी और रतूबत बरक़रार रखने से फ़सलों की पैदावार में इज़ाफ़ा होता है।
- पानी की तक़सीम – बारिश से तालाब और झीलों में पानी भर जाता है, जो इंसान और जानवरों के लिए ज़रिया-ए-हयात है।
- हवा की ताज़गी – बारिश हवा को साफ़ और ताज़ा कर देती है, जिस से सांस की बीमारियों में कमी होती है।
- मिट्टी की बहाली – बारिश से मिट्टी की बहाली होती है, जो सब्ज़ियों और फलदार दरख़्तों की अच्छी नशोनुमा के लिए ज़रूरी है।
- तासुरात की तरावट – बारिश से मौसम ख़ुशगवार हो जाता है, जिस से लोगों के जज़्बात में सुकून और ख़ुशी पैदा होती है।
Barish Ke Dua Taroof Se Aham Hadise: बारिश के तारीफ से अहम हदीसे
सिलसिला हदीस उस सही हदीस नंबर 107 रिवायत है की अल्लाह उस इलाके में अगर बारिश बरसता भी है तो जानवरो के लिए। क्योंकि उनका कोई कसूर नहीं है। तो अगर जानवर न होते तो अल्लाह बिलकुल उस इलाके में बारिश न बरसते ये हालत जब होता है जब उस इलाके से जकात नही निकली जाति है।
हज़रत जाबिर-बिन-अब्दुल्लाह (रज़ि०) का बयान है कि रसूलुल्लाह ﷺ के पास कुछ लोग (बारिश न बरसने की वजह से) रोते हुए आए तो आपने इस तरह दुआ फ़रमाई : (اللَّهُمَّ ! اسْقِنَا غَيْثًا مُغِيثًا مَرِيئًا مَرِيعًا نَافِعًا غَيْرَ ضَارٍّ عَاجِلًا غَيْرَ آجِلٍ) ऐ अल्लाह! हमें बारिश इनायत फ़रमा, बे-हद फ़ायदेमन्द, मददगार, बेहतरीन अंजाम वाली जो हरियाली लाए नफ़ा आवर हो किसी नुक़सान कि वजह न बने और जल्दी आए देर न करे। हज़रत जाबिर (रज़ि०) ने बयान किया कि – – – – – – – (इस दुआ के बाद फ़ौरन) उन पर बादल छा गया।
Barish ki dua in Arabic बारिश की दुआ इन अरबी
اللَّهُمَّ ! اسْقِنَا غَيْثًا مُغِيثًا مَرِيئًا مَرِيعًا نَافِعًا غَيْرَ ضَارٍّ عَاجِلًا غَيْرَ آجِلٍ
Barish Ki Dua In Hindi: बारिश की दुआ हिंदी में
अल्लाहुम्मा! अस्किना गैसा मुगीसन मरीअन मरीअन नाफ़िअन ग़ैरा दारिन आजिलन ग़ैरा आजिलिन।
Barish Ki Dua In English: बारिश की दुआ अंग्रेजी में:
Allahumma! Asqina ghaythan mughithan mari’an marian nafi’an ghayra darrin ‘ajilan ghayra ajil.
Barish Ki Dua Tarjuma: बारिश की दुआ तर्जुमा:
ऐ अल्लाह! हमें बारिश इनायत फ़रमा, बे-हद फ़ायदेमन्द, मददगार, बेहतरीन अंजाम वाली जो हरियाली लाए नफ़ा आवर हो किसी नुक़सान कि वजह न बने और जल्दी आए देर न करे।
Barish Ki Dua Ke Aham Sawalat: बारिश की दुआ के अहम सवालात:
1. बारिश की दुआ कब पढ़ी जाती है?
बारिश की दुआ उस वक्त पढ़ी जाती है जब बारिश ना हो रही हो या बारिश की ज़रूरत हो। जब कभी सूखापन या क़हत हो, मुसलमान अल्लाह से दुआ करते हैं कि बारिश अता फ़रमाए। यह दुआ परेशानी के वक्त अल्लाह से मदद माँगने का तरीक़ा है।
2. बारिश की दुआ कैसे पढ़ी जाए?
