दुआ ए क़ुनूत हिंदी । Dua E Qunoot In Hindi
दुआ ए कुनऊत सुन्नते मुआकक्दा है तो इसे जरूर नमाज़ में पढ़ना चाहिए बरहाल ये सूरह याद न भी हो तो कोई भी दुआ पढ़के नमाज़ हो सकती है ।
हज़रत उबाई इब्ने काब रजी अल्लाहु अनहू फरमाते है: रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम 3 बेतेर पढ़ते और दुआ ए कुनऊत रुकु से पहले पढ़ते थे ।
- दुआ ए कुनऊत बितर में हाथ उठाने के बारे में कोई मरफू रिवाएत नही है की हाथ उठाके पढ़ी जाए ! इसलिए हाथ उठाकर या हाथ उठाए बगैर दोनों तरीकों से दुआ ए कुनऊत बितर परना दुरुस्त है।
दुआ ए क़ुनूत अरबीमें (हनीफा)। Dua E Qunoot Arbic (Hanfi)
اَللَّهُمَّ إنا نَسْتَعِينُكَ وَنَسْتَغْفِرُكَ وَنُؤْمِنُ بِكَ وَنَتَوَكَّلُ عَلَيْكَ وَنُثْنِئْ عَلَيْكَ الخَيْرَ وَنَشْكُرُكَ وَلَا نَكْفُرُكَ وَنَخْلَعُ وَنَتْرُكُ مَنْ ئَّفْجُرُكَ اَللَّهُمَّ إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَلَكَ نُصَلِّئ وَنَسْجُدُ وَإِلَيْكَ نَسْعأئ وَنَحْفِدُ وَنَرْجُو رَحْمَتَكَ وَنَخْشآئ عَذَابَكَ إِنَّ عَذَابَكَ بِالكُفَّارِ مُلْحَقٌ
(अत-तिर्मिधि: 464, अबू दाऊद: 1425)
दुआ ए क़ुनूत हिन्दीमें (हनीफा)। Dua E Qunoot Hindi (Hanfi)
अल्लाह हुम्मा इन्ना नास्ता-ईनोका वा नास्ताघफिरुका वा नु’मिनु बिका वा नटवक्कालु अलाइका वा नुस्नी अलैकाल खैर, वा नश्कुरुका वाला नक्फुरुका वा नखला-ऊ वा नटरुकु माई यफजुरूका, अल्लाह हुम्मा इय्याका ना’बुदु वा लाका नुसल्ली वा नस्जुद वा इलाइका नास आ वा नहफिजु वा नरजू रहमा तका वा नख्शा अजाबाका इन्ना अजाबाका बिल कुफ़री मुलहिक।
दुआ ए क़ुनूत तर्जुमा (हनीफा)। Dua E Qunoot Tarjuma (Hanfi)
ए अल्लाह हम तुझे मदद चाहते हैं। और तुझ से माफी मांगते हैं तुझ पर ईमान रखते हैं और तुझ पर भरोसा करते हैं ।और तेरी बहुत अच्छी तारीफ करते हैं और तेरा शुक्र करते हैं और तेरी ना शुक्रि नहीं करते और अलग करते हैं और छोड़ते हैं इस शख्स को जो तेरी नाफरमानी करें।
ये सुरह तिर्मिजी 464, हदीश से रिवायत हैं! और अबू दाऊद: 1425 हदीश से साबित हैं l
दुआ ए क़ुनूत अरबीमें (शफ़ीई)। Dua E Qunoot Arbic (Shafi)
Shafi
اللَّهُمَّ اهْدِنِي فِيمَنْ هَدَيْتَ وَعَافِنِي فِيمَنْ عَافَيْتَ وَتَوَلَّنِي فِيمَ تَوَلَّيْتَ وَبَارِكْ لِي فِيمَا أَعْطَيْتَ وَقِنِي شَرَّ مَا قَضَيْتَ إِنَّكَ تَقْضِي وَلاَ يُقْضَى عَلَيْكَ وَإِنَّهُ لاَ يَذِلُّ مَنْ وَالَيْتَ وَلاَ يَعِزُّ مَنْ عَادَيْتَ تَبَارَكْتَ رَبَّنَا وَتَعَالَيْتَ
दुआ ए क़ुनूत हिन्दीमें (शफ़ीई)। Dua E Qunoot Hindi(Shafi)
अल्लाहुम्महदिनी फीमन हदैत, वआफिनी फीमन आफैत व तवल्लनी फीमन तवल्लैत, वबारिक ली फीमा अस्त, वकिनी शर-र मा कज़ैत, फइन्न-क तकज़ी वायुकज़ा अलैक, वइन्नहू ला यजिल्लु मंव वालैत, तबारक – रब्बना व तआलैत।
दुआ ए क़ुनूत तर्जुमा (शफ़ीई)। Dua E Qunoot Tarjuma (Shafi)
ए अल्लाह मुझे हिदायत देकर उन में शामिल कर दे जिन्हें तूने हिदायत दी,और मुझे आफियत आता कर के उनमें शामिल कर दे जिन्हें तूने आफ़ीयत अता की, और मुझे अपना दोस्त बना ले, और अपने दोस्तों में मुझे शामिल कर ले, और जो कुछ तूने दिया है उसमें मुझे बरकत दे और मुझे उसे बुराई से बचा जिसके होने का तूने फैसला किया है, बेशक तू ही हुक्म देता है और कोई तुझ पर हुकुम नहीं कर सकता और बेशक वह कभी भी जलील नहीं होता जिससे तूने दोस्ती की हो। तू मुबारक है । ए हमारे रब और तू बुलंद है।
दुआ ए क़ुनूत बारे में कुछ अहम सवालात। Dua E Qunoot Ke Baare Mein Kuch Ahem Sawaalat
- दुआ कुनूत याद ना हो तो क्या करें?
दुआ ए कुनुत याद न हो तो कोई भी दुआ पढ़ सकते है उससे नमाज़ हो जाएगी। पर सबसे अफजल है की आप नमाज की तरीका पूरी जनले ओर उसके मुतावीक नमाज अदा करे। - दुआ कुनूत की जगह मैं क्या पढ़ सकते हैं?
दुआ ये कुनूत याद करना अफजल हैं बरहाल इसे याद करे! अगर दुआ ये कुनुत याद ना हो तो ये दुआ पढ़ सकते हैं I
रब्बाना आतइन फ़ीददुनिया हसानताऊ वाफ़िल अखिरती हसानताऊ वाकिन अज़ाबननार । इसके अलावा भी हम कोई भी दूसरी दुआ नमाजे बितर में पढ़ सकते हैं l इससे नमाज हो जाएगी I - वित्र की नमाज़ में क्या क्या पढ़ते हैं?
आम नमाजो की तरह 2 रकात नमाज पढ़ते हैं फिर तीसरी रकात में खड़े होकर सूरह फातिहा पढ़के कोई भी एक सुरा पढ़ते हैं फिर हाथ उठाके अल्लाहुअकबार बोलके दुआ ये कुनूत हम पढ़ते है! अगर दुआ ये कुनूत याद ना हो तो कोई भी दुआ पढ़के नमाज मुक्कमल कर सकते हैं l
I attained the title of Hafiz-e-Quran from Jamia Rahmania Bashir Hat, West Bengal. Building on this, in 2024, I earned the degree of Moulana from Jamia Islamia Arabia, Amruha, U.P. These qualifications signify my expertise in Quranic memorization and Islamic studies, reflecting years of dedication and learning.