Shab-e-Barat ki Namaz, Dua, aur Adaigi ka Tareeqa, Fazilat aur Barkat

Shab E Barat Ki Namaz

 

Shab E Barat Ki Namaz

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Shab E Barat Ki Namaz।  शब-ए-बरात की नमाज़। 

शब-ए-बरात, जो कि 15 शबान को आता है, इबादत और दुआ का मुकबिल महीना है। इस दिन की कोई खास नमाज या नियत नहीं है, बस रोज़े और नफ़ल इबादत की कसरत की जाती है। कुछ लोग शब-ए-बरात को मनाते हैं लेकिन इसकी कोई हक़ीक़त नहीं। इस्लाम में बिदअत को माना जाता है, इसलिए शब-ए-बरात की रात में किसी ख़ास इबादत की ज़रूरत नहीं। बेहतर है के पूरे शबान में इबादत और नेकियों में इज़ाफ़ा किया जाए। इस दिन की ख़ासियत नहीं है, लेकिन नेकियों का अमल बढ़ाने का एक अच्छा मौक़ा है।

Shab E Barat Ki Fazilat Aur Ahmiyat। शब ए बारात की फजीलत और अहमियत। 

जैसा कि आपने सही तरीके से कहा है, शब-ए-बरात मनाना बिदअत है। इस खास दिन की कोई फजीलत नहीं है, बल्कि पूरे महीने शाबान रहमत और बरकत से भरा होता है। इस दिन की नमाज का खास पाबंदी से जिक्र नहीं है, जैसे कि हम आम दिनों में नफ़्ल इबादत करते हैं, वैसे ही हमें इस दिन भी करना चाहिए। शब-ए-बरात नमाज़ की नियत में किसी खास नियत का ज़िक्र नहीं होता, जैसे कि हम आम नमाजों की नियत करके नफ़्ल इबादत करते हैं, वैसे ही इन दिनों मैं भी करननी चाहिए।

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Shab-e-Barat Ki Namaz Ka Tareeqa।  शबे बरात की नमाज़ का तरीका।

सही हदीस से कोई भी शबे बरात की नमाज मुकर्रर नहीं की गई है और न ही कोई नफ़्ली इबादत की बात की गई है। कोई भी ख़ास तरीका नहीं है, हर नमाज एक जैसे ही पढ़ी जाती है, बस नियत होती है कि फर्ज, सुन्नत या नफ़ल फिर हम वैसे ही पढ़ते हैं।

 Shab-e-Barat Ki Dua। शबे बरात की दुआ।

कोई भी खास दुआ नहीं है रात के तीसरे अशरे में दुआ कुबूल होती हैं अल्लाह ताला पहले आसमान पे आता है और कहता है है कोई मेरा बांदा जो मुझसे कुछ मांगे और मैं उसे वो दू अगर वो आपके हक में बेहतर होगी तो इंशाल्लाह जरूर पूरी होगी

शब-ए-बरात, जो कि 15 शबान की रात है, इबादत और दुआ का मकबूल महीना है। इस दिन की कोई ख़ास नमाज़ या नियत नहीं है, बस रोज़े और नफ़्ल इबादत की कसरत की जाती है। कुछ लोग शब-ए-बरात को मनाते हैं लेकिन इसकी कोई हक़ीक़त नहीं। इस्लाम में बिदअत को माना जाता है, इसलिए शब-ए-बरात की रात में किसी ख़ास इबादत की ज़रूरत नहीं। बेहतर है के पूरे शबान में इबादत और नेकियों में इज़ाफ़ा किया जाए। इस दिन की ख़ासियत नहीं है, लेकिन नेकियों का अमल बढ़ाने का एक अच्छा मौक़ा है।

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Shab-e-Barat Ke Baare Mein Kuch Aham Sawaalat। शब-ए-बरात के बारे में बारे में कुछ अहम सवालात। 

1. शबे बरात क्या है?

शबे बरात 15 शाबान की रात को कहते है जबकि ये किसी हदीश से साबित नहीं है ये ज़ाइफ हदीश है।

2. शबे बरात में कौन कौन सी नमाज पढ़ी जाती है?

खास शबे बारात के लिए कोई भी नमाज़ हादिश में नही मिलती बल्कि पूरे शाबान में नफ़ील इबादत और कसरत से नेकिया करनी चाहिए क्युकी शाबान का पूरा महिना बरकतों वाला है।

3. शब-ए-बरात किस दिन होता है?

सबै बरात नहीं मनाया जाता ये दीन में खुद शामिल किया गया है और दीन में नई चीज़ इजात करना बिदत  है।

4. शुभ रात की नमाज कैसे पढ़ी जाती है?

कोई खास जिक्र नहीं है जैसे नफिल नमाज की नमाज पढ़ते है वैसे ही पढ़ा जाता है।

5. शबे बरात के दिन क्या क्या पढ़ा जाता है?

सिर्फ शबे बरात नहीं बल्कि पूरे शाबान में कसरत तस्बीह पढ़ना चाहिए सहाबा इसमें रमजान की तैयारी करते थे रोजा रखते थे अपना टाइम सेट करते थे।

6. शब ए बारात की नियत कैसे करें?

कोई खास नियत नहीं किया जाता क्युकी सबे बारात मनाना बिददत है। नफील नमाज पढ़ा जा सकता  है शाबान की नियत से।

7. शब ए बारात की 6 रकात नमाज क्या है?

शबे बरात की कोई भी 6 रकात नमाज़ नहीं हैं, शाबान की नियत से नफील नमाज़ पढ़ सकते और नफील नमाज़ जरुरी नहीं हैं कि 6 रकात ही पढ़ी जाए हम जितना चाहे पढ़ सकते हैं।

8. शबे बरात में कितनी रकात नमाज पढ़ते हैं?

कोई खास मुकरर नही किया गया जितनी चाहे नफिल नमाज हम उतना पढ़ सकते है।

9. शबे बरात में किसकी फातिहा होती है?

दीन में कोई भी नई चीज़ इजात करना बिदत है और फातिहा करना  भी बिदत  है।

10 शबे बरात का रोजा क्यों रखा जाता है?

शबे बरात का रोजा नहीं रखा जाता बल्कि रमजान की तैयारी के लिए प्रैक्टिस करते है।

12. शबे बरात का मतलब क्या होता है?

शबे बरात का जिक्र किसी हदीश में साबित नहीं है  बस ये कुछ लोग है जो  दीन में नई नई चीज़े लाकर दीन को मुश्किल बना रहे है।

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