बारिश की दुआ पढ़ने के लिए पहले अल्लाह का शुक्र अदा करना चाहिए और उसके बाद दुआ में बारिश माँगनी चाहिए। आम तौर पर, “अल्लाहुम्मा अघिसना” या “अल्लाहुम्मा सैय्यिबन नाफ़िअन” दुआ पढ़ी जाती है। दिल से इख़लास के साथ दुआ की जाती है।
3. बारिश की दुआ का फ़ायदा क्या है?
बारिश की दुआ पढ़ने का फ़ायदा यह है कि अल्लाह का रहम होता है और इंसानियत को बारिश के ज़रिए रहम मिलता है। दुआ अल्लाह से बरकत और रहम माँगने का ज़रिया है जो किसी भी परेशानी को दूर कर सकती है, और ज़मीन को हरा-भरा बनाती है।
4. बारिश की दुआ क़ुरआन में कहाँ है?
बारिश की दुआ का ज़िक्र क़ुरआन में अलग-अलग आयात में है जहाँ अल्लाह की कुदरत का बयान किया गया है। सूरह नूह में अल्लाह ने पानी के ज़रिए रहम और अज़ाब का ज़िक्र किया है। इसके इलावा और भी जगह अल्लाह की कुदरत का बयान मिलता है।
5. बारिश की दुआ किस वक्त पढ़ना बेहतरीन होता है?
बारिश की दुआ किसी भी वक्त पढ़ी जा सकती है, लेकिन जुमा के दिन और फ़ज्र के बाद का वक्त दुआ के लिए बेहतरीन माना जाता है। इस वक्त अल्लाह से माँगना और बरकत की दुआ करना ज़्यादा असर रखता है।
6. अगर बारिश ना हो रही हो तो कौनसी दुआ पढ़ी जाए?
अगर बारिश ना हो रही हो तो “सलातुल इस्तिस्क़ा” नमाज़ पढ़ना और बारिश की दुआ करना बेहतरीन है। मुसलमान इकठ्ठा होकर यह नमाज़ अदा करते हैं और अल्लाह से बारिश के लिए दुआ करते हैं कि वह अपनी रहमत बरसाए।
7. बारिश की दुआ के इलावा और कौनसी इबादत की जाए?
बारिश की दुआ के इलावा सदक़ा देना और अल्लाह के रसूल का ज़िक्र करना बेहतरीन है। परेशानी के वक्त अल्लाह का शुक्र अदा करना और उससे माफ़ी माँगना भी ज़रूरी है ताकि उसकी रहमत हासिल की जा सके।
8. क्या बारिश की दुआ अक्सर पढ़ना ज़रूरी है?
जी हाँ, बारिश की दुआ अक्सर पढ़ना ज़रूरी है। जब कभी सूखापन या परेशानी हो, अल्लाह से दुआ करनी चाहिए कि वह अपनी रहमत बरसाए। दुआ अल्लाह से रिश्ता मज़ीद मज़बूत बनाता है और इंसान को अल्लाह के क़रीब लाता है।
9. बारिश की दुआ का असल मतलब क्या है?
बारिश की दुआ का असल मतलब यह है कि अल्लाह से रहमत और बरकत की दरख़्वास्त की जाए। जब ज़मीन सूख जाए या लोग परेशान हों, अल्लाह से दुआ करना एक अहम अमल है जो अल्लाह की रहमत को बुलाता है।
10. बारिश की दुआ बच्चों को कैसे सिखाई जाए?
बारिश की दुआ बच्चों को आसान अल्फ़ाज़ में सिखाई जा सकती है। उन्हें “अल्लाहुम्मा सैय्यिबन नाफ़िअन” या इस तरह की छोटी दुआएँ सिखाई जा सकती हैं ताकि वे अल्लाह का शुक्र अदा करना और दुआ माँगना सीख सकें।
I attained the title of Hafiz-e-Quran from Jamia Rahmania Bashir Hat, West Bengal. Building on this, in 2024, I earned the degree of Moulana from Jamia Islamia Arabia, Amruha, U.P. These qualifications signify my expertise in Quranic memorization and Islamic studies, reflecting years of dedication and learning